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नागासाकी हमले के 75 साल, परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की अपील

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के नागासाकी शहर पर गिराए गए परमाणु बम हमले की आज 75वीं बरसी हैं. इस अवसर पर लोगों ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध की अपील की है. पढ़ें पूरी खबर...

Nagasaki urges nuke ban on 75th anniversary
नागासाकी में परमाणु हमले की 75वीं बरसी
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Published : Aug 9, 2020, 4:47 PM IST

Updated : Aug 9, 2020, 5:04 PM IST

टोक्यो : जापान के नागासाकी शहर पर अमेरिका द्वारा किए गए परमाणु बम हमले के रविवार को 75 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर शहर के मेयर और हमले में जीवित बचे लोगों ने विश्वभर के नेताओं से परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए और कदम उठाने की अपील की है.

अमेरिका के बी-9 बमवर्षक बॉकस्कार ने नौ अगस्त, 1945 को पूर्वाह्न 11 बजकर दो मिनट पर नागासाकी पर 4.5 टन का प्लूटोनियम बम 'फैट मैन' गिराया था.

हमले के जीवितों समेत अन्य लोगों ने इस दौरान मारे गए 70,000 से अधिक लोगों की याद में रविवार को सुबह 11 बजकर दो मिनट पर एक मिनट का मौन धारण किया. कोरोना वायरस के चलते इस कार्यक्रम में कम लोगों को यहां आने की अनुमति थी.

नागासाकी पर हमले से तीन दिन पहले अमेरिका ने हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था, जिससे यह शहर तबाह हो गया था. दोनों परमाणु हमलों में 1,40,000 लोगों की मौत हो गई थी. यह दुनियाभर में पहला परमाणु हमला था. जापान ने 15 अगस्त, 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया था, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था.

हमले में जीवित बचे अधिकांश लोगों को विकिरण के संपर्क में आने के कारण कैंसर या कोई न कोई अन्य बीमारी हो गई और उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा.

पढ़ें - जानिए अमेरिका ने क्यों गिराए हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम

नागासाकी के मेयर तोमिहिसा ताउए ने शांति घोषणा में जापान सरकार और सांसदों से अपील की है कि वह परमाणु हथियार निषेध संधि पर जल्द हस्ताक्षर करें. उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों का खतरा पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है.

जापान ने संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. उसका कहना है कि वह परमाणु और गैर-परमाणु देशों के बीच अंतर पाटने में भूमिका निभाना चाहता है, ताकि वार्ता के लिए उनके पास समान आधार हो.

उन्होंने मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि रद्द करने से बढ़े जोखिम के लिए अमेरिका और जापान की आलोचना की.

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने समारोह में भाग लेने के बाद परमाणु हथियार निषेध संधि की आलोचना करते हुए इसे वास्तविकता से परे करार दिया.

उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार रखने वाला कोई देश इसमें शामिल नहीं हुआ है और परमाणु हथियार नहीं रखने वाले देशों ने भी इसका व्यापक समर्थन नहीं किया है.

आबे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी कठोर माहौल की वास्तविकता पर विचार किए बिना परमाणु हथियार निषेध संधि को पारित कर दिया गया.'

उन्होंने कहा कि, हालांकि जापान की तरह इस संधि का लक्ष्य भी परमाणु हथियारों को नष्ट करना है, लेकिन 'मैं यह कहना चाहता हूं कि यह संधि जापान के दृष्टिकोण एवं रुख से बहुत अलग है.'

जापान ने संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. उसका कहना है कि वह किसी का पक्ष लेना नहीं चाहता, बल्कि परमाणु और गैर परमाणु देशों के बीच सेतु की भूमिका निभाना चाहता है, ताकि पूर्ण हथियार प्रतिबंध का लक्ष्य हासिल करने के लिए वार्ता को बढ़ावा दिया जा सके.

टोक्यो : जापान के नागासाकी शहर पर अमेरिका द्वारा किए गए परमाणु बम हमले के रविवार को 75 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर शहर के मेयर और हमले में जीवित बचे लोगों ने विश्वभर के नेताओं से परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए और कदम उठाने की अपील की है.

अमेरिका के बी-9 बमवर्षक बॉकस्कार ने नौ अगस्त, 1945 को पूर्वाह्न 11 बजकर दो मिनट पर नागासाकी पर 4.5 टन का प्लूटोनियम बम 'फैट मैन' गिराया था.

हमले के जीवितों समेत अन्य लोगों ने इस दौरान मारे गए 70,000 से अधिक लोगों की याद में रविवार को सुबह 11 बजकर दो मिनट पर एक मिनट का मौन धारण किया. कोरोना वायरस के चलते इस कार्यक्रम में कम लोगों को यहां आने की अनुमति थी.

नागासाकी पर हमले से तीन दिन पहले अमेरिका ने हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था, जिससे यह शहर तबाह हो गया था. दोनों परमाणु हमलों में 1,40,000 लोगों की मौत हो गई थी. यह दुनियाभर में पहला परमाणु हमला था. जापान ने 15 अगस्त, 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया था, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था.

हमले में जीवित बचे अधिकांश लोगों को विकिरण के संपर्क में आने के कारण कैंसर या कोई न कोई अन्य बीमारी हो गई और उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा.

पढ़ें - जानिए अमेरिका ने क्यों गिराए हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम

नागासाकी के मेयर तोमिहिसा ताउए ने शांति घोषणा में जापान सरकार और सांसदों से अपील की है कि वह परमाणु हथियार निषेध संधि पर जल्द हस्ताक्षर करें. उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों का खतरा पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है.

जापान ने संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. उसका कहना है कि वह परमाणु और गैर-परमाणु देशों के बीच अंतर पाटने में भूमिका निभाना चाहता है, ताकि वार्ता के लिए उनके पास समान आधार हो.

उन्होंने मध्यम दूरी परमाणु शक्ति संधि रद्द करने से बढ़े जोखिम के लिए अमेरिका और जापान की आलोचना की.

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने समारोह में भाग लेने के बाद परमाणु हथियार निषेध संधि की आलोचना करते हुए इसे वास्तविकता से परे करार दिया.

उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार रखने वाला कोई देश इसमें शामिल नहीं हुआ है और परमाणु हथियार नहीं रखने वाले देशों ने भी इसका व्यापक समर्थन नहीं किया है.

आबे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी कठोर माहौल की वास्तविकता पर विचार किए बिना परमाणु हथियार निषेध संधि को पारित कर दिया गया.'

उन्होंने कहा कि, हालांकि जापान की तरह इस संधि का लक्ष्य भी परमाणु हथियारों को नष्ट करना है, लेकिन 'मैं यह कहना चाहता हूं कि यह संधि जापान के दृष्टिकोण एवं रुख से बहुत अलग है.'

जापान ने संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. उसका कहना है कि वह किसी का पक्ष लेना नहीं चाहता, बल्कि परमाणु और गैर परमाणु देशों के बीच सेतु की भूमिका निभाना चाहता है, ताकि पूर्ण हथियार प्रतिबंध का लक्ष्य हासिल करने के लिए वार्ता को बढ़ावा दिया जा सके.

Last Updated : Aug 9, 2020, 5:04 PM IST
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