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कोरोना संकट : मौलाना के आगे झुके इमरान, लॉकडाउन में दे दी छूट

पूरी दुनिया कोरोना महामारी का जिस तरीके से सामना कर रही है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुरुआती स्तर पर सख्ती दिखाई. लेकिन वे इसे जारी नहीं रख सके. उलेमा और पादरी के दबाव में झुक गए. उन्होंने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया. अब मस्जिदों में भीड़ भी एकत्रित होगी और सामाजिक दूरी में ढिलाई बरतने का नया फरमान भी जारी कर दिया.

इमरान खान
इमरान खान
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Published : Apr 25, 2020, 1:50 PM IST

हैदराबाद : लंबे समय पहले, सैद्धांतिक भौतिकी के सबसे प्रसिद्ध और 1965 के नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड फेनमैन ने कहा था, 'धर्म विश्वास की संस्कृति है, विज्ञान संदेह की संस्कृति है.' अलग-अलग विश्वास प्रणालियों के साथ, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि विरोधाभास अब आए दिन दिखता ही रहता है. और पाकिस्तान की बात की जाए, तो उससे बेहतर और कोई उदाहरण हो नहीं सकता है.

पूरी दुनिया कोरोना महामारी का जिस तरीके से सामना कर रही है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुरुआती स्तर पर सख्ती दिखाई. लेकिन वे इसे जारी नहीं रख सके. उलेमा और पादरी के दबाव में झुक गए. उन्होंने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया. अब मस्जिदों में भीड़ भी एकत्रित होगी और सामाजिक दूरी में ढिलाई बरतने का नया फरमान भी जारी कर दिया.

दरअसल, रमजान के महीने में मस्जिदों में सुबह-शाम प्रार्थानाओं का आयोजन किया जाता है. शाम के समय सामूहिक प्रार्थना यानी तारावीह होता है. यह उनका अभिन्न अंग है. वे अल्ला से क्षमा याचना करते हैं.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही खस्ताहाल है. लॉकडाउन उस पर कहर बनकर बरप रहा था. लिहाजा, इमरान ने कुछ उद्योग, कारखाने और कार्यस्थल में छूट दे दी.

हालांकि, यह दिखता जरूर है कि इमरान ने अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन में छूट दी है, लेकिन दरअसल, हकीकत ये है कि वे मौलाना के आगे झुक गए हैं. ऐसा इसलिए कि उद्योग को छूट देने का फरमान समझ में आता है, लेकिन मस्जिदों में छूट देने की क्या मजबूरी हो सकती है.

दरअसल, पाकिस्तान की मस्जिदों में बड़ी-बड़ी सभाएं शक्ति का प्रदर्शन मानी जाती हैं. जो जितनी बड़ी भईड़ इकट्ठा कर पाता है, वह उतना ही शक्तिशाली माना जाता है. ऐसे में जाहिर है, कोरोना संकट के समय इसकी इजाजत देना महामारी को आमंत्रण देने जैसा है.

पाक के शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल ने पहले ही प्रधान मंत्री खान को लिखा है कि वह पहले के आदेश को लागू करने के लिए कहें और देश में मस्जिद सभाओं को अनुमति न दें जो पहले से ही संक्रमित लोगों के इलाज के लिए चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं. अभी सिंध एकमात्र प्रांत है जिसने लॉकडाउन जारी रखा है.

पढ़ें -पाकिस्तान में कोरोना : 79 फीसदी मामले स्थानीय संक्रमण के, अब तक 237 मौतें

शटडाउन को लागू करने के लिए पीएम खान की स्पष्ट मंशा को शक्तिशाली सेना का समर्थन दिया गया था. शुक्रवार को इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक, मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि सेना वायरस हॉटस्पॉट और क्लस्टर के लिए ऑन स्मार्ट लॉकडाउन का समर्थन करती है. अधिक से अधिक परीक्षण, ट्रेसिंग और आइसोलेशन को बढ़ाने पर हम सबका जोर होना चाहिए. उन्होंने ये भी अपील की है कि लोग अगले 15 दिनों तक घरों में बंद रहें, क्योंकि ये बहुत ही महत्वपूर्ण और चुनौती वाले समय हैं. उन्होंने घरों में ही नमाज पढ़ने को भी कहा है.

पाकिस्तान में शुक्रवार तक 242 लोगों की मौत हो चुकी थी. 11500 लोग कोविड संक्रिमत पाए गए हैं.

दुनिया के दूसरे मुस्लिम देशों ने पहले ही आदेश जारी कर दिया है कि इस बार लोग ज्यादा भीड़ इकट्ठा ना करें. इफ्तार जैसी पार्टी से बचें. दोस्तों और रिश्तेदारों को इक्ट्ठा ना होने दें.

यहां तक कि सऊदी अरब ने भी तारावीह के समय के घटा दिया है. मक्का में होने वाले बड़े आयोजन पर ब्रेक लगा दिया गया है. इंडोनेशिया, मलेशिया, मिस्र, इराक, सीरिया, लेबनान, सोमालिया ने भी ऐसे ही हुक्म जारी कर रखे हैं.

(संजीव बरुआ)

हैदराबाद : लंबे समय पहले, सैद्धांतिक भौतिकी के सबसे प्रसिद्ध और 1965 के नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड फेनमैन ने कहा था, 'धर्म विश्वास की संस्कृति है, विज्ञान संदेह की संस्कृति है.' अलग-अलग विश्वास प्रणालियों के साथ, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि विरोधाभास अब आए दिन दिखता ही रहता है. और पाकिस्तान की बात की जाए, तो उससे बेहतर और कोई उदाहरण हो नहीं सकता है.

पूरी दुनिया कोरोना महामारी का जिस तरीके से सामना कर रही है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुरुआती स्तर पर सख्ती दिखाई. लेकिन वे इसे जारी नहीं रख सके. उलेमा और पादरी के दबाव में झुक गए. उन्होंने अपने पुराने आदेश को वापस ले लिया. अब मस्जिदों में भीड़ भी एकत्रित होगी और सामाजिक दूरी में ढिलाई बरतने का नया फरमान भी जारी कर दिया.

दरअसल, रमजान के महीने में मस्जिदों में सुबह-शाम प्रार्थानाओं का आयोजन किया जाता है. शाम के समय सामूहिक प्रार्थना यानी तारावीह होता है. यह उनका अभिन्न अंग है. वे अल्ला से क्षमा याचना करते हैं.

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही खस्ताहाल है. लॉकडाउन उस पर कहर बनकर बरप रहा था. लिहाजा, इमरान ने कुछ उद्योग, कारखाने और कार्यस्थल में छूट दे दी.

हालांकि, यह दिखता जरूर है कि इमरान ने अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन में छूट दी है, लेकिन दरअसल, हकीकत ये है कि वे मौलाना के आगे झुक गए हैं. ऐसा इसलिए कि उद्योग को छूट देने का फरमान समझ में आता है, लेकिन मस्जिदों में छूट देने की क्या मजबूरी हो सकती है.

दरअसल, पाकिस्तान की मस्जिदों में बड़ी-बड़ी सभाएं शक्ति का प्रदर्शन मानी जाती हैं. जो जितनी बड़ी भईड़ इकट्ठा कर पाता है, वह उतना ही शक्तिशाली माना जाता है. ऐसे में जाहिर है, कोरोना संकट के समय इसकी इजाजत देना महामारी को आमंत्रण देने जैसा है.

पाक के शीर्ष डॉक्टरों के एक पैनल ने पहले ही प्रधान मंत्री खान को लिखा है कि वह पहले के आदेश को लागू करने के लिए कहें और देश में मस्जिद सभाओं को अनुमति न दें जो पहले से ही संक्रमित लोगों के इलाज के लिए चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं. अभी सिंध एकमात्र प्रांत है जिसने लॉकडाउन जारी रखा है.

पढ़ें -पाकिस्तान में कोरोना : 79 फीसदी मामले स्थानीय संक्रमण के, अब तक 237 मौतें

शटडाउन को लागू करने के लिए पीएम खान की स्पष्ट मंशा को शक्तिशाली सेना का समर्थन दिया गया था. शुक्रवार को इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक, मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि सेना वायरस हॉटस्पॉट और क्लस्टर के लिए ऑन स्मार्ट लॉकडाउन का समर्थन करती है. अधिक से अधिक परीक्षण, ट्रेसिंग और आइसोलेशन को बढ़ाने पर हम सबका जोर होना चाहिए. उन्होंने ये भी अपील की है कि लोग अगले 15 दिनों तक घरों में बंद रहें, क्योंकि ये बहुत ही महत्वपूर्ण और चुनौती वाले समय हैं. उन्होंने घरों में ही नमाज पढ़ने को भी कहा है.

पाकिस्तान में शुक्रवार तक 242 लोगों की मौत हो चुकी थी. 11500 लोग कोविड संक्रिमत पाए गए हैं.

दुनिया के दूसरे मुस्लिम देशों ने पहले ही आदेश जारी कर दिया है कि इस बार लोग ज्यादा भीड़ इकट्ठा ना करें. इफ्तार जैसी पार्टी से बचें. दोस्तों और रिश्तेदारों को इक्ट्ठा ना होने दें.

यहां तक कि सऊदी अरब ने भी तारावीह के समय के घटा दिया है. मक्का में होने वाले बड़े आयोजन पर ब्रेक लगा दिया गया है. इंडोनेशिया, मलेशिया, मिस्र, इराक, सीरिया, लेबनान, सोमालिया ने भी ऐसे ही हुक्म जारी कर रखे हैं.

(संजीव बरुआ)

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