नई दिल्ली : फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अक्टूबर में होने वाली बैठक के पहले विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा कर किसी भी कीमत पर ब्लैकलिस्ट में डाल देना चाहिए. इस्लामाबाद को आतंकवादी गतिविधियों को पनाह देने, वित्तीय सहायता करने और मदद करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
ईटीवी भारत के साथ साक्षात्कार में पाकिस्तान की राजनीति और विदेश नीति के विशेषज्ञ सुब्रो कमल दत्ता (Suvro Kamal Dutta) ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करता है और भारत के संबंध में आतंकवादी संगठनों की मदद लगातार कर रहा है. पाकिस्तान पिछले 30-35 वर्षों से भारत के साथ छद्म युद्ध में लिप्त रहा है. वह लंबे समय से आतंकवाद का निर्यात कर रहा है, आगे भी ऐसा करना जारी रखेगा.
उन्होंने इस बात पर जोर डाला कि हाल ही में केरल और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खूंखार आतंकवादियों को पकड़ा है. इसमें कुछ भी नया नहीं है, क्योंकि अतीत में भी सभी सुरक्षा एजेंसियां, पुलिस और एनआईए ने समय-समय पर कई आतंकवादियों को पकड़ा है, जिनके पाकिस्तान के आईएसआई से संबंध हैं. उनका एकमात्र मिशन देश के अलग-अलग हिस्सों में समस्या और हिंसा पैदा करना था और वह भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे. यह लंबे समय से पाकिस्तान का दुर्भावनापूर्ण एजेंडा रहा है. दत्ता ने कहा कि पाकिस्तान को अपने अस्तित्त्व के लिए भारत के लिए मुसीबत खड़ी करना जरूरी है, विशेषकर कश्मीर को लेकर.
दत्ता कहते हैं कि जिस तरह के नैतिक उपदेश पाकिस्तान दुनियाभर में दे रहा है कि वह आतंकवादी संगठनों को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रहा है. साथ ही अपनी धरती से निकल रहे आतंकवाद को समाप्त करने की तमाम कोशिशें कर रहा है, वह केवल कहने भर के लिए है. पाकिस्तान कह रहा है कि वह सभी खूंखार आतंकवादियों को पकड़ने की कोशिश कर रहा है और पाकिस्तान में सभी आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर कार्रवाई कर रहा है. यह केवल सच्चाई छिपाने की उसकी कोशिश है.
उनका कहना है कि एजेंडा बहुत स्पष्ट है और इसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित किए जाने से बचने के लिए पाकिस्तान नैतिकता की बातें कर रहा है कि वह आतंकवाद पर लगाम लगाने के प्रयास कर रहा है, जबकि पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ शून्य कार्रवाई की है, विशेष रूप से उन संगठनों के खिलाफ जो पाकिस्तानी धरती से संचालित होते हैं और भारत में गुप्त गतिविधियों को अंजाम देते हैं.
इसलिए, भारत को वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से एफएटीएफ शिखर सम्मेलन में बहुत स्पष्ट कर देना चाहिए कि पाकिस्तान वैश्विक समुदाय को धोखा दे रहा है. एफएटीएफ में कार्रवाई की जानी चाहिए और पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से 'ब्लैक लिस्ट' में डाल देना चाहिए.
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान दोहरे मानकों का कार्ड खेल रहा है. एफएटीएफ के खतरे के बावजूद जो उसके सिर पर लटका हुआ है, पाकिस्तान आतंकवादियों को आश्रय दे रहा है और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकवादी रणजीत सिंह नीता सहित कई आंतकियों को वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है.
सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के पाखंड को लेकर चिंतित है, जो आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का ढोंग कर रहा है, लेकिन उन्हें वित्त पोषण दे रहा है.
दत्ता आगे कहते हैं कि लंबे समय से, पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में है और मेरी समझ में देश को 'ग्रे सूची' से हटाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह एफएटीएफ आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है. सुधार के लिए कुछ प्रतिबद्धताएं थीं, जिन्हें पाकिस्तान को टेरर फंडिंग, नार्को-टेररिज्म, मादक पदार्थों और आतंकवादी संगठनों के बीच साठगांठ पर अंकुश लगाने के लिए भी पूरा करना था. साथ ही मुंबई आतंकी संगठन, संसद हमला, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और लंदन ट्यूब रेल विस्फोट में शामिल आतंकियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करने के लिए भी वह बाध्य है, जबकि आज तक पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा या हरकत-उल-अंसार और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
एफएटीएफ ने यह भी सुझाव दिया था कि पाकिस्तान को उन सभी खूंखार वैश्विक आतंकवादी संगठनों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्हें कई देशों द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है और उन लोगों के खिलाफ भी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया है, लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा कुछ नहीं किया. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को वैश्विक मुद्दों पर कार्य करने के लिए पर्याप्त समय दिया था, इसलिए एफएटीएफ को पाकिस्तान को किसी भी कीमत पर ब्लैकलिस्ट करने की जरूरत है. सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने 21 आतंकवादियों को वीआईपी सुरक्षा दी है.
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यह ध्यान रखना उचित है कि भारत ने बार-बार पाकिस्तान को बेनकाब किया है, जो आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षण दे रहा है और उन्हें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसा रहा है.
समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जारी नई सूची के अनुपालन में पाकिस्तान ने 88 नेताओं और आतंकवादी समूहों के सदस्यों पर अधिक प्रतिबंध लगाए थे. जमात उद दावा के हाफिज सईद अहमद, जैश-ए-मोहम्मद के मोहम्मद मसूद अजहर, जकीउर रहमान लखवी और इब्राहिम इस सूची में हैं.
पाकिस्तान ने दावा किया है कि वह आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, लेकिन उसने इस बात का कोई विवरण नहीं दिया है कि उसने इनके खिलाफ क्या कार्रवाई की. पाकिस्तान आगामी अक्टूबर में एफएटीएफ की बैठक के दौरान ग्रे सूची से ब्लैकलिस्ट में जाने से खुद को बचाने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है. इसके अलावा, हाल के हफ्तों में पाकिस्तान एक तस्वीर को चित्रित करने की कोशिश कर रहा है कि उसने एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टिंग को रोकने के लिए कई विधेयक पारित करने के साथ और भी सुधार लागू करने शुरू कर दिए हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार एक भ्रम पैदा कर रही है और संयुक्त राष्ट्र में आतंकियों की सूची में भारतीय नागरिकों का नाम रखने की उसकी कोशिश वास्तविकता से खुद को अलग करने के लिए पाखंड का उच्चतम रूप है. वास्तविकता यह है कि चाहे पाकिस्तानी सरकार में अधिकारी हों या आईएसआई में या सेना में, सभी के खूंखार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के साथ स्पष्ट समझौते हैं.
एफएटीएफ का मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण तकनीकों की समीक्षा करना और नए जोखिमों को संबोधित करने के लिए अपने मानकों को लगातार मजबूत करना है, जैसे कि आभासी परिसंपत्तियों का विनियमन, जो क्रिप्टोकरेंसी के रूप में व्यापक और लोकप्रिय हो गया है. पाकिस्तान जून 2018 से ग्रे सूची में है और सरकार को फरवरी में अंतिम चेतावनी दी गई थी कि वह जून 2020 तक शेष कार्रवाई पूरा करे.
हाल ही में, एशिया-प्रशांत समूह बहुपक्षीय प्रहरी के एक क्षेत्रीय सहयोगी ने, 15 और 16 सितंबर को एक वर्जुअल बैठक में आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन के लिए पाकिस्तान के कार्यों की समीक्षा की और सूत्रों के अनुसार, चीन ने आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण के लिए पाकिस्तान की कार्रवाई का समर्थन किया, इस तथ्य के बावजूद कि उसने कार्य योजना के 27 में से 13 बिंदुओं पर पूरी तरह से काम नहीं किया है.