बीजिंग : चीन ने सोमवार को कहा कि उसने एक हाइपरसोनिक 'यान' (व्हीकल) का परीक्षण किया है, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक 'मिसाइल' का.एक प्रमुख ब्रिटिश समाचार पत्र ने अपनी खबर में दावा किया था कि चीन ने उन्नत अंतरिक्ष क्षमता वाली एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है और यह लगभग 24 मील की दूरी के अंतर से अपने लक्ष्य को भेदने में चूक गई.
समाचार पत्र 'फाइनेंशियल टाइम्स' (एफटी) की खबर के मुताबिक, चीन ने अगस्त में एक परमाणु-सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया, जिसने अपने लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढ़ने से पहले पृथ्वी का चक्कर लगाया. इसमें कहा गया कि इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरान हो गई.
खबर के अनुसार, चीनी सेना ने एक रॉकेट को प्रक्षेपित किया, जिसमें एक हाइपरसोनिक ग्लाइड यान था. तीन लोगों द्वारा दी गई खुफिया जानकारी के अनुसार, मिसाइल लगभग 24 मील दूरी के अंतर से अपने लक्ष्य को भेदने में चूक गई.
इस खबर पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक हाइपरसोनिक यान का परीक्षण किया गया था. उन्होंने कहा, 'यह मिसाइल नहीं बल्कि एक यान है.'
उन्होंने कहा, 'जैसा कि हम इस परीक्षण को समझते हैं, यह वाहन की तकनीक के बार-बार उपयोग को सत्यापित करने के लिए केवल एक नियमित अंतरिक्ष यान परीक्षण है.' उन्होंने कहा, 'यह लागत को कम करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और मानवता के लिए, अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए एक किफायती और सस्ता साधन भी प्रदान कर सकता है.'
झाओ ने कहा कि कई अन्य देश और कंपनियां इसी तरह के परीक्षण कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के वास्ते प्रयास करने के लिए चीन बाकी दुनिया के साथ मिलकर काम करेगा.'
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उन्होंने दोहराया कि अगस्त में किए गए परीक्षण में मिसाइल नहीं बल्कि एक यान शामिल था. यह पूछे जाने पर कि क्या यह एक यान था, मिसाइल नहीं तो झाओ ने कहा, 'मेरा जवाब एक बड़ी हां है.'
खबर के अनुसार अमेरिका, रूस और चीन सभी हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं, जिसमें ग्लाइड यान शामिल हैं जो रॉकेट पर अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जाते हैं, लेकिन अपनी गति के तहत पृथ्वी के चक्कर लगाते हैं.
इस बीच, सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में कहा कि एफटी की खबर की विश्वसनीयता पर चर्चा करना व्यर्थ है. इसमें कहा गया है, 'लेकिन इस प्रवृत्ति पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि चीन कुछ प्रमुख सैन्य प्रौद्योगिकियों में अमेरिका के साथ अंतर को कम कर रहा है क्योंकि चीन लगातार अपनी आर्थिक और तकनीकी ताकत विकसित कर रहा है.'
(पीटीआई-भाषा)