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पाकिस्तान की अदालत ने 86 कट्टरपंथियों को 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई

पाकिस्तान के रावलपिंडी की अदालत ने कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को सजा सुनाई है. दरअसल 2018 में वह हिंसक रैलियों में शामिल हुए थे. इस मामले की सुनवाई एक साल से चल रही थी. सजा पाने वालों में पार्टी के मुखिया का भाई भी शामिल है. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jan 17, 2020, 10:18 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक अदालत ने एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को 2018 में हिंसक रैलियों में हिस्सा लेने के लिए 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. पार्टी के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ईशनिंदा के एक मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने को लेकर ये रैलियां निकाली गईं थीं.

रावलपिंडी की एक अदालत ने बृहस्पतिवार की रात को फैसला सुनाया. सुनवाई एक वर्ष से ज्यादा समय तक चली. कट्टरपंथी तहरीक ए लबैक पार्टी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी ने कहा कि सजा को चुनौती दी जाएगी.

जिन लोगों को सजा दी गई है उनमें आमिर हुसैन रिजवी भी शामिल है जो पार्टी के मुखिया खादिम हुसैन रिजवी का भाई है.

अशरफी ने कहा, 'न्याय नहीं हुआ है. हम फैसले को चुनौती देंगे.' 86 लोगों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोगों को पीटने और उस वर्ष आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ धरना देकर सामान्य जनजीवन बाधित करने के आरोप हैं.

बीबी को 2009 में ईशनिंदा का दोषी पाया गया था और इस्लाम के अपमान के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. खेतों में काम करने वाले अन्य मजदूरों द्वारा उस बर्तन से पानी पीने से इंकार करने के कारण बीबी की लड़ाई हुई थी, जिसमें एक ईसाई मतावलंबी ने पानी पीया था. उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से हमेशा इन्कार किया.

पढ़ें-सैन्य प्रवक्ता के पद से हटाए गए मेजर जनरल आसिफ गफूर, पंजाब प्रांत में भेजे गए

देश के उच्चतम न्यायालय ने 2018 में उनकी सजा को पलट दिया लेकिन कट्टरपंथी इस्लामियों ने फैसले के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया, जिस कारण अधिकारी उन्हें एहतियाती हिरासत में रखा गया और फिर पिछले वर्ष कनाडा जाने दिया ताकि वहां अपने परिवार के साथ रह सकें.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक अदालत ने एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को 2018 में हिंसक रैलियों में हिस्सा लेने के लिए 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई है. पार्टी के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ईशनिंदा के एक मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने को लेकर ये रैलियां निकाली गईं थीं.

रावलपिंडी की एक अदालत ने बृहस्पतिवार की रात को फैसला सुनाया. सुनवाई एक वर्ष से ज्यादा समय तक चली. कट्टरपंथी तहरीक ए लबैक पार्टी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी ने कहा कि सजा को चुनौती दी जाएगी.

जिन लोगों को सजा दी गई है उनमें आमिर हुसैन रिजवी भी शामिल है जो पार्टी के मुखिया खादिम हुसैन रिजवी का भाई है.

अशरफी ने कहा, 'न्याय नहीं हुआ है. हम फैसले को चुनौती देंगे.' 86 लोगों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोगों को पीटने और उस वर्ष आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ धरना देकर सामान्य जनजीवन बाधित करने के आरोप हैं.

बीबी को 2009 में ईशनिंदा का दोषी पाया गया था और इस्लाम के अपमान के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. खेतों में काम करने वाले अन्य मजदूरों द्वारा उस बर्तन से पानी पीने से इंकार करने के कारण बीबी की लड़ाई हुई थी, जिसमें एक ईसाई मतावलंबी ने पानी पीया था. उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से हमेशा इन्कार किया.

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देश के उच्चतम न्यायालय ने 2018 में उनकी सजा को पलट दिया लेकिन कट्टरपंथी इस्लामियों ने फैसले के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया, जिस कारण अधिकारी उन्हें एहतियाती हिरासत में रखा गया और फिर पिछले वर्ष कनाडा जाने दिया ताकि वहां अपने परिवार के साथ रह सकें.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 15:52 HRS IST




             
  • पाकिस्तान की अदालत ने 86 कट्टरपंथियों को 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई



इस्लामाबाद, 17 जनवरी (एपी) पाकिस्तान की एक अदालत ने एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के 86 सदस्यों को 2018 में हिंसक रैलियों में हिस्सा लेने के लिए 55 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ईशनिंदा के एक मामले में एक ईसाई महिला को बरी किए जाने को लेकर ये रैलियां निकाली गईं थीं।







रावलपिंडी की एक अदालत ने बृहस्पतिवार की रात को फैसले सुनाया। सुनवाई एक वर्ष से ज्यादा समय तक चली। कट्टरपंथी तहरीक ए लबैक पार्टी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी ने कहा कि सजा को चुनौती दी जाएगी।







जिन लोगों को सजा दी गई है उनमें आमिर हुसैन रिजवी भी शामिल है जो पार्टी के मुखिया खादिम हुसैन रिजवी का भाई है।







अशरफी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘न्याय नहीं हुआ है। हम फैसले को चुनौती देंगे।’’ 86 लोगों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोगों को पीटने और उस वर्ष आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ धरना देकर सामान्य जनजीवन बाधित करने के आरोप हैं।







बीबी को 2009 में ईशनिंदा का दोषी पाया गया था और इस्लाम के अपमान के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। खेतों में काम करने वाले अन्य मजदूरों द्वारा उस बर्तन से पानी पीने से इंकार करने के कारण बीबी की लड़ाई हुई थी जिसमें एक ईसाई मतावलंबी ने पानी पीया था। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से हमेशा इन्कार किया।







देश के उच्चतम न्यायालय ने 2018 में उनकी सजा को पलट दिया लेकिन कट्टरपंथी इस्लामियों ने फैसले के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किया, जिस कारण अधिकारी उन्हें एहतियाती हिरासत में रखा गया और फिर पिछले वर्ष कनाडा जाने दिया ताकि वहां अपने परिवार के साथ रह सकें।



एपी नीरज पवनेश पवनेश 1701 1552 इस्लामाबाद


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