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श्रीलंका में डूबे पोत से समुद्री जीवन पर गंभीर खतरा, तेल रिसाव रोकने में जुटे अधिकारी - X-Press Pearl

श्रीलंका के अधिकारियों ने कहा कि सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत में आग लगने के बाद आंशिक रूप से डूबे जहाज से संभावित तेल रिसाव को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. श्रीलंकाई नौसेना, श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण और भारतीय तटरक्षक जले हुए पोत से तेल के रिसाव का पता लगाने और उसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं.

सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत में आग
सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत में आग
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Published : Jun 4, 2021, 9:30 PM IST

कोलंबोः श्रीलंका के अधिकारियों ने कहा कि सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत में आग लगने के बाद आंशिक रूप से डूबे जहाज से संभावितत तेल रिसाव को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. अधिकारी तेल रिसाव को रोकने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि श्रीलंकाई नौसेना (Sri Lankan Navy), श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (Sri Lanka Ports Authority) और भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard) जले हुए पोत से तेल के रिसाव का पता लगाने और उसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पोत 'एक्स-प्रेस पर्ल' (X-Press Pearl) अब भी पानी में आधा डूबा हुआ है जिसका पिछला हिस्सा 21 मीटर की गहराई में उथले तल में फंस गया है.

अब तक अस्पष्ट है स्थिति - अभियान टीम

श्रीलंकाई नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन इंडिका डीसिल्वा (Captain Indica D'Silva) ने कहा कि पोत जब नदी तल से टकरा जाए तो उसे कुछ 100 मीटर की दूरी तक खींच कर लाया जा सकता है. जहाज का पिछला हिस्सा नीचे लग गया है जबकि आगे का हिस्सा पानी के ऊपर है.

अभियान टीम ने कहा है कि यह अब भी साफ नहीं है कि पोत में 20 मई को लगी आग के बाद से उसमें रखा गया 300 टन बंकर तेल (पोतों पर इस्तेमाल होने वाला इंधन) प्रभावित हुआ है या नहीं.

बता दें कि मालवाहक पोत (cargo vessel), गुजरात के हजीरा से सौंदर्य प्रसाधनों के लिए रसायन एवं कच्चे माल की खेप ले जा रहा था. लेकिन, 20 मई को कोलंबो बंदरगाह (Colombo port) के बाहर श्रीलंकाई जलक्षेत्र में उसमें आग लग गई थी.

पोत के चालक दल के सभी 25 सदस्यों (भारतीय, चीनी, फिलिपीनी और रूसी नागरिकों) को 21 मई को सुरक्षित निकाला गया था.

पढ़ेंः इंडोनेशिया के द्वीप पर फंसी नौका में 81 रोहिंग्या मिले

रिसाव को रोकने के लिए उपाय करें सैल्वर - एमईपीए

समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (Marine Environmental Protection Authority- MEPA) की अध्यक्ष दर्शनी लहंदपुरा (Darshani Lahandpura) ने कहा कि सैल्वर (राहत कार्य करने वाले) को वहां किसी भी तरह के रिसाव को रोकने की सलाह दी गई है. उन्हें यह भी कहा गया है कि जब भी संभव हो, तेल को बाहर निकालने की कार्रवाई करें और रिसाव को रोकने के लिए बचाव उपाय भी करें.

उन्होंने कहा कि इस काम में भारतीय तटरक्षक की सहायता की भी जरूरत हैं.

लहंदपुरा ने कहा कि भारतीय तटरक्षक पोत यहां हैं. वे मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उनके पास संसाधन हैं.

श्रीलंकाई नौसेना की मदद को आगे आया भारतीय तटरक्षक

भारत की ओर से आग बुझाने में श्रीलंकाई नौसेना की मदद के लिए 25 मई को आईसीजी वैभव (ICG Vaibhav), आईसीजी डॉर्नियर (ICG Dornier) और टग वाटर लिली (Tug Water Lily) को भेजा गया था. भारत का विशिष्ट प्रदूषण प्रतिक्रिया पोत समुद्र प्रहरी 29 मई को वहां पहुंचा. भारत ने राहत प्रयासों को 'ऑपरेशन सागर सुरक्षा दो' नाम दिया है.

एमईपीए ने तेल रिसाव की आशंका को लेकर स्थिति पर करीब से नजर रखने के लिए हर 3 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है. अंतरराष्ट्रीय कंपनी, ऑयल स्पिल रिस्पॉन्स लिमिटेड (Oil Spill Response Limited-OSRL) भी तेल रिसाव को रोकने के प्रयास में शामिल हो गई है.

यह भी पढ़ेंः ट्रंप ने एक महीने बाद ही अपना ब्लॉग स्थायी रूप से बंद किया

तेल रिसाव का अब तक कोई संकेत- दया रत्नायके

श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के प्रमुख दया रत्नायके (Daya Ratnayake) ने कहा कि पोत में खतरनाक सामग्री थी - जो पूरी तरह श्रीलंका के लिए नहीं थी. उसमें नाइट्रिक एसिड है. इसमें रखे गए 81 कंटेनरों के अन्य रसायनों में 25 टन नाइट्रिक एसिड है. उन्होंने कहा कि तेल रिसाव का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है.

विभिन्न विभाग ने शुरू कर दी मामले की जांच

पुलिस के प्रवक्ता अजित रोहना (Ajit Rohna) ने कहा कि पुलिस का अपराध जांच विभाग (crime investigation department) मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है. चालक दल के सदस्यों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं.

अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने मुख्य अधिकारी से पूछताछ कर पोत के कंटेनर भंडारण योजना की जानकारी ली है. यह पोत में रखे गए नाइट्रिक एसिड के कंटेनरों का पता लगाने के लिए जरूरी है.

मर्चेंट नेवी कार्यालय (Merchant Navy Office) ने कहा कि पोत की मालिकाना कंपनी और बीमा कंपनियों ने अब तक के राहत बचाव कार्यों के लिए अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने पर सहमति जताई है.

इस बीच, सिंगापुर के समुद्री एवं बंदरगाह प्राधिकरण ने इस मामले में अपनी खुद की जांच शुरू कर दी है.

श्रीलंकाई पर्यावरणविदों (Sri Lankan Environmentalists) ने इस घटना को देश के इतिहास की सबसे बुरी, पारिस्थितिकी तंत्र की आपदा बताया है और समुद्री जीवन एवं मत्स्य उद्योग को खतरा होने की आशंका के प्रति आगाह किया है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलंबोः श्रीलंका के अधिकारियों ने कहा कि सिंगापुर के स्वामित्व वाले पोत में आग लगने के बाद आंशिक रूप से डूबे जहाज से संभावितत तेल रिसाव को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. अधिकारी तेल रिसाव को रोकने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि श्रीलंकाई नौसेना (Sri Lankan Navy), श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (Sri Lanka Ports Authority) और भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard) जले हुए पोत से तेल के रिसाव का पता लगाने और उसे रोकने के लिए काम कर रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि पोत 'एक्स-प्रेस पर्ल' (X-Press Pearl) अब भी पानी में आधा डूबा हुआ है जिसका पिछला हिस्सा 21 मीटर की गहराई में उथले तल में फंस गया है.

अब तक अस्पष्ट है स्थिति - अभियान टीम

श्रीलंकाई नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन इंडिका डीसिल्वा (Captain Indica D'Silva) ने कहा कि पोत जब नदी तल से टकरा जाए तो उसे कुछ 100 मीटर की दूरी तक खींच कर लाया जा सकता है. जहाज का पिछला हिस्सा नीचे लग गया है जबकि आगे का हिस्सा पानी के ऊपर है.

अभियान टीम ने कहा है कि यह अब भी साफ नहीं है कि पोत में 20 मई को लगी आग के बाद से उसमें रखा गया 300 टन बंकर तेल (पोतों पर इस्तेमाल होने वाला इंधन) प्रभावित हुआ है या नहीं.

बता दें कि मालवाहक पोत (cargo vessel), गुजरात के हजीरा से सौंदर्य प्रसाधनों के लिए रसायन एवं कच्चे माल की खेप ले जा रहा था. लेकिन, 20 मई को कोलंबो बंदरगाह (Colombo port) के बाहर श्रीलंकाई जलक्षेत्र में उसमें आग लग गई थी.

पोत के चालक दल के सभी 25 सदस्यों (भारतीय, चीनी, फिलिपीनी और रूसी नागरिकों) को 21 मई को सुरक्षित निकाला गया था.

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रिसाव को रोकने के लिए उपाय करें सैल्वर - एमईपीए

समुद्री पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण (Marine Environmental Protection Authority- MEPA) की अध्यक्ष दर्शनी लहंदपुरा (Darshani Lahandpura) ने कहा कि सैल्वर (राहत कार्य करने वाले) को वहां किसी भी तरह के रिसाव को रोकने की सलाह दी गई है. उन्हें यह भी कहा गया है कि जब भी संभव हो, तेल को बाहर निकालने की कार्रवाई करें और रिसाव को रोकने के लिए बचाव उपाय भी करें.

उन्होंने कहा कि इस काम में भारतीय तटरक्षक की सहायता की भी जरूरत हैं.

लहंदपुरा ने कहा कि भारतीय तटरक्षक पोत यहां हैं. वे मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उनके पास संसाधन हैं.

श्रीलंकाई नौसेना की मदद को आगे आया भारतीय तटरक्षक

भारत की ओर से आग बुझाने में श्रीलंकाई नौसेना की मदद के लिए 25 मई को आईसीजी वैभव (ICG Vaibhav), आईसीजी डॉर्नियर (ICG Dornier) और टग वाटर लिली (Tug Water Lily) को भेजा गया था. भारत का विशिष्ट प्रदूषण प्रतिक्रिया पोत समुद्र प्रहरी 29 मई को वहां पहुंचा. भारत ने राहत प्रयासों को 'ऑपरेशन सागर सुरक्षा दो' नाम दिया है.

एमईपीए ने तेल रिसाव की आशंका को लेकर स्थिति पर करीब से नजर रखने के लिए हर 3 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है. अंतरराष्ट्रीय कंपनी, ऑयल स्पिल रिस्पॉन्स लिमिटेड (Oil Spill Response Limited-OSRL) भी तेल रिसाव को रोकने के प्रयास में शामिल हो गई है.

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तेल रिसाव का अब तक कोई संकेत- दया रत्नायके

श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के प्रमुख दया रत्नायके (Daya Ratnayake) ने कहा कि पोत में खतरनाक सामग्री थी - जो पूरी तरह श्रीलंका के लिए नहीं थी. उसमें नाइट्रिक एसिड है. इसमें रखे गए 81 कंटेनरों के अन्य रसायनों में 25 टन नाइट्रिक एसिड है. उन्होंने कहा कि तेल रिसाव का अब तक कोई संकेत नहीं मिला है.

विभिन्न विभाग ने शुरू कर दी मामले की जांच

पुलिस के प्रवक्ता अजित रोहना (Ajit Rohna) ने कहा कि पुलिस का अपराध जांच विभाग (crime investigation department) मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है. चालक दल के सदस्यों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं.

अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने मुख्य अधिकारी से पूछताछ कर पोत के कंटेनर भंडारण योजना की जानकारी ली है. यह पोत में रखे गए नाइट्रिक एसिड के कंटेनरों का पता लगाने के लिए जरूरी है.

मर्चेंट नेवी कार्यालय (Merchant Navy Office) ने कहा कि पोत की मालिकाना कंपनी और बीमा कंपनियों ने अब तक के राहत बचाव कार्यों के लिए अंतरिम मुआवजे का भुगतान करने पर सहमति जताई है.

इस बीच, सिंगापुर के समुद्री एवं बंदरगाह प्राधिकरण ने इस मामले में अपनी खुद की जांच शुरू कर दी है.

श्रीलंकाई पर्यावरणविदों (Sri Lankan Environmentalists) ने इस घटना को देश के इतिहास की सबसे बुरी, पारिस्थितिकी तंत्र की आपदा बताया है और समुद्री जीवन एवं मत्स्य उद्योग को खतरा होने की आशंका के प्रति आगाह किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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