इस्लामाबाद : पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में पाक की कौमी असेंबली ने ध्वनिमत से अध्यादेश की अवधि चार महीने बढ़ा दी है. इस अध्यादेश की अवधि दो दिनों बाद समाप्त होने वाली थी.
दरअसल, 'डॉन न्यूज' की खबर के अनुसार गत मई में जारी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश की अवधि 17 सितम्बर को समाप्त होने वाली थी. हालांकि, पाक की संसद ने सोमवार को विधेयक की अवधि बढ़ाने को मंजूरी दे दी.
यह अध्यादेश अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के उस फैसले को लागू करने के लिए जारी किया गया था जिसमें पाकिस्तान से कहा गया था कि वह जाधव को एक सैन्य अदालत द्वारा सुनायी गई सजा की एक प्रभावी समीक्षा मुहैया कराए.
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (50) को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनायी थी.
पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से अदालत में जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील नियुक्त करने का अनुरोध किया है.
अदालत ने गत तीन सितम्बर को मामले की सुनवायी दूसरी बार की और संघीय सरकार को निर्देश दिया कि वह भारत को जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील नियुक्त करने का 'एक और मौका दे.'
पाकिस्तान ने गत सप्ताह कहा था कि उसने अदालत में जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील नियुक्त करने को लेकर न्यायिक आदेशों से भारत को अवगत करा दिया है लेकिन नयी दिल्ली ने कोई जवाब नहीं दिया है.
गत 16 जुलाई को, पाकिस्तान ने जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान की थी लेकिन भारत सरकार ने कहा कि उक्त पहुंच 'न तो सार्थक है और न ही विश्वसनीय' और वह (जाधव) तनाव में दिखाई दिये.
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भारत ने कहा कि पाकिस्तान न केवल आईसीजे के फैसले का उल्लंघन कर रहा है, बल्कि अपने अध्यादेश का भी. भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे से संपर्क किया था.
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हेग स्थित आईसीजे ने पिछले साल जुलाई में फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि और सजा की 'प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार' करना चाहिए और साथ ही बिना किसी और देरी के भारत को राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए.
पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को ईरान से कथित तौर पर घुसने के बाद बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके व्यापारिक हित थे.