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अफगानिस्तान में तालिबान शासन से भागने वाले लोगों की पाक झुग्गी बस्ती में संख्या बढ़ी - कराची

अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत में तालिबान के द्वारा कब्जा किए जाने के बाद से वहां अफगान नागरिक भागकर पाकिस्तान के कराची के बाहर झुग्गी बस्ती में पहुंच रहे हैं. यही वजह है कि इस बस्ती में विस्थापितों की संख्या काफी अधिक हो गई है.

तालिबान शासन
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Published : Aug 21, 2021, 1:25 PM IST

कराची : पाकिस्तान के घनी आबादी वाले शहर कराची के बाहरी इलाकों में एक झुग्गी बस्ती है जहां हाल के दिनों में उत्तरी कुंदुज प्रांत में तालिबान शासन से भागकर आ रहे अफगान परिवारों की आमद बढ़ गई है.

कराची के बाहर राजमार्ग से कुछ दूर उत्तरी सीमावर्ती इलाके में स्थित, कंक्रीट और मिट्टी के घरों से बनी अफगान बस्ती (झुग्गी बस्ती), जहां तिरपाल तंबू लगाकर रहने वाले परिवार भी हैं, वहां अफगानिस्तान पर और काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अधिक विस्थापित अफगान परिवारों का प्रवाह देखा जा रहा है.

कराची में पिछले 25 वर्षों से रह रहे एक बुजुर्ग अफगान हाजी अब्दुल्ला ने कहा, 'हमें आश्चर्य नहीं हुआ और पिछले दो हफ्तों में यहां 500 से 600 परिवार आए हैं, जिसका मतलब है कि महिलाओं और बच्चों समेत करीब चार से पांच हजार लोग होंगे जो हमारे साथ बस्ती में रहने आएंगे.'

ये भी पढ़ें - अफगानिस्तान में 'सकारात्मक भूमिका' निभाने के लिए प्रतिबद्ध है पाक : कुरैशी

उन्होंने कहा, 'इन परिवारों के पास कहीं और जाने के लिए नहीं है और ज्यादातर कुंदुज और अन्य प्रांतों के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं जहां तालिबान ने कब्जा कर लिया है. ये बलोचिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में तस्करी के रास्ते से आए हैं.'

करीब 2,00,000 अफगान झुग्गी बस्ती में रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी शहर कराची में भी 5,00,000 अफगान शरणार्थियों का घर है, जो ज्यादातर शहर में मजदूरों के रूप में काम करते हैं या पश्तून बहुल इलाकों में अपनी छोटी दुकानें और व्यवसाय चलाते हैं.

इनमें से कई अफगान संपन्न भी हैं और कराची के समृद्ध इलाकों में कपड़ा, निर्माण और फर्नीचर व्यवसाय चलाते हैं और वहां किराए के घरों और अपार्टमेंट में भी रहते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

कराची : पाकिस्तान के घनी आबादी वाले शहर कराची के बाहरी इलाकों में एक झुग्गी बस्ती है जहां हाल के दिनों में उत्तरी कुंदुज प्रांत में तालिबान शासन से भागकर आ रहे अफगान परिवारों की आमद बढ़ गई है.

कराची के बाहर राजमार्ग से कुछ दूर उत्तरी सीमावर्ती इलाके में स्थित, कंक्रीट और मिट्टी के घरों से बनी अफगान बस्ती (झुग्गी बस्ती), जहां तिरपाल तंबू लगाकर रहने वाले परिवार भी हैं, वहां अफगानिस्तान पर और काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अधिक विस्थापित अफगान परिवारों का प्रवाह देखा जा रहा है.

कराची में पिछले 25 वर्षों से रह रहे एक बुजुर्ग अफगान हाजी अब्दुल्ला ने कहा, 'हमें आश्चर्य नहीं हुआ और पिछले दो हफ्तों में यहां 500 से 600 परिवार आए हैं, जिसका मतलब है कि महिलाओं और बच्चों समेत करीब चार से पांच हजार लोग होंगे जो हमारे साथ बस्ती में रहने आएंगे.'

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उन्होंने कहा, 'इन परिवारों के पास कहीं और जाने के लिए नहीं है और ज्यादातर कुंदुज और अन्य प्रांतों के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं जहां तालिबान ने कब्जा कर लिया है. ये बलोचिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में तस्करी के रास्ते से आए हैं.'

करीब 2,00,000 अफगान झुग्गी बस्ती में रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी शहर कराची में भी 5,00,000 अफगान शरणार्थियों का घर है, जो ज्यादातर शहर में मजदूरों के रूप में काम करते हैं या पश्तून बहुल इलाकों में अपनी छोटी दुकानें और व्यवसाय चलाते हैं.

इनमें से कई अफगान संपन्न भी हैं और कराची के समृद्ध इलाकों में कपड़ा, निर्माण और फर्नीचर व्यवसाय चलाते हैं और वहां किराए के घरों और अपार्टमेंट में भी रहते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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