ETV Bharat / international

पाकिस्तान : पेशावर उच्च न्यायालय ने दिया 200 कैदियों की रिहाई का आदेश - सैन्य अदालतों

पेशावर उच्च न्यायालय ने सैन्य अदालतों की ओर से आतंकवाद के विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराए गए 200 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. बता दें पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार सेठ और न्यायमूर्ति नईम अनवर ने सजा को अमान्य घोषित कर दिया है.

Peshawar High Court
पेशावर उच्च न्यायालय
author img

By

Published : Jun 17, 2020, 7:18 PM IST

इस्लामाबाद : पेशावर उच्च न्यायालय ने सैन्य अदालतों की ओर से आतंकवाद के विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराए गए 200 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार सेठ और न्यायमूर्ति नईम अनवर की दो सदस्यीय पीठ ने 200 आरोपियों की सजा को अमान्य घोषित कर दिया है. और उनकी रिहाई का आदेश दिया है.

बता दें दोषियों को सैन्य अदालतों ने मौत की सजा, आजीवन कारावास और दस साल की जेल जैसी सजाएं सुनाई गईं थी. पीठ ने संक्षिप्त फैसले में कहा कि सजाएं इकबालिया बयानों के आधार पर दी गई थीं. आरोपियों को निष्पक्ष सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया था.

अदालत ने सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए 100 और कैदियों के रेकॉर्ड भी मांगे है.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किलों को सैन्य अदालतों में अपने मामलों का बचाव करने का उचित अवसर नहीं दिया गया है. उन्हें पांच से दस साल तक अवैध कारावास में रखा गया है.

पढ़े: सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत के लिए सहमत भारत और चीन : विदेश मंत्रालय

उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. सैन्य अदालतों के पास इनको सजा देने का कोई अधिकार नहीं है.

इस्लामाबाद : पेशावर उच्च न्यायालय ने सैन्य अदालतों की ओर से आतंकवाद के विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराए गए 200 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया है. पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार सेठ और न्यायमूर्ति नईम अनवर की दो सदस्यीय पीठ ने 200 आरोपियों की सजा को अमान्य घोषित कर दिया है. और उनकी रिहाई का आदेश दिया है.

बता दें दोषियों को सैन्य अदालतों ने मौत की सजा, आजीवन कारावास और दस साल की जेल जैसी सजाएं सुनाई गईं थी. पीठ ने संक्षिप्त फैसले में कहा कि सजाएं इकबालिया बयानों के आधार पर दी गई थीं. आरोपियों को निष्पक्ष सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया था.

अदालत ने सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए 100 और कैदियों के रेकॉर्ड भी मांगे है.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किलों को सैन्य अदालतों में अपने मामलों का बचाव करने का उचित अवसर नहीं दिया गया है. उन्हें पांच से दस साल तक अवैध कारावास में रखा गया है.

पढ़े: सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत के लिए सहमत भारत और चीन : विदेश मंत्रालय

उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. सैन्य अदालतों के पास इनको सजा देने का कोई अधिकार नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.