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पाकिस्तान : बलूच महिला की उसके बच्चों के सामने नृशंस हत्या

पाकिस्तान आर्मी की बलूचिस्तान में बलूच प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमनकारी नीति जारी है. यहां एक और बलूच महिला की हत्या का मामला सामने आया है. महिला की पहचान कुलसुम बलूच के रूप में हुई है. पढ़ें पूरी खबर...

baloch protesters
बलूच प्रदर्शनकारी
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Published : Jun 17, 2020, 3:48 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान आर्मी की बलूचिस्तान में बलूच प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमनकारी नीति जारी है. यहां एक और बलूच महिला की हत्या का मामला सामने आया है. महिला की पहचान कुलसुम बलूच के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि अपराधियों ने महिला के बच्चों के सामने उसका गला काट दिया था.

बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि रविवार की रात दाज़िन में पाकिस्तान सेना समर्थित लुटेरों ने घर में घुसकर कुलसुम बलूच की हत्या कर दी.

मृतक महिला के परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि कुलसुम की नृशंस हत्या के बाद उनके बच्चे अभी भी सदमे में हैं. अभी भी वे बेहोश हैं.

बलूच कार्यकर्ताओं का मानना ​​है कि ये केवल डकैती की घटनाएं नहीं हैं. बल्कि सरकार और सेना समर्थित पूर्व-नियोजित हमले हैं जो बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं को डराने और उनकी आवाज को दबाने के लिए करवाए जा रहे हैं.

भारत-चीन तनाव : पाक आर्मी चीफ की आईएसआई के साथ कश्मीर मुद्दे पर चर्चा

बलूच पत्रकार सोहैब बलूच ने ट्वीट किया, 'क्या दन्नुक और दाज़िन की घटनाएं सिर्फ लूटपाट की हैं? ऐसा लगता है कि 'मौत के दस्तों' का इस्तेमाल बलूच कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए किया जा रहा है कि उनके परिवारों को भी निशाना बनाया जा सकता है.'

इस्लामाबाद : पाकिस्तान आर्मी की बलूचिस्तान में बलूच प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दमनकारी नीति जारी है. यहां एक और बलूच महिला की हत्या का मामला सामने आया है. महिला की पहचान कुलसुम बलूच के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि अपराधियों ने महिला के बच्चों के सामने उसका गला काट दिया था.

बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि रविवार की रात दाज़िन में पाकिस्तान सेना समर्थित लुटेरों ने घर में घुसकर कुलसुम बलूच की हत्या कर दी.

मृतक महिला के परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि कुलसुम की नृशंस हत्या के बाद उनके बच्चे अभी भी सदमे में हैं. अभी भी वे बेहोश हैं.

बलूच कार्यकर्ताओं का मानना ​​है कि ये केवल डकैती की घटनाएं नहीं हैं. बल्कि सरकार और सेना समर्थित पूर्व-नियोजित हमले हैं जो बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं को डराने और उनकी आवाज को दबाने के लिए करवाए जा रहे हैं.

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बलूच पत्रकार सोहैब बलूच ने ट्वीट किया, 'क्या दन्नुक और दाज़िन की घटनाएं सिर्फ लूटपाट की हैं? ऐसा लगता है कि 'मौत के दस्तों' का इस्तेमाल बलूच कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए किया जा रहा है कि उनके परिवारों को भी निशाना बनाया जा सकता है.'

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