ETV Bharat / international

पाकिस्तान में जाधव की सजा की समीक्षा करेगी संसदीय समिति

author img

By

Published : Oct 22, 2020, 2:01 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 2:09 PM IST

पाकिस्तान में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की सजा को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के तहत एक विधेयक लाया गया है, जिसमें जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने की मांग की गई है. पढ़ें विस्तार से...

Kulbhushan Jadhav
कुलभूषण जाधव

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसदीय समिति ने सरकार के उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों के अनुरूप भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने की मांग की गई है.

मीडिया में आज प्रकाशित खबर के मुताबिक, 'अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश' शीर्षक से प्रस्तुत मसौदा विधेयक पर नेशनल असेंबली की विधि एवं न्याय से संबंधित स्थायी समिति ने विपक्ष के तीखे विरोध के बावजूद बुधवार को चर्चा की और इसे अपनी मंजूरी दी.

समिति की बहस में हिस्सा लेते हुए पाकिस्तान की न्याय एवं विधि मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के तहत लाया गया है.

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विधेयक को संसद मंजूरी नहीं देती तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का अनुपालन नहीं करने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.

उल्लेखनीय है कि जासूसी और आतंकवाद में शामिल होने के आरोप में भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.

भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अदालत के फैसले और जाधव को राजनयिक संपर्क देने से इनकार करने के खिलाफ वर्ष 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था.

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले की प्रभावी तरीके से समीक्षा करे और पुनर्विचार करे. इसके साथ ही अदालत ने भारत को बिना देरी जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया.

डान अखबार के मुताबिक स्थायी समिति में विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और जमीयत उलेमा -ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के सदस्यों ने अध्यक्ष रियाज फत्याना से अनुरोध किया कि वह इस विधेयक को खारिज कर दें.

हालांकि, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) से संबंध रखने वाले फत्याना ने गतिरोध को मतदान से सुलझाने का फैसला किया. उन्होंने पीटीआई के दो सदस्यों को भी मतदान से पहले बैठक में जाने से रोकने का प्रयास किया.

खबर के मुताबिक समिति के आठ सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि पांच सदस्य इसके विरोध में रहे.

विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को जाधव के लिए राष्ट्रीय मेल-मिलाप अध्यादेश(एनआरओ) करार दिया है.

उललेखनीय है कि एनआरओ को पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल (अवकाशप्राप्त) परवेज मुशर्रफ ने तब देश के निर्वासित राजनीतिक नेतृत्व के लिए जारी किया गया था जिसमें राजनेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों को वापस ले लिया गया था.

जेयूआई-एफ की आलिया कामरान ने आरोप लगाया कि सरकार देश की अवस्थापना को यह कहकर भ्रमित कर रही है कि वह विधेयक जाधव के लिए नहीं ला रही है. उन्होंने कहा कि विधेयक को आम बहस के लिए जनता और बार एसोसिएशन के समक्ष रखना चाहिए.

कामरान ने कहा, 'विधेयक गैर जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने पहले ही अपने फैसले में कह दिया है कि संवैधानिक अदालतें सैन्य अदालतों के फैसलों की समीक्षा कर सकती हैं.'

पीपीपी के सैयद नवीद कमर ने कहा कि विधेयक के जरिये सरकार जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील से राहत देना चाहती है जो पाकिस्तानी नागरिकों को भी उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने कहा कि जाधव को एनआरओ देने के लिए लाए जा रहे इस विधेयक का हम विरोध करते हैं.

पढ़ें - कुलभूषण जाधव के लिए वकील रखने की मांग को पाक ने फिर किया खारिज

विधि मंत्रालय ने कहा कि वह इस विधेयक के जरिये भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान के खिलाफ संभावित अवमानना का मुकदमा दर्ज करने से रोकना चाहता है.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता और मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रेषित किया जाता है तो देश को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.

मंत्री ने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप अनुमति दिए जाने के बावजूद न तो भारत ने और न ही कुलभूषण जाधव ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में राहत के लिए याचिका दायर की है.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसदीय समिति ने सरकार के उस विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों के अनुरूप भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करने की मांग की गई है.

मीडिया में आज प्रकाशित खबर के मुताबिक, 'अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश' शीर्षक से प्रस्तुत मसौदा विधेयक पर नेशनल असेंबली की विधि एवं न्याय से संबंधित स्थायी समिति ने विपक्ष के तीखे विरोध के बावजूद बुधवार को चर्चा की और इसे अपनी मंजूरी दी.

समिति की बहस में हिस्सा लेते हुए पाकिस्तान की न्याय एवं विधि मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन के तहत लाया गया है.

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विधेयक को संसद मंजूरी नहीं देती तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का अनुपालन नहीं करने पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.

उल्लेखनीय है कि जासूसी और आतंकवाद में शामिल होने के आरोप में भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी.

भारत ने पाकिस्तान के सैन्य अदालत के फैसले और जाधव को राजनयिक संपर्क देने से इनकार करने के खिलाफ वर्ष 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था.

हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई 2019 में दिए फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले की प्रभावी तरीके से समीक्षा करे और पुनर्विचार करे. इसके साथ ही अदालत ने भारत को बिना देरी जाधव तक राजनयिक पहुंच देने का आदेश दिया.

डान अखबार के मुताबिक स्थायी समिति में विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और जमीयत उलेमा -ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के सदस्यों ने अध्यक्ष रियाज फत्याना से अनुरोध किया कि वह इस विधेयक को खारिज कर दें.

हालांकि, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) से संबंध रखने वाले फत्याना ने गतिरोध को मतदान से सुलझाने का फैसला किया. उन्होंने पीटीआई के दो सदस्यों को भी मतदान से पहले बैठक में जाने से रोकने का प्रयास किया.

खबर के मुताबिक समिति के आठ सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि पांच सदस्य इसके विरोध में रहे.

विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को जाधव के लिए राष्ट्रीय मेल-मिलाप अध्यादेश(एनआरओ) करार दिया है.

उललेखनीय है कि एनआरओ को पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल (अवकाशप्राप्त) परवेज मुशर्रफ ने तब देश के निर्वासित राजनीतिक नेतृत्व के लिए जारी किया गया था जिसमें राजनेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों को वापस ले लिया गया था.

जेयूआई-एफ की आलिया कामरान ने आरोप लगाया कि सरकार देश की अवस्थापना को यह कहकर भ्रमित कर रही है कि वह विधेयक जाधव के लिए नहीं ला रही है. उन्होंने कहा कि विधेयक को आम बहस के लिए जनता और बार एसोसिएशन के समक्ष रखना चाहिए.

कामरान ने कहा, 'विधेयक गैर जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने पहले ही अपने फैसले में कह दिया है कि संवैधानिक अदालतें सैन्य अदालतों के फैसलों की समीक्षा कर सकती हैं.'

पीपीपी के सैयद नवीद कमर ने कहा कि विधेयक के जरिये सरकार जाधव को सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील से राहत देना चाहती है जो पाकिस्तानी नागरिकों को भी उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने कहा कि जाधव को एनआरओ देने के लिए लाए जा रहे इस विधेयक का हम विरोध करते हैं.

पढ़ें - कुलभूषण जाधव के लिए वकील रखने की मांग को पाक ने फिर किया खारिज

विधि मंत्रालय ने कहा कि वह इस विधेयक के जरिये भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान के खिलाफ संभावित अवमानना का मुकदमा दर्ज करने से रोकना चाहता है.

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता और मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रेषित किया जाता है तो देश को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.

मंत्री ने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के अनुरूप अनुमति दिए जाने के बावजूद न तो भारत ने और न ही कुलभूषण जाधव ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में राहत के लिए याचिका दायर की है.

Last Updated : Oct 22, 2020, 2:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.