बीजिंग : अमेरिका द्वारा दी जाने वाली 50 करोड़ डॉलर की अनुदान राशि समझौते को नेपाल की संसद की ओर से स्वीकृति प्रदान किए जाने से नाराज चीन ने सोमवार को कहा कि वाशिंगटन को 'दबाव की कूटनीति' से अन्य देशों की संप्रभुता को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. बीजिंग को चौंकाने वाले कदम के रूप में, नेपाल की संसद (Nepalese Parliaments) ने रविवार को अमेरिका द्वारा पोषित 50 करोड़ डॉलर के 'मिलेनियम चैलेंज कारपोरेशन' (MCC) (Millennium Challenge Corporation) को मंजूरी प्रदान की. इस पर कई महीने से नेपाल में चर्चा और विरोध हो रहा था तथा अमेरिका ने 28 फरवरी की समयसीमा तय की थी.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन (Chinese Foreign Ministry spokesman Wang Wenbin) ने यहां संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, 'हमने नेपाली संसद के निर्णय और घोषणा का संज्ञान लिया है.' सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल (Ram Chandra Poudel) ने कहा है कि इस घोषणा में ऐसे बयान हैं कि एमसीसी हिंद-प्रशांत रणनीति का हिस्सा नहीं है.
उन्होंने कहा कि नेपाल का संविधान एमसीसी के किसी भी प्रावधान से ऊपर होगा और देश इसे पूर्ण रूप से एक आर्थिक सहायता के तौर पर देखेगा. वांग ने कहा, 'चीन ने बार-बार इस पर जोर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय औपचारिक सहयोग को परस्पर सम्मान और समानता का सिद्धांत मानना चाहिए तथा संबंधित देश की संप्रभुता और लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए.'
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उन्होंने कहा कि बीजिंग ने हमेशा विकास का स्वतंत्र रास्ता चुनने के लिए नेपाल का समर्थन किया है. एमसीसी अमेरिका की एक द्विपक्षीय विदेशी सहायता एजेंसी है जिसे अमेरिकी संसद ने 2004 में स्थापित किया था. यह विदेश मंत्रालय और यूएसएड से अलग एक स्वतंत्र एजेंसी है.
(PTI)