काठमांडू : नेपाल में मंगलवार को पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा की.
इससे पहले ओली ने संगठन पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के उद्देश्य से मंगलवार को पार्टी की आम सभा के आयोजन के लिए 1199 सदस्यीय नई समिति का गठन किया था.
प्रचंड नीत खेमे ने केंद्रीय समिति की बैठक में वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल को सर्वसम्मति से पार्टी का दूसरा अध्यक्ष नियुक्त किया. प्रचंड पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं.
केंद्रीय समिति की सदस्य रेखा शर्मा ने कहा, 'पार्टी के नियमानुसार अब प्रचंड और नेपाल बारी-बारी से बैठकों की अध्यक्षता करेंगे.'
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में शर्मा के हवाले से कहा गया, ' पार्टी के खिलाफ जाने के चलते ओली को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है.'
इससे पहले दिन में सत्तारूढ़ दल के दो प्रमुखों में से एक ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी की केंद्रीय समिति के अपने करीबी सदस्यों के साथ बैठक के दौरान नई समिति की घोषणा की.
ओली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करते हुए रविवार को राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई. ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच यह कदम उठाया गया.
अपने फैसले के बचाव में ओली
सोमवार को ही नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने संसद भंग करने के अपने फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि सरकार का कामकाज प्रभावित होने के कारण नया जनादेश लेने की जरूरत है. नेपाल की संसद भंग होने का प्रमुख कारण नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर गतिरोध बताया जा रहा है. इस घटनाक्रम पर वरिष्ठ राजदूत एसडी मुनि ने कहा है कि इस संबंध में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फैसले की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है.
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एसडी मुनि ने कहा कि इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कुछ कठोर कदम उठाए जा सकते हैं. इन्हीं में से एक यह हो सकता था कि ओली के स्थान पर किसी और को प्रधानमंत्री बनाया जाए. उन्होंने कहा, ओली ने एनसीपी के भीतर बन रहे दबाव को स्वीकार नहीं किया और संसद भंग करने की सिफारिश कर दी. उनकी यह चाल अपेक्षित भी थी.