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भारत ने की चीन, दक्षिण कोरिया से रसायन की कथित डंपिंग की जांच शुरू

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Published : Sep 24, 2020, 9:53 PM IST

भारत ने चीन और दक्षिण कोरिया से होने वाली रसायन की कथित डंपिंग की जांच शुरू कर दी है. कंपनी का आरोप है कि चीन और दक्षिण कोरिया से कम कीमत पर होने वाले रसायन के आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है.

रसायनिक कचरा
रसायनिक कचरा

नई दिल्ली : भारत ने औषधियों और कृषि रसायनों में उपयोग होने वाले रसायन की चीन और दक्षिण कोरिया से होने वाली कथित डंपिंग की जांच शुरू की है. घरेलू विनिर्माताओं की शिकायत के बाद यह कदम उठाया गया है.

कैबोट सनमार लि. ने वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर के समक्ष आवेदन देकर इन दोनों देशों से आयातित अनट्रिटेड फ्यूम्ड सिलिका के संदर्भ में डंपिंग रोधी जांच शुरू करने का आग्रह किया था.

व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की अधिसूचना के अनुसार कंपनी का आरोप है कि चीन और दक्षिण कोरिया से कम कीमत पर होने वाले रसायन के आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है. कंपनी ने रसायन के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का आग्रह किया.

इसमें कहा गया है कि उद्योग ने जो साक्ष्य दिये हैं, उसके आधार पर प्राधिकरण ने जांच शुरू की है. जांच में महानिदेशालय इस बात का पता लगाएगा कि किस हद तक कथित डंपिंग की जा रही है.

डीजीटीआर को यदि जांच में यह पता चलता है कि डंपिंग हो रही है और उसका घरेलू विनिर्माताओं पर प्रतिकूल असर हो रहा है, तब वह डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा.

डीजीटीआर शुल्क की सिफारिश करता है, जबकि वित्त मंत्रालय इसे लगाता है. जांच की अवधि अप्रैल 2019 से मार्च 2020 है. जांच में 2016 से 2019 के आंकड़े को भी देखा जाएगा.

नई दिल्ली : भारत ने औषधियों और कृषि रसायनों में उपयोग होने वाले रसायन की चीन और दक्षिण कोरिया से होने वाली कथित डंपिंग की जांच शुरू की है. घरेलू विनिर्माताओं की शिकायत के बाद यह कदम उठाया गया है.

कैबोट सनमार लि. ने वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर के समक्ष आवेदन देकर इन दोनों देशों से आयातित अनट्रिटेड फ्यूम्ड सिलिका के संदर्भ में डंपिंग रोधी जांच शुरू करने का आग्रह किया था.

व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की अधिसूचना के अनुसार कंपनी का आरोप है कि चीन और दक्षिण कोरिया से कम कीमत पर होने वाले रसायन के आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है. कंपनी ने रसायन के आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का आग्रह किया.

इसमें कहा गया है कि उद्योग ने जो साक्ष्य दिये हैं, उसके आधार पर प्राधिकरण ने जांच शुरू की है. जांच में महानिदेशालय इस बात का पता लगाएगा कि किस हद तक कथित डंपिंग की जा रही है.

डीजीटीआर को यदि जांच में यह पता चलता है कि डंपिंग हो रही है और उसका घरेलू विनिर्माताओं पर प्रतिकूल असर हो रहा है, तब वह डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा.

डीजीटीआर शुल्क की सिफारिश करता है, जबकि वित्त मंत्रालय इसे लगाता है. जांच की अवधि अप्रैल 2019 से मार्च 2020 है. जांच में 2016 से 2019 के आंकड़े को भी देखा जाएगा.

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