सिंगापुर : भारत और चीन के संबंधों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर भारत की स्थिति के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
जयशंकर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बात पर कोई संदेह है कि हम अपने संबंधों पर कहां खड़े हैं और इसमें क्या गलत है. मैं अपने समकक्ष वांग यी से कई बार मिल चुका हूं. जैसा कि आपने अनुभव किया होगा, मैं स्पष्ट रूप से, यथोचित रूप से (और) बात करता हूं, स्पष्टता की कमी नहीं है, इसलिए यदि वे इसे सुनना चाहते हैं, तो मुझे यकीन है कि उन्होंने इसे सुना होगा.
उन्होंने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में 'ग्रेटर पावर कॉम्पिटिशन: द इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर' पैनल में यह बात कही.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों को लेकर विशेष तौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसी गतिविधियां कीं जिनके पीछे उसके पास अब तक 'विश्वसनीय स्पष्टीकरण' नहीं है.
अन्य संबंधों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि अमेरिका आज पहले की तुलना में कहीं अधिक फ्लेगजिबल पार्टनर (flexible partner) है, विचारों, सुझावों और कार्य व्यवस्था के लिए अधिक दरवाजे खुले हैं.
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जयशंकर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, हमने करीब 40 वर्षों से अमेरिका के साथ संबंध स्थारित किए हैं. अमेरिका आज पहले की तुलना में कहीं अधिक लचीला भागीदार है, विचारों, सुझावों, कार्य व्यवस्था के लिए अधिक खुला है.
अमेरिका ने कुछ समय के लिए रणनीतिक रूप से अनुबंध किया है. अमेरिकी शक्ति और अमेरिकी प्रभाव वैसे नहींं है जैसै पहले था. यह भी स्पष्ट है कि चीन विस्तार कर रहा है, लेकिन चीन की प्रकृति, इसका बढ़ता प्रभाव अमेरिका से बहुत अलग है. हमारे पास ऐसी स्थिति नहीं है जहां चीन अनिवार्य रूप से दूसरों (अमेरिका) की जगह ले सके.