लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमले के सरगना हाफिज सईद और गैर-कानूनी संगठन जमात-उद-दावा और उसकी तथाकथित धर्मार्थ संस्था फलाह-ए-इंसानियत के 67 अन्य नेताओं की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में अपने खिलाफ दर्ज 23 प्राथमिकियों को रद्द करने की अपील की थी.
न्यायाधीश मोहम्मद कासिम खान की अध्यक्षता वाली लाहौर उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के वकील प्रत्येक प्राथमिकी के खिलाफ अलग से याचिकाएं दायर कर सकते हैं.
सईद के वकील ए के दोगर ने दलील दी कि जिन संपत्तियों का जिक्र किया गया है, उनका इस्तेमाल कभी भी आतंकवाद के वित्तपोषण के लिये नहीं किया गया और इस तरह के 'झूठे आरोपों' के पक्ष में कोई सबूत मौजूद नहीं है.
उन्होंने कहा कि सईद और जमात के अन्य नेताओं को लश्कर-ए-तैयबा का नेता बताना तथ्यात्मक और कानूनी रूप से गलत है.
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गौरतलब है कि आतंकवाद रोधी विभाग ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में 23 प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं और 17 जुलाई को सईद को गिरफ्तार कर लिया था. उसे लाहौर की कोट लखपत जेल में हिरासत में रखा गया है.