इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने गिलगित-बाल्टिस्तान के चुनाव पर चर्चा करने के लिए सोमवार को बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है. संसदीय नेताओं की यह बैठक नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर द्वारा बुलाई गई है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि गिलगित-बाल्टिस्तान में 15 नवंबर को चुनाव कराए जाएंगे.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने आधिकारिक तौर पर बैठक के बहिष्कार करने के निर्णय की जानकारी दी. बिलावल भुट्टो ने ट्वीट किया कि नेशनल असेंबली के अध्यक्ष और संघीय मंत्रियों का गिलगिट-बाल्टिस्तान में चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. हम चुनाव में संघीय सरकार के हस्तक्षेप की निंदा करते हैं. हमारी पार्टी चुनाव आयोग से निष्पक्ष की मांग करेगी.
यह भी पढ़ें- मीडिया को लेकर बोले इमरान- स्वतंत्र है मीडिया, नहीं है कोई प्रतिबंध
वहीं, पाक मीडिया के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को पद से हटाने के लिए विपक्ष द्वारा नवगठित गठबंधन के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बात की और योजनाओं पर चर्चा की.
यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) के अनुसार, पाकिस्तान सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत बनाना चाहती है और इसीलिए यहां चुनाव कराने का फैसला किया है. गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को प्रांत में बदलने के इस कदम को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को समाप्त करने के लिए भारत के कदमों के लिए एक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है.
गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर पाकिस्तान के फैसले पर भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पाकिस्तान द्वारा अवैध तरीके से कब्जा किए गए गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति को बदलने के लिए किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है. हमारी स्थिति हमेशा स्पष्ट और सुसंगत रही है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख समेत पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है.