इस्लामाबाद : पाकिस्तान में आतंकवाद रोधी एक अदालत ने सिंध प्रांत स्थित एक दरगाह पर हमले के मामले में सोमवार को दो आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई. इस हमले में 82 सूफी श्रद्धालु मारे गए थे.
पुलिस के अनुसार, नादिर अली और फुरकान की पहचान सीसीटीवी फुटेज के जरिए प्रत्यक्षदर्शियों तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट मुश्ताक अली जोखिओ ने की थी.
दोनों आतंकवादियों को सिंध प्रांत के सेहवान शरीफ क्षेत्र में 2017 में हुए हमले के मामले में दोषी पाया गया था.
सेहवान शरीफ स्थित लाल शाहबाज कलंदर दरगाह पर 16 फरवरी 2017 को हुए आतंकी हमले में 82 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे.
आतंकी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी.
यह विस्फोट तब हुआ था, जब सूफी मुसलमान धमाल रस्म का आयोजन करने के लिए एकत्र हो रहे थे.
सलाफी विचारधारा के इस्लामिक स्टेट, तालिबान और अलकायदा जैसे आतंकी समूह सूफी मुसलमानों को इस्लाम विरोधी मानते हैं.
दोषी ठहराए गए दोनों आतंकियों ने हमले से एक दिन पहले आत्मघाती हमलावर के साथ दरगाह क्षेत्र की टोह ली थी.
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एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, जोखिओ ने अदालत में अपने बयान में अली की पहचान की थी और कहा था कि उसने आतंकवादियों को मदद उपलब्ध कराने का गुनाह कबूल किया था.
दरगाह की देखरेख करने वाले लोगों ने भी दोषियों की पहचान की थी और कहा था कि वे एक-दूसरे को बधाई देते हुए देखे गए थे.