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जज और सैन्य अधिकारी वाणिज्यिक भूखंड के हकदार नहीं : पाक कोर्ट

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Published : Oct 9, 2020, 9:06 PM IST

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास परियोजना के वास्ते भूमि के अधिग्रहण से संबंधित मामले में विस्तृत निर्णय सुनाते हुए टिप्पणी की कि पाक के जज और सैन्य अधिकारी वाणिज्यिक भूखंड के हकदार नहीं होंगे.

pak court on commercial land for judicial and other officers
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के एक सीनियर न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के एक सीनियर न्यायाधीश ने कहा कि देश के न्यायाधीश और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी न तो संविधान और न ही किसी कानून के तहत आवासीय या वाणिज्यिक भूखंड पाने के हकदार हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के न्यायमूर्ति काजी फाइज ईसा ने बृहस्पतिवार को चार न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास परियोजना के वास्ते भूमि के अधिग्रहण से संबंधित मामले में विस्तृत निर्णय सुनाए जाने के अतिरिक्त यह टिप्पणी की.

समाचार पत्र 'डॉन' की खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति ईसा ने कहा कि संविधान और कानून (राष्ट्रपति का आदेश) के तहत बड़ी अदालतों के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश भूखंड हासिल करने के हकदार नहीं हैं.

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान में चीनी एप टिकटॉक पर प्रतिबंध

उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि सशस्त्र बलों के वरिष्ठ सदस्यों को भूखंड और कृषि भूमि मिलती है और रैंक बढ़ने पर उन्हें अतिरिक्त भूखंड और कृषि भूमि दी जाती है. ईसा ने कहा कि वह न तो संविधान और न ही कानून के तहत रिहायशी या वाणिज्यिक भूमि पाने के हकदार हैं.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के एक सीनियर न्यायाधीश ने कहा कि देश के न्यायाधीश और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी न तो संविधान और न ही किसी कानून के तहत आवासीय या वाणिज्यिक भूखंड पाने के हकदार हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के न्यायमूर्ति काजी फाइज ईसा ने बृहस्पतिवार को चार न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास परियोजना के वास्ते भूमि के अधिग्रहण से संबंधित मामले में विस्तृत निर्णय सुनाए जाने के अतिरिक्त यह टिप्पणी की.

समाचार पत्र 'डॉन' की खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति ईसा ने कहा कि संविधान और कानून (राष्ट्रपति का आदेश) के तहत बड़ी अदालतों के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश भूखंड हासिल करने के हकदार नहीं हैं.

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उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि सशस्त्र बलों के वरिष्ठ सदस्यों को भूखंड और कृषि भूमि मिलती है और रैंक बढ़ने पर उन्हें अतिरिक्त भूखंड और कृषि भूमि दी जाती है. ईसा ने कहा कि वह न तो संविधान और न ही कानून के तहत रिहायशी या वाणिज्यिक भूमि पाने के हकदार हैं.

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