नई दिल्ली: अफगानिस्तान में मारे गए भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर पहली बार तालिबान ने बयान दिया है. आतंकी संगठन तालिबान ने कहा कि दानिश ने हमसे अनुमति नहीं मांगी थी. उनकी मौत का जिम्मेदार तालिबान नहीं है. तालिबान ने कहा कि दानिश की मौत क्रॉस फायरिंग में हुई है.
बता दें, तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने निजी न्यूज चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी ने हमारे साथ समन्वय नहीं किया था. अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के संघर्ष के दौरान मारे गए दानिश सिद्दीकी के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि यह कहना गलत है कि उन्हें तालिबान के लड़ाकों ने मारा.
मोहम्मद सुहैल शाहीन ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि तालिबान लड़ाकों ने उनकी हत्या की. उन्होंने हमारे साथ समन्वय क्यों नहीं किया. हमने पत्रकारों को एक बार नहीं बल्कि कई बार घोषणा की है कि जब वे हमारे स्थान पर आएंगे, तो कृपया हमारे साथ समन्वय करें और हम आपको सुरक्षा प्रदान करेंगे.
शाहीन ने कहा कि लेकिन वह काबुल के सुरक्षाबलों के साथ थे. कोई अंतर नहीं था चाहे वे सुरक्षाकर्मी हों या मिलिशिया या काबुल के सैनिक या उनमें से एक पत्रकार. वह क्रॉस-फायरिंग में मारा गया था, इसलिए यह नहीं बताया जा सकता कि वह किसकी गोली का शिकार हुआ.
तमाम रिपोर्ट में दावा किया गया कि दानिश सिद्दीकी को तालिबान ने बेरहमी से मार दिया. उसके शरीर को भी क्षत-विक्षत किया गया था. तालिबान के प्रवक्ता ने इससे इनकार करते हुए कहा कि दानिश के शरीर को क्षत-विक्षत करने के आरोपों को हमने दो-तीन बार खारिज किया है. यह हमारी नीति नहीं है. यह संभव है कि सुरक्षाबलों ने हमें बदनाम करने के लिए ऐसा किया हो. शवों को क्षत-विक्षत करना इस्लाम के नियमों के खिलाफ है.
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शाहीन से जब पूछा गया कि क्या पत्रकार तालिबान से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें तालिबान से ग्राउंड रिपोर्टिंग करने की अनुमति दी जा सकती है. तो उन्होंने कहा कि दुनियाभर के पत्रकार, अगर हमारे क्षेत्रों में आना चाहते हैं और रिपोर्टिंग करना चाहते हैं, तो वे आ सकते हैं. वे अपनी आंखों से जमीनी हकीकत देखने के लिए हमारे क्षेत्रों में शाखाएं खोल सकते हैं.