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एलएसी पर तनाव के बीच भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की आज बैठक - भारत चीन विदेश मंत्री बैठक

भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मॉस्को में आज बैठक होनी है. उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा. एलएसी पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं. 45 साल बाद एलएसी पर चीन की ओर से फायरिंग की गई. हालांकि, भारतीय जवानों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया.

विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर
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Published : Sep 10, 2020, 7:00 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 8:12 AM IST

नई दिल्ली/मॉस्को : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ रूस की राजधानी मॉस्को में बैठक करेंगे. यह बैठक आज शाम छह बजे होगी. इसमें दोनों देशों के बीच जारी सीमा गतिरोध पर चर्चा किए जाने की संभावना है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच फिर से आमना-सामना होने के बाद यह वार्ता होगी.

जयशंकर और वांग के बीच द्विपक्षीय वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने के लिए कोई महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने पर मुख्य रूप से ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. हालांकि, निश्चिंतता के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति 'तनावपूर्ण' बनी हुई है और चीनी 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी' (पीएलए) के 30-40 सैनिक पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रीजलाइन में एक भारतीय चौकी के नजदीक एक स्थान पर जमे हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि 45 साल बाद चीनी सेना ने उकसावे की कार्रवाई के तहत एलएसी पर कई राउंड की फायरिंग की. इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. चीनी सैनिक रॉड, बर्छा, भाला जैसे हथियार लेकर आए थे.

इस ताजा घटना को 1975 में हुई गोलीबारी की घटना जैसा गंभीर माना जा रहा है. 1996 और 2005 में हुए समझौते के प्रावधानों के मुताबिक दोनों पक्ष किसी टकराव के दौरान बंदूकों का इस्तेमाल नहीं करेंगे. फिर भी चीन ने इसका उल्लंघन किया.

बुधवार को भारत और चीन की थल सेनाओं के कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में मुलाकात की. उन्होंने सीमा पर तनाव और अधिक बढ़ने से रोकने के तरीके तलाशने को लेकर 'हॉटलाइन' पर संदेशों का आदान-प्रदान भी किया. इस वार्ता में भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही के बीच एससीओ बैठक से अलग मास्को में पिछले शुक्रवार को बैठक हुइ थी. लेकिन उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.

इसलिए आज की बैठक से उम्मीद की जा रही है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं. विदेश मंत्री परिषद की बैठक के साथ अन्य द्विपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लेंगे.

मॉस्को में सीएफएम बैठक आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा करेगी और अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी करेगी. यह तीसरी सीएफएम बैठक होगी, जिसमें भारत एससीओ के सदस्य के रूप में भाग लेगा.

यह भी पढ़ें- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- एलएसी पर 'बेहद गंभीर' हालात

एससीओ का गठन 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने किया था.

भारत और पाकिस्तान 2005 में पर्यवेक्षक राष्ट्र के तौर पर इसमें शामिल किए गए थे. दोनों देशों को 2017 में संगठन का पूर्ण सदस्य बनाया गया.

2018 में 23-24 अप्रैल को बीजिंग और 2019 में 21-22 मई को बिश्केक (किर्गिजस्तान) में दो बैठकों का आयोजन किया गया था.

नई दिल्ली/मॉस्को : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर आज अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ रूस की राजधानी मॉस्को में बैठक करेंगे. यह बैठक आज शाम छह बजे होगी. इसमें दोनों देशों के बीच जारी सीमा गतिरोध पर चर्चा किए जाने की संभावना है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच फिर से आमना-सामना होने के बाद यह वार्ता होगी.

जयशंकर और वांग के बीच द्विपक्षीय वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने के लिए कोई महत्वपूर्ण सफलता हासिल करने पर मुख्य रूप से ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. हालांकि, निश्चिंतता के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति 'तनावपूर्ण' बनी हुई है और चीनी 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी' (पीएलए) के 30-40 सैनिक पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रीजलाइन में एक भारतीय चौकी के नजदीक एक स्थान पर जमे हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि 45 साल बाद चीनी सेना ने उकसावे की कार्रवाई के तहत एलएसी पर कई राउंड की फायरिंग की. इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. चीनी सैनिक रॉड, बर्छा, भाला जैसे हथियार लेकर आए थे.

इस ताजा घटना को 1975 में हुई गोलीबारी की घटना जैसा गंभीर माना जा रहा है. 1996 और 2005 में हुए समझौते के प्रावधानों के मुताबिक दोनों पक्ष किसी टकराव के दौरान बंदूकों का इस्तेमाल नहीं करेंगे. फिर भी चीन ने इसका उल्लंघन किया.

बुधवार को भारत और चीन की थल सेनाओं के कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में मुलाकात की. उन्होंने सीमा पर तनाव और अधिक बढ़ने से रोकने के तरीके तलाशने को लेकर 'हॉटलाइन' पर संदेशों का आदान-प्रदान भी किया. इस वार्ता में भी कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही के बीच एससीओ बैठक से अलग मास्को में पिछले शुक्रवार को बैठक हुइ थी. लेकिन उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.

इसलिए आज की बैठक से उम्मीद की जा रही है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं. विदेश मंत्री परिषद की बैठक के साथ अन्य द्विपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लेंगे.

मॉस्को में सीएफएम बैठक आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा करेगी और अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी करेगी. यह तीसरी सीएफएम बैठक होगी, जिसमें भारत एससीओ के सदस्य के रूप में भाग लेगा.

यह भी पढ़ें- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- एलएसी पर 'बेहद गंभीर' हालात

एससीओ का गठन 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने किया था.

भारत और पाकिस्तान 2005 में पर्यवेक्षक राष्ट्र के तौर पर इसमें शामिल किए गए थे. दोनों देशों को 2017 में संगठन का पूर्ण सदस्य बनाया गया.

2018 में 23-24 अप्रैल को बीजिंग और 2019 में 21-22 मई को बिश्केक (किर्गिजस्तान) में दो बैठकों का आयोजन किया गया था.

Last Updated : Sep 10, 2020, 8:12 AM IST
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