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नेपाल के प्रधानमंत्री ओली, विपक्षी गठबंधन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा

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Published : May 21, 2021, 9:22 PM IST

नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक संकट की स्थिति पैदा हाे गई है. प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और विपक्षी दलों ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. इसके लिए उन्होंने सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र राष्ट्रपति को सौंपा है.

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काठमांडू : नेपाल का राजनीतिक संकट शुक्रवार को और गहरा गया जब प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और विपक्षी दलों दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया.

प्रधानमंत्री ओली विपक्षी दलों के नेताओं से कुछ मिनट पहले राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार पुन: प्रधानमंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के 121 सदस्यों और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के 32 सांसदों के समर्थन के दावे वाला पत्र सौंपा.

'हिमालयन टाइम्स' ने सीपीएन-यूएमएल के नेता बिष्णु रिमल के हवाले से कहा कि जेएसपी-एन के अध्यक्ष महंत ठाकुर, जेएसपी-एन संसदीय दल के नेता राजेंद्र महतो और प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्रपति को सौंपे गए पत्र पर हस्ताक्षर किए.

इससे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया. देउबा प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे.

खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने में बृहस्पतिवार को अनिच्छा व्यक्त की थी.

नेपाली कांग्रेस (एनसी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर), जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) के उपेंद्र यादव नीत धड़े और सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के माधव नेपाल नीत धड़े समेत विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने प्रतिनिधि सभा में 149 सदस्यों का समर्थन होने का दावा किया है. एनसी के वरिष्ठ नेता प्रकाश मान सिंह ने यह जानकारी दी.

'माई रिपब्लिका' वेबसाइट के अनुसार इन सदस्यों में नेपाली कांग्रेस के 61, सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के 48, जेएसपी के 13 और यूएमएल के 27 सदस्यों के शामिल होने का दावा किया गया है.

'हिमालयन टाइम्स' की खबर के अनुसार विपक्षी गठबंधन के नेता 149 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ सरकार बनाने का दावा करने वाला पत्र राष्ट्रपति को सौंपने के लिए उनके सरकारी आवास 'शीतल निवास' के लिए रवाना हो गए. इस पत्र में शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनाने की सिफारिश की गयी है.

देउबा (74) नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. वह 1995 से 1997 तक, 2001 से 2002 तक, 2004 से 2005 तक और 2017 से 2018 तक इस पद पर रहे हैं.

देउबा 2017 में आम चुनावों के बाद से विपक्ष के नेता हैं.

गेंद अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पाले में है.

उन्होंने राजनीतिक दलों को नR सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक का समय दिया था.

पढ़ें :- नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट, क्या हटाए जाएंगे ओली ?

सरकार ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भंडारी से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुरूप नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए क्योंकि प्रधानमंत्री ओली एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने के पक्ष में नहीं हैं.

प्रधानमंत्री ओली को 10 मई को उनके पुन: निर्वाचन के बाद प्रतिनिधि सभा में 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना था. आशंका थी कि अगर अनुच्छेद 76 (5) के तहत नयी सरकार नहीं बन सकी तो ओली अनुच्छेद 76 (7) का प्रयोग कर एक बार फिर प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश करते.

ओली सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष हैं. उन्हें 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी. इससे चार दिन पहले ही वह संसद में विश्वास मत में पराजित हो गए थे.

नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ा दल है. इस समय बहुमत सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है.

काठमांडू : नेपाल का राजनीतिक संकट शुक्रवार को और गहरा गया जब प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और विपक्षी दलों दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया.

प्रधानमंत्री ओली विपक्षी दलों के नेताओं से कुछ मिनट पहले राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार पुन: प्रधानमंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के 121 सदस्यों और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के 32 सांसदों के समर्थन के दावे वाला पत्र सौंपा.

'हिमालयन टाइम्स' ने सीपीएन-यूएमएल के नेता बिष्णु रिमल के हवाले से कहा कि जेएसपी-एन के अध्यक्ष महंत ठाकुर, जेएसपी-एन संसदीय दल के नेता राजेंद्र महतो और प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्रपति को सौंपे गए पत्र पर हस्ताक्षर किए.

इससे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया. देउबा प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे.

खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने में बृहस्पतिवार को अनिच्छा व्यक्त की थी.

नेपाली कांग्रेस (एनसी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर), जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) के उपेंद्र यादव नीत धड़े और सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के माधव नेपाल नीत धड़े समेत विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने प्रतिनिधि सभा में 149 सदस्यों का समर्थन होने का दावा किया है. एनसी के वरिष्ठ नेता प्रकाश मान सिंह ने यह जानकारी दी.

'माई रिपब्लिका' वेबसाइट के अनुसार इन सदस्यों में नेपाली कांग्रेस के 61, सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के 48, जेएसपी के 13 और यूएमएल के 27 सदस्यों के शामिल होने का दावा किया गया है.

'हिमालयन टाइम्स' की खबर के अनुसार विपक्षी गठबंधन के नेता 149 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ सरकार बनाने का दावा करने वाला पत्र राष्ट्रपति को सौंपने के लिए उनके सरकारी आवास 'शीतल निवास' के लिए रवाना हो गए. इस पत्र में शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनाने की सिफारिश की गयी है.

देउबा (74) नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. वह 1995 से 1997 तक, 2001 से 2002 तक, 2004 से 2005 तक और 2017 से 2018 तक इस पद पर रहे हैं.

देउबा 2017 में आम चुनावों के बाद से विपक्ष के नेता हैं.

गेंद अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पाले में है.

उन्होंने राजनीतिक दलों को नR सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए शुक्रवार शाम 5 बजे तक का समय दिया था.

पढ़ें :- नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट, क्या हटाए जाएंगे ओली ?

सरकार ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भंडारी से सिफारिश की थी कि नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुरूप नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए क्योंकि प्रधानमंत्री ओली एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने के पक्ष में नहीं हैं.

प्रधानमंत्री ओली को 10 मई को उनके पुन: निर्वाचन के बाद प्रतिनिधि सभा में 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करना था. आशंका थी कि अगर अनुच्छेद 76 (5) के तहत नयी सरकार नहीं बन सकी तो ओली अनुच्छेद 76 (7) का प्रयोग कर एक बार फिर प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश करते.

ओली सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष हैं. उन्हें 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी. इससे चार दिन पहले ही वह संसद में विश्वास मत में पराजित हो गए थे.

नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ा दल है. इस समय बहुमत सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है.

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