टोक्यो : जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के अधिकारियों की बैठक ऐसे वक्त हुई है जब एक दिन पहले ही उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी की नई क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण करने का दावा किया.
इस बैठक में उत्तर कोरिया पर नीति के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि सुंग किम, कोरियाई प्रायद्वीप शांति एवं सुरक्षा मामलों के लिए दक्षिण कोरिया के विशेष प्रतिनिधि नोह क्यू-डुक और एशियाई एवं महासागर मामलों के लिए जापान के महानिदेशक ताकेहिरो फुनाकोशी शामिल हुए.
अमेरिकी दूत किम ने कहा कि तीनों देश उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक वार्ता के लिए तैयार हैं. किम ने उत्तर कोरिया से बिना किसी शर्त के वार्ता के कई प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को पूरी तरह लागू करने के लिए काम करेंगे.
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा था कि क्रूज मिसाइल विकसित करने का काम बीते दो साल से जारी था और शनिवार तथा रविवार को परीक्षण के दौरान उसने 1500 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य भेदने की क्षमता का प्रदर्शन किया.
उत्तर कोरिया ने नई मिसाइलों को बेहद महत्वपूर्ण सामरिक हथियार बताया जो सेना को मजबूत करने के देश के नेता किम जोंग-उन के आह्वान के अनुरूप है. उत्तर कोरिया का कहना है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया का सामना करने के लिए उसे परमाणु हथियारों की जरूरत है.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के मंगलवार को सियोल पहुंचने का कार्यक्रम है. वह दक्षिण कोरिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों और उत्तर कोरिया के परमाणु मुद्दों के संबंध में वार्ता करेंगे. वांग बुधवार को दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चुंग यूई योंग से मुलाकात करेंगे. संभावना है कि दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चीन से उत्तर कोरिया को बातचीत की मेज पर लौटने के लिए समझाने को कहेंगे.
जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में मंगलवार को बताया कि उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण से पहले ही त्रिपक्षीय बैठक तय थी लेकिन नए घटनाक्रम के मद्देनजर बैठक तीन देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को और मजबूत करने तथा उत्तर कोरिया की स्थिति पर चर्चा करने का एक अच्छा अवसर होगी.
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जापान के अधिकारियों और कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया का सप्ताहांत में किया गया मिसाइल परीक्षण क्षेत्र के लिए एक नया खतरा है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की उपस्थिति के लिए जापान और दक्षिण कोरिया प्रमुख सहयोगी हैं.
(पीटीआई-भाषा)