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नेपाल : SC ने सरकार से कालापानी सीमा मुद्दे से जुड़ा ऐतिहासिक नक्शा मांगा

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए देश के मूल नक्शे को 15 दिनों के अंदर उसे उपलब्ध कराए. नेपाल का दावा है कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भारतीय भूभाग में दर्शाए गए हैं, बावजूद इसके वे नेपाली भूभाग में हैं.

Nepal SC asks govt to furnish map Kalapani border issue
नेपाल सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 2, 2020, 5:46 PM IST

काठमांडू : नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 1816 में हुई सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए देश के मूल नक्शे को 15 दिनों के अंदर उसे उपलब्ध कराए.

अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया, जिसमें उससे नेपाली भू-भाग की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने को कहा गया है. न्यायमूर्ति हरि प्रसाद फुयाल ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सरकार से नक्शा उपलब्ध कराने को कहा है.

पढ़ें : नेपाली प्रधानमंत्री ओली की तीसरी हीमोडायलिसिस

अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सरकार को आदेश दे कि वह नेपाली क्षेत्र की सुरक्षा के लिए राजनीतिक व कूटनीतिक प्रयास शुरू करे.

जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद भारत ने पिछले साल नवंबर में एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी.

नेपाल ने दावा किया था कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भारतीय भूभाग में दर्शाए गए हैं, यद्यपि वे नेपाली भूभाग में हैं.

भारत ने कहा है कि नया नक्शा सटीक तरीके से उसके संप्रभु क्षेत्र को दर्शाता है और उसने किसी भी तरह नेपाल से लगने वाली सीमा में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया है.

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यद्यपि सोमवार का था, लेकिन इसका लिखित प्रारूप बुधवार को जारी किया गया.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार से सुगौली संधि काल के नेपाल के नक्शे के साथ 15 दिन के अंदर लिखित जवाब दायर करने को कहा है.

काठमांडू : नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 1816 में हुई सुगौली संधि के दौरान भारत को दिए गए देश के मूल नक्शे को 15 दिनों के अंदर उसे उपलब्ध कराए.

अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया, जिसमें उससे नेपाली भू-भाग की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करने को कहा गया है. न्यायमूर्ति हरि प्रसाद फुयाल ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सरकार से नक्शा उपलब्ध कराने को कहा है.

पढ़ें : नेपाली प्रधानमंत्री ओली की तीसरी हीमोडायलिसिस

अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह सरकार को आदेश दे कि वह नेपाली क्षेत्र की सुरक्षा के लिए राजनीतिक व कूटनीतिक प्रयास शुरू करे.

जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद भारत ने पिछले साल नवंबर में एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था, जिस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी.

नेपाल ने दावा किया था कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भारतीय भूभाग में दर्शाए गए हैं, यद्यपि वे नेपाली भूभाग में हैं.

भारत ने कहा है कि नया नक्शा सटीक तरीके से उसके संप्रभु क्षेत्र को दर्शाता है और उसने किसी भी तरह नेपाल से लगने वाली सीमा में किसी तरह का फेरबदल नहीं किया है.

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश यद्यपि सोमवार का था, लेकिन इसका लिखित प्रारूप बुधवार को जारी किया गया.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार से सुगौली संधि काल के नेपाल के नक्शे के साथ 15 दिन के अंदर लिखित जवाब दायर करने को कहा है.

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NEPAL-INDIA-MAP
Nepal SC asks govt to furnish country's historical map relating to Kalapani border issue
By Shirish B Pradhan
         Kathmandu, Jan 2 (PTI) Nepal's Supreme Court has sought within 15 days the country's original map exchanged with India during the signing of the Sugauli Treaty in 1816 after a petition sought the apex court's intervention to secure the Nepali territory.                  A single bench of Justice Hari Prasad Phuyal demanded the map from the Nepal government in response to the public interest litigation filed by a senior advocate who appealed the Supreme Court to order the government to start political and diplomatic efforts to protect Nepali territories.         
          Nepal has raised objections after India released its new political map in November last year following the reorganiation of Jammu and Kashmir. Nepal claimed that Limpiyadhura, Lipulek and Kalapani areas were shown under India's territory even though they lie within the Nepalese territory. India has said the new map accurately depicts its sovereign territory and it has in no manner revised its boundary with Nepal.
          Nepalese territories including Darjeeling were handed to the British East India Company as concessions under the Sugauli treaty which was signed in 1816 on the conclusion of the Anglo-Nepalese War.
          Under the treaty, the Nepalese-controlled territory that was ceded included all areas that the king of Nepal had won in earlier wars such as the kingdom of Sikkim in the east and Kumaon and Garhwal in the west.
          Although the Supreme court order was issued on Monday, the text of the order was issued only on Wednesday.
          The Supreme Court bench asked the government to furnish a written response along with a copy of Sugauli Treaty-era map of Nepal within 15 days.
         The apex court has also asked the authorities to furnish other official maps either exchanged with various countries or with the international organisations including the United Nations while applying for obtaining their membership.         
         The government has also been directed to submit the original map exchanged while signing a Boundary Treaty with the Indian government in 1960, the map published by the East-India Company on February 1, 1827, and a separate map published by the British Government in 1847.
          The court has also asked the government to submit details of efforts made, if any, for amending the map of Nepal.
          The bench stated that the hearings on the PIL will be conducted in tandem with another similar petition filed by another advocate.
         Meanwhile, the Kathmandu Post reported that Nepal has proposed foreign secretary-level talks with India in mid-January on the boundary issue. PTI SBP AKJ
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