सियोल : दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जेई इन ने सोमवार को कहा कि पुरानी शिकायतों की कड़वाहट से आगे बढ़ते हुए उनकी सरकार जापान के साथ संबंधों में सुधार के लिए वार्ता की इच्छुक है और अनसुलझे मुद्दों को 'भविष्योन्मुखी' संबंधों की राह का रोड़ा नहीं बनने देना चाहिए.
जापान के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ 1919 के कोरियाई विद्रोह की वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित अपने संबोधन में मून ने कहा, 'ऐसा वक्त आया है जब पिछले मुद्दों को भविष्य के मुद्दों से अलग नहीं किया जा सकता और वे एक दूसरे से गुथे हुए होते हैं. इससे अग्रोन्मुखी विकास बाधित होता है.'
उन्होंने कहा, 'कोरियाई सरकार हमेशा जापान की सरकार के साथ बैठकर बातचीत के लिए तैयार है.'
2019 में ज्यादा खराब हो गए थे रिश्ते
दक्षिण कोरिया और जापान के बीच रिश्तों में 2019 में कड़वाहट उस समय चरम पर पहुंच गई थी जब दक्षिण कोरिया की अदालत ने एक फैसले में जापानी कंपनियों को उन कोरियाई लोगों को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था जिनसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उनके कारखानों में जबरन काम कराया गया था.
इस फैसले से तनाव बढ़ा ही था कि जापान ने भी रसायनों पर निर्यात नियंत्रण लागू कर दक्षिण कोरिया के 'सेमीकंडक्टर' उद्योग के लिए हालात मुश्किल बना दिए.
दोनों देशों के संबंधों में तनाव का एक और मुद्दा कोरियाई महिलाओं को युद्ध के दौरान जापानी सेना के लिए यौन दासियों के तौर पर इस्तेमाल करने का भी है.
जापान हालांकि जोर देता रहा है कि युद्ध संबंधी मुआवजों से जुड़े सभी मामलों को 1965 की एक संधि के तहत सुलझाया जा चुका है और दक्षिण कोरिया के साथ रिश्ते सामान्य हो गए थे. उसने हालांकि दक्षिण कोरियाई अदालत के आदेश पर भी नाराजगी व्यक्त की थी.
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मून ने कहा कि सियोल जापानी युद्ध के दौरान ज्यादतियों के शिकार कोरियाई पीड़ितों का समर्थन जारी रखेगा. उन्होंने हालांकि इसबात पर भी जोर दिया कि देशों को 'पिछली बातों को आगे की राह का रोड़ा नहीं बनने देना चाहिए.'