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जापानी पीएम ने टोक्यो के विवादास्पद मंदिर को दान भेजा - Fumio Kishida

जापान के नये प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने तोक्यो के एक धर्मस्थल में रविवार को दान भेजा, जिसे चीनी और कोरियाई लोग जापानी युद्ध हमलों का प्रतीक मानते हैं. हालांकि, किशिदा ने व्यक्तिगत रूप से मंदिर में जाकर दर्शन नहीं किये.

जापानी पीएम
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Published : Oct 17, 2021, 3:43 PM IST

टोक्यो : जापान के नये प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (japan's new Prime Minister Fumio Kishida) ने टोक्यो के एक धर्मस्थल में रविवार को दान भेजा, जिसे चीनी और कोरियाई लोग जापानी युद्ध हमलों का प्रतीक मानते हैं. हालांकि, किशिदा ने व्यक्तिगत रूप से मंदिर में जाकर दर्शन नहीं किये.

किशिदा ने यासूकुनी श्राइन के शरद उत्सव के मौके पर 'मासाकाकी' धार्मिक आभूषण दान स्वरूप भेजे. किशिदा ने चार अक्टूबर को पद संभाला था, जिसके बाद से उनकी यह पहली धार्मिक गतिविधि है.

बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में जापान के हमले के पीड़ित चीनी और कोरियाई इस मंदिर को जापान के आक्रमण का प्रतीक मानते हैं.

जापानी प्रधानमंत्री के इस कदम को आलोचक, देश के युद्ध अत्याचारों को लेकर पश्चाताप नहीं होने के तौर पर देखते हैं. किशिदा सप्ताहांत में उत्तरी जापान के 2011 की सुनामी में प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे थे और वह मंदिर नहीं गये. उनके पूर्ववर्ती योशीहिदे सुगा ने भी अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान केवल दान भेजा. वह सितंबर में पद से हटने के बाद रविवार को मंदिर पहुंचे.

यह भी पढ़ें- फेसबुक का अकाउंट डिलीट कर देंगे तो क्या होगा आपकी 'लाइफ स्टोरीज' का

सुगा ने संवाददाताओं से कहा कि वह देश के लिए अपने बहुमूल्य जीवन न्योछावर करने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्माओं को शांति मिलने की प्रार्थना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर मंदिर गये थे.

पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2013 में यासूकुनी गये थे, जिसके बाद चीन और कोरिया ने प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और जापानी नेता तब से पद पर रहते हुए वहां जाने से बचते रहे हैं.

(पीटीआई भाषा)

टोक्यो : जापान के नये प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (japan's new Prime Minister Fumio Kishida) ने टोक्यो के एक धर्मस्थल में रविवार को दान भेजा, जिसे चीनी और कोरियाई लोग जापानी युद्ध हमलों का प्रतीक मानते हैं. हालांकि, किशिदा ने व्यक्तिगत रूप से मंदिर में जाकर दर्शन नहीं किये.

किशिदा ने यासूकुनी श्राइन के शरद उत्सव के मौके पर 'मासाकाकी' धार्मिक आभूषण दान स्वरूप भेजे. किशिदा ने चार अक्टूबर को पद संभाला था, जिसके बाद से उनकी यह पहली धार्मिक गतिविधि है.

बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में जापान के हमले के पीड़ित चीनी और कोरियाई इस मंदिर को जापान के आक्रमण का प्रतीक मानते हैं.

जापानी प्रधानमंत्री के इस कदम को आलोचक, देश के युद्ध अत्याचारों को लेकर पश्चाताप नहीं होने के तौर पर देखते हैं. किशिदा सप्ताहांत में उत्तरी जापान के 2011 की सुनामी में प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे थे और वह मंदिर नहीं गये. उनके पूर्ववर्ती योशीहिदे सुगा ने भी अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान केवल दान भेजा. वह सितंबर में पद से हटने के बाद रविवार को मंदिर पहुंचे.

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सुगा ने संवाददाताओं से कहा कि वह देश के लिए अपने बहुमूल्य जीवन न्योछावर करने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्माओं को शांति मिलने की प्रार्थना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर मंदिर गये थे.

पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2013 में यासूकुनी गये थे, जिसके बाद चीन और कोरिया ने प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और जापानी नेता तब से पद पर रहते हुए वहां जाने से बचते रहे हैं.

(पीटीआई भाषा)

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