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नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया: CPN-UML का ओली गुट नवनियुक्त सरकार के खिलाफ देगा वोट - International Politics

नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के लिए फिलहाल आगे का सफर आसान नहीं नजर आ रहा है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल धड़े ने शुक्रवार को निर्णय किया कि प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के दौरान खिलाफ वोट देगा.

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प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा
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Published : Jul 16, 2021, 8:58 PM IST

काठमांडू: पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल धड़े ने शुक्रवार को निर्णय किया कि प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के दौरान वह नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Prime Minister Sher Bahadur Deuba) के खिलाफ वोट (Voting) देगा. काठमांडू में पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया.

पार्टी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इसने संसद में विपक्ष में रहने का भी निर्णय किया. ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी के अंदर विवादों के समाधान के लिए पार्टी के कार्यबल की तरफ से दिए गए और दस सूत्रीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. बहरहाल, पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल के करीबी नेताओं ने उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया. यूएमएल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के असंतुष्ट नेता विश्वास मत के दौरान देउबा के पक्ष में वोट कर सकते हैं. प्रधानमंत्री देउबा के लिए यूएमएल का समर्थन महत्वपूर्ण होगा. माधव कुमार नेपाल के साथ यूएमएल के 23 सांसद हैं जिन्होंने कुछ महीने पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के समक्ष देउबा का समर्थन किया था.

देउबा ने 13 जुलाई को ली है शपथ

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली नेपाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच महीने के अंदर दूसरी बार सोमवार को प्रतिनिधि सभा को बहाल किया. पीठ ने विपक्ष के नेता और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख 75 वर्षीय देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया और 18 जुलाई को प्रतिनिधि सभा का नया सत्र बुलाने का भी निर्देश दिया. देउबा ने 13 जुलाई को चार नए मंत्रियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी.

पढ़ें: राष्ट्रपति भवन से नियुक्ति का संशोधित नोटिस नहीं मिलने तक देउबा शपथ नहीं लेंगे : खबर

प्रधानमंत्री नियुक्त होने के 30 दिनों के अंदर देउबा को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करना होगा यानी संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक 12 अगस्त तक उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा. 275 सदस्यीय निचले सदन में उन्हें 136 वोट की जरूरत होगी, क्योंकि वर्तमान में केवल 271 सदस्य हैं.

सदन में उनकी पार्टी की केवल 61 सीट हैं. अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए देउबा ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत शुरू कर दी है. सीपीएन-यूएमएल के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल से समर्थन मांगने के लिए देउबा बुधवार को कोटेश्वर स्थित उनके आवास पर गए थे.

(पीटीआई-भाषा)

काठमांडू: पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल धड़े ने शुक्रवार को निर्णय किया कि प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के दौरान वह नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Prime Minister Sher Bahadur Deuba) के खिलाफ वोट (Voting) देगा. काठमांडू में पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया.

पार्टी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इसने संसद में विपक्ष में रहने का भी निर्णय किया. ओली की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी के अंदर विवादों के समाधान के लिए पार्टी के कार्यबल की तरफ से दिए गए और दस सूत्रीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. बहरहाल, पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल के करीबी नेताओं ने उच्चस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया. यूएमएल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के असंतुष्ट नेता विश्वास मत के दौरान देउबा के पक्ष में वोट कर सकते हैं. प्रधानमंत्री देउबा के लिए यूएमएल का समर्थन महत्वपूर्ण होगा. माधव कुमार नेपाल के साथ यूएमएल के 23 सांसद हैं जिन्होंने कुछ महीने पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के समक्ष देउबा का समर्थन किया था.

देउबा ने 13 जुलाई को ली है शपथ

प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली नेपाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पांच महीने के अंदर दूसरी बार सोमवार को प्रतिनिधि सभा को बहाल किया. पीठ ने विपक्ष के नेता और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख 75 वर्षीय देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया और 18 जुलाई को प्रतिनिधि सभा का नया सत्र बुलाने का भी निर्देश दिया. देउबा ने 13 जुलाई को चार नए मंत्रियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी.

पढ़ें: राष्ट्रपति भवन से नियुक्ति का संशोधित नोटिस नहीं मिलने तक देउबा शपथ नहीं लेंगे : खबर

प्रधानमंत्री नियुक्त होने के 30 दिनों के अंदर देउबा को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करना होगा यानी संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक 12 अगस्त तक उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा. 275 सदस्यीय निचले सदन में उन्हें 136 वोट की जरूरत होगी, क्योंकि वर्तमान में केवल 271 सदस्य हैं.

सदन में उनकी पार्टी की केवल 61 सीट हैं. अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए देउबा ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत शुरू कर दी है. सीपीएन-यूएमएल के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल से समर्थन मांगने के लिए देउबा बुधवार को कोटेश्वर स्थित उनके आवास पर गए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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