ETV Bharat / international

ईरान ने अफगानिस्तान सुरक्षा पर भारत की भूमिका का स्वागत किया

author img

By

Published : Aug 6, 2021, 7:20 PM IST

ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने शुक्रवार को यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा कि उनका देश और भारत क्षेत्र, विशेष रूप से अफगानिस्तान में सुरक्षा सुनिश्चित करने में रचनात्मक और उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं और तेहरान युद्धग्रस्त देश में नई दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है.

ईरान
ईरान

तेहरान : राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में रईसी के हवाले से कहा गया है कि ईरान और भारत क्षेत्र, विशेष रूप से अफगानिस्तान में सुरक्षा सुनिश्चित करने में रचनात्मक और उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं और तेहरान अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थापना में नयी दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है.

रईसी ने यह टिप्पणी जयशंकर के साथ मुलाकात के दौरान की. एक दिन पहले ही 60 वर्षीय ईरानी नेता ने देश के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है. यह एक महीने में दोनों देशों के नेताओं के बीच दूसरी मुलाकात थी. जयशंकर ने सात जुलाई को रूस जाते हुए, रास्ते में ईरानी राजधानी में रुकने के दौरान नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की थी.

शुक्रवार की बैठक के दौरान, ईरानी राष्ट्रपति ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता विकसित करने में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग और समन्वय के महत्व पर जोर दिया.

रईसी ने कहा कि अफगानिस्तान के भाग्य का फैसला खुद अफगानों को करना चाहिए और हमारा मानना ​​है कि अगर अमेरिकी स्थिति को खराब नहीं करेंगे, तो यह मुद्दा जल्द हल हो जाएगा. रईसी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के साथ व्यापक संबंध स्थापित करने को ईरान इस्लामिक गणराज्य विशेष महत्व देता है. उन्होंने कहा कि आज से हमें नये दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विकास में नये और विशिष्ट कदम उठाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि ईरानी सरकार पड़ोसी देशों और क्षेत्र, खासकर भारत के साथ संबंध विकसित करने की नीति अपनाएगी. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्र हैं, विशेष रूप से आर्थिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में, साथ ही साथ नई प्रौद्योगिकियां हैं, जिनका उपयोग हमें अपने संबंधों के स्तर को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए.

तेहरान-नयी दिल्ली संबंधों के स्तर को बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम की आवश्यकता पर जोर देते हुए रईसी ने कहा कि एक संयुक्त सहयोग कार्यक्रम की दिशा में आगे बढ़ते हुए, हम दोनों देशों के बीच संबंधों के स्तर पर विभिन्न स्थितियों को दोनों देशों के हित में लाने के लिए कदम उठा सकते हैं.

ईरानी राष्ट्रपति कार्यालय ने जयशंकर के हवाले से कहा कि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों के साथ संबंध विकसित करने की ईरानी सरकार की इच्छा पर रईसी के भाषण का स्वागत करते हुए कहा कि मैं भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आपके विचार से अवगत कराऊंगा और हम अपने सहयोग को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे.

जयशंकर ने ट्वीट किया कि राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के पद संभालने के बाद उनसे आत्मीय भेंट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत रूप से दी गई शुभकामनाएं उन्हें प्रेषित कीं.

जयशंकर रईसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के करीबी एवं न्यायपालिका के पूर्व प्रमुख इब्राहीम रईसी ने मजलिस (संसद) में आयोजित एक समारोह में देश के नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. जून में राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी रईसी ने शानदार जीत दर्ज की थी.

जयशंकर ने कहा कि हमारे बीच के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता जाहिर थी. हमारे क्षेत्रीय हितों में समान दिलचस्पी भी स्पष्ट नजर आ रही थी. विदेश मंत्री ने कहा कि वह रईसी की टीम के साथ काम करने को उत्सुक हैं.

रूस के साथ, ईरान अफगान शांति प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है, जिसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर एक नई गति देखी गई है. भारत अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता में एक प्रमुख हितधारक रहा है। भारत , युद्ध से तबाह देश में सहायता और पुनर्निर्माण गतिविधियों में पहले ही लगभग 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश कर चुका है.

भारत एक राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है जो अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित हो.भारत अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक वर्गों से आह्वान करता रहा है कि वे एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के लिए अल्पसंख्यक समुदायों सहित देश के सभी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करें.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में स्थिति का जायजा लेने और चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को भारत की अध्यक्षता में बैठक होगी.

अफगानिस्तान पर यूएनएससी की बैठक आयोजित करने का निर्णय ऐसे समय आया है जब दो दिन पहले ही अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर से वहां बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर यूएनएससी के एक आपातकालीन सत्र के आयोजन पर बात की थी.

इसे भी पढ़ें : अफगानिस्तान की सुरक्षा में भारत की कोई भूमिका नहीं चाहता पाकिस्तान

भारत अगस्त के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है.

तेहरान : राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में रईसी के हवाले से कहा गया है कि ईरान और भारत क्षेत्र, विशेष रूप से अफगानिस्तान में सुरक्षा सुनिश्चित करने में रचनात्मक और उपयोगी भूमिका निभा सकते हैं और तेहरान अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थापना में नयी दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है.

रईसी ने यह टिप्पणी जयशंकर के साथ मुलाकात के दौरान की. एक दिन पहले ही 60 वर्षीय ईरानी नेता ने देश के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है. यह एक महीने में दोनों देशों के नेताओं के बीच दूसरी मुलाकात थी. जयशंकर ने सात जुलाई को रूस जाते हुए, रास्ते में ईरानी राजधानी में रुकने के दौरान नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रईसी से मुलाकात की थी.

शुक्रवार की बैठक के दौरान, ईरानी राष्ट्रपति ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता विकसित करने में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग और समन्वय के महत्व पर जोर दिया.

रईसी ने कहा कि अफगानिस्तान के भाग्य का फैसला खुद अफगानों को करना चाहिए और हमारा मानना ​​है कि अगर अमेरिकी स्थिति को खराब नहीं करेंगे, तो यह मुद्दा जल्द हल हो जाएगा. रईसी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के साथ व्यापक संबंध स्थापित करने को ईरान इस्लामिक गणराज्य विशेष महत्व देता है. उन्होंने कहा कि आज से हमें नये दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विकास में नये और विशिष्ट कदम उठाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि ईरानी सरकार पड़ोसी देशों और क्षेत्र, खासकर भारत के साथ संबंध विकसित करने की नीति अपनाएगी. उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्र हैं, विशेष रूप से आर्थिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में, साथ ही साथ नई प्रौद्योगिकियां हैं, जिनका उपयोग हमें अपने संबंधों के स्तर को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए.

तेहरान-नयी दिल्ली संबंधों के स्तर को बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम की आवश्यकता पर जोर देते हुए रईसी ने कहा कि एक संयुक्त सहयोग कार्यक्रम की दिशा में आगे बढ़ते हुए, हम दोनों देशों के बीच संबंधों के स्तर पर विभिन्न स्थितियों को दोनों देशों के हित में लाने के लिए कदम उठा सकते हैं.

ईरानी राष्ट्रपति कार्यालय ने जयशंकर के हवाले से कहा कि उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों के साथ संबंध विकसित करने की ईरानी सरकार की इच्छा पर रईसी के भाषण का स्वागत करते हुए कहा कि मैं भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आपके विचार से अवगत कराऊंगा और हम अपने सहयोग को अधिकतम करने का प्रयास करेंगे.

जयशंकर ने ट्वीट किया कि राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के पद संभालने के बाद उनसे आत्मीय भेंट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्तिगत रूप से दी गई शुभकामनाएं उन्हें प्रेषित कीं.

जयशंकर रईसी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामनेई के करीबी एवं न्यायपालिका के पूर्व प्रमुख इब्राहीम रईसी ने मजलिस (संसद) में आयोजित एक समारोह में देश के नये राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. जून में राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी रईसी ने शानदार जीत दर्ज की थी.

जयशंकर ने कहा कि हमारे बीच के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता जाहिर थी. हमारे क्षेत्रीय हितों में समान दिलचस्पी भी स्पष्ट नजर आ रही थी. विदेश मंत्री ने कहा कि वह रईसी की टीम के साथ काम करने को उत्सुक हैं.

रूस के साथ, ईरान अफगान शांति प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है, जिसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर एक नई गति देखी गई है. भारत अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता में एक प्रमुख हितधारक रहा है। भारत , युद्ध से तबाह देश में सहायता और पुनर्निर्माण गतिविधियों में पहले ही लगभग 3 अरब अमरीकी डालर का निवेश कर चुका है.

भारत एक राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है जो अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित हो.भारत अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक वर्गों से आह्वान करता रहा है कि वे एक समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के लिए अल्पसंख्यक समुदायों सहित देश के सभी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करें.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में स्थिति का जायजा लेने और चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को भारत की अध्यक्षता में बैठक होगी.

अफगानिस्तान पर यूएनएससी की बैठक आयोजित करने का निर्णय ऐसे समय आया है जब दो दिन पहले ही अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर से वहां बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर यूएनएससी के एक आपातकालीन सत्र के आयोजन पर बात की थी.

इसे भी पढ़ें : अफगानिस्तान की सुरक्षा में भारत की कोई भूमिका नहीं चाहता पाकिस्तान

भारत अगस्त के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.