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Kazakhstan violent protest : दर्जनों प्रदर्शनकारियों समेत 12 पुलिसकर्मियों की मौत, एक का सिर कलम

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Published : Jan 6, 2022, 5:41 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 9:17 PM IST

कजाकिस्तान में सरकारी इमारतों पर हमलों (Kazakhstan violent protest) में दर्जनों प्रदर्शनकारी मारे गए हैं. कम से कम 12 पुलिस अधिकारियों की मौत हुई है. एक अधिकारी का सिर काट दिया गया है. कजाकिस्तान दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है. इसकी उत्तरी सीमा रूस से तो पूर्वी सीमा चीन से लगती है. देश में तेल के बड़े भंडार हैं जो इसे सामरिक और आर्थिक रूप से अहम बनाते हैं. इन भंडार और खनिज समृद्धि होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में गरीब लोगों की खराब हालात को लेकर असंतोष है.

Kazakhstan violent protest
कजाकिस्तान हिंसक प्रदर्शन

मॉस्को : कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (Kazakhstan violent protest) की खबर है. पुलिस की प्रवक्ता सल्तनत अज़ीरबेक ने सरकारी समाचार चैनल 'खबर-24' से कहा कि देश के सबसे बड़े शहर अलमाती में रात में सरकारी इमारतों में घुसने की कोशिश (Kazakhstan government building attacks) की गई है, इस दौरान कई हमलावरों को ढेर किया गया है. उन्होंने कहा कि बुधवार को शहर में व्यापक प्रदर्शन के बाद इमारतों पर धावा बोलने के प्रयास किए गए, जिनमें महापौर की इमारत पर कब्जा करना शामिल है. इस इमारत में आग लगा दी गई.

'खबर-24' ने शहर कमांडेंट कार्यालय के हवाले से गुरुवार को बताया कि 12 पुलिस अधिकारियों की मौत के अलावा, 353 कानून प्रवर्तक अधिकारी जख्मी हुए हैं. तीन दशक पहले स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कजाकिस्तान सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है.

kazakhstan
कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (फोटो सौजन्य- एपी)

रूस के नेतृत्व वाले गठबंधन 'सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन' (सीएसटीओ) ने गुरुवार को कहा कि वह राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव (President Kassym-Jomart Tokayev) के अनुरोध पर कजाकिस्तान में शांति सैनिक भेजेगा. तरलीकृत पेट्रोलियम गैस ईंधन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि को लेकर रविवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कजाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया है. देश के पश्चिम में शुरू हुआ प्रदर्शन अलमाती और राजधानी नूर-सुल्तान तक फैल गया.

कजाकिस्तान में सरकारी इमारतों पर हमले

देश में आपातकाल की घोषणा, सरकार ने दिया इस्तीफा

बुधवार को तोकायेव ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाने का संकल्प लिया था और पूरे देश में दो हफ्ते के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. इससे पहले यह सिर्फ राजधानी नूर सुल्तान और अलमाती में लागू था जिसके तहत रात में कर्फ्यू था और शहरी इलाकों में लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित थी. सरकार ने प्रदर्शनों को लेकर इस्तीफा दे दिया है. प्रदर्शनों के नूर-सुल्तान और अलमाती तक पहुंचने के बाद सरकार ने इस्तीफे की घोषणा कर दी लेकिन तोकायेव ने कहा कि मंत्री नई कैबिनेट के गठन तक पद पर बने रहेंगे.

तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का इस्तेमाल व्यापक तौर पर वाहन ईंधन के तौर पर किया जाता है. प्रदर्शन की तीव्रता देश में व्यापक असंतोष की ओर संकेत है. देश में 1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद से एक ही पार्टी की सरकार है.

गरीबी की गंभीरता को लेकर असंतोष

तोकायेव ने दावा किया है कि इन प्रदर्शनों की अगुवाई आतंकवादी कर रहे हैं जिन्हें अज्ञात देशों से मदद मिल रही है. बता दें कि कजाकिस्तान में तेल के बड़े भंडार हैं जो इसे सामरिक और आर्थिक रूप से अहम बनाते हैं. इन भंडार और खनिज समृद्धि होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में गरीब लोगों की खराब हालात को लेकर असंतोष है.

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कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन, बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे सुरक्षाबल (फोटो सौजन्य- एपी)

यह भी पढ़ें- कजाकिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ विमान, चार की मौत

ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई नेता या मांग नहीं है. कई प्रदर्शनकारियों ने 'पुराने लोग जाओ' के नारे लगाए जो जाहिर तौर पर देश के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबेयेव का हवाला दे रहे थे. उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका प्रभाव अब भी है.

(इनपुट-एपी-पीटीआई-भाषा)

मॉस्को : कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (Kazakhstan violent protest) की खबर है. पुलिस की प्रवक्ता सल्तनत अज़ीरबेक ने सरकारी समाचार चैनल 'खबर-24' से कहा कि देश के सबसे बड़े शहर अलमाती में रात में सरकारी इमारतों में घुसने की कोशिश (Kazakhstan government building attacks) की गई है, इस दौरान कई हमलावरों को ढेर किया गया है. उन्होंने कहा कि बुधवार को शहर में व्यापक प्रदर्शन के बाद इमारतों पर धावा बोलने के प्रयास किए गए, जिनमें महापौर की इमारत पर कब्जा करना शामिल है. इस इमारत में आग लगा दी गई.

'खबर-24' ने शहर कमांडेंट कार्यालय के हवाले से गुरुवार को बताया कि 12 पुलिस अधिकारियों की मौत के अलावा, 353 कानून प्रवर्तक अधिकारी जख्मी हुए हैं. तीन दशक पहले स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से कजाकिस्तान सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है.

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कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन (फोटो सौजन्य- एपी)

रूस के नेतृत्व वाले गठबंधन 'सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन' (सीएसटीओ) ने गुरुवार को कहा कि वह राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त तोकायेव (President Kassym-Jomart Tokayev) के अनुरोध पर कजाकिस्तान में शांति सैनिक भेजेगा. तरलीकृत पेट्रोलियम गैस ईंधन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि को लेकर रविवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने कजाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया है. देश के पश्चिम में शुरू हुआ प्रदर्शन अलमाती और राजधानी नूर-सुल्तान तक फैल गया.

कजाकिस्तान में सरकारी इमारतों पर हमले

देश में आपातकाल की घोषणा, सरकार ने दिया इस्तीफा

बुधवार को तोकायेव ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाने का संकल्प लिया था और पूरे देश में दो हफ्ते के लिए आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. इससे पहले यह सिर्फ राजधानी नूर सुल्तान और अलमाती में लागू था जिसके तहत रात में कर्फ्यू था और शहरी इलाकों में लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित थी. सरकार ने प्रदर्शनों को लेकर इस्तीफा दे दिया है. प्रदर्शनों के नूर-सुल्तान और अलमाती तक पहुंचने के बाद सरकार ने इस्तीफे की घोषणा कर दी लेकिन तोकायेव ने कहा कि मंत्री नई कैबिनेट के गठन तक पद पर बने रहेंगे.

तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का इस्तेमाल व्यापक तौर पर वाहन ईंधन के तौर पर किया जाता है. प्रदर्शन की तीव्रता देश में व्यापक असंतोष की ओर संकेत है. देश में 1991 में सोवियत संघ से आजादी मिलने के बाद से एक ही पार्टी की सरकार है.

गरीबी की गंभीरता को लेकर असंतोष

तोकायेव ने दावा किया है कि इन प्रदर्शनों की अगुवाई आतंकवादी कर रहे हैं जिन्हें अज्ञात देशों से मदद मिल रही है. बता दें कि कजाकिस्तान में तेल के बड़े भंडार हैं जो इसे सामरिक और आर्थिक रूप से अहम बनाते हैं. इन भंडार और खनिज समृद्धि होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में गरीब लोगों की खराब हालात को लेकर असंतोष है.

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कजाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन, बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे सुरक्षाबल (फोटो सौजन्य- एपी)

यह भी पढ़ें- कजाकिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ विमान, चार की मौत

ऐसा लगता है कि प्रदर्शनकारियों का कोई नेता या मांग नहीं है. कई प्रदर्शनकारियों ने 'पुराने लोग जाओ' के नारे लगाए जो जाहिर तौर पर देश के पहले राष्ट्रपति नूर सुल्तान नज़रबेयेव का हवाला दे रहे थे. उन्होंने 2019 में पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन उनका प्रभाव अब भी है.

(इनपुट-एपी-पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jan 6, 2022, 9:17 PM IST
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