काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा फिलहाल टल गया है. दरअसल, नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की आज (मंगलवार) होने वाली बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है. कयास लगाए जा रहे थे कि इस बैठक में ओली को पद से हटाए जाने को लेकर फैसला हो सकता है.
भारत से सीमा विवाद के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच मतभेद की खबरें सामने आई थीं. दोनों असंतुष्ट गुटों के बीच सुलह कराने के उद्देश्य से एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थाई समिति की बैठक आज पूर्वाह्न 11 बजे होनी थी.
बैठक स्थगित होने की सूचना देते हुए स्थाई समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि ओली और प्रचंड को आपसी मतभेद सुलझाने के लिए और समय चाहिए.
वहीं, प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए थोड़ा और समय चाहिए, इसलिए मंगलवार को बैठक स्थगित कर दी गई. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत के बाद अगली बैठक की तारीख पर निर्णय लिया जाएगा.
पिछले सप्ताह बुधवार को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की संक्षिप्त बैठक हुई थी. हालांकि प्रधानमंत्री ओली इसमें शामिल नहीं हुए थे.
इसके बाद पार्टी गतिविधियों की समीक्षा, सरकार का प्रदर्शन, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच काम के बंटवारे और अन्य संबंधित कामकाज पर चर्चा करने के लिए 28 जुलाई को बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया था.
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पिछले कुछ हफ्तों से एनसीपी में अंदरूनी कलह चल रही है. प्रचंड समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ओली के भारत विरोधी बयानों को लेकर उनसे इस्तीफे की मांग की थी.
नाराज नेताओं का कहना है कि ओली के भारत विरोधी बयान राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से उचित नहीं थे. पार्टी के असंतुष्ट नेता ओली के कामकाज के तरीकों के भी विरोध में हैं.
पार्टी के भीतर मतभेद तब और गहरा गए, जब ओली ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा भारत के तीन क्षेत्रों - कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल के मानचित्र में दिखाने के बाद पार्टी के कुछ नेता भारत के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से हटाना चाहते हैं.