नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में बाल मजदूरी में बच्चों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गयी है, जो दो दशक में पहली बार बढ़ी है और कोविड-19 की वजह से अभी लाखों और बच्चे बाल मजदूरी के जोखिम में हैं.
ILO महानिदेशक का ट - गाइ राइडर कहना है कि नए अनुमान एक वेक-अप कॉल हैं. जब तक बच्चों की नई पीढ़ी को जोखिम में डाल दिया जाता है, तब तक हम खामोश नहीं रह सकते.
रिपोर्ट 'चाइल्ड लेबर: ग्लोबल एस्टीमेट्स 2020, ट्रेंड्स एंड रोड फॉरवर्ड' विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (12 जून) से दो दिन पहले जारी की गयी. इसमें कहा गया है कि बाल मजदूरी को रोकने की दिशा में प्रगति 20 साल में पहली बार अवरुद्ध हुई है. जबकि 2000 से 2016 के बीच बाल श्रम में बच्चों की संख्या 9.4 करोड़ कम हुई थी.
रिपोर्ट में बाल मजदूरी में 5 से 11 साल उम्र के बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी की ओर इशारा किया गया है जो पूरी दुनिया में कुल बाल मजदूरों की संख्या की आधे से अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार, 'दुनियाभर में बाल श्रम में बच्चों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गयी है. इसमें पिछले चार साल में 84 लाख की वृद्धि हुई है. कोविड-19 के प्रभाव के कारण लाखों और बच्चे बाल श्रम की ओर आने के जोखिम में हैं.'
पढ़ें - कोविड-19 : हांगकांग में 12 साल और इससे अधिक आयु के बच्चों का टीकाकरण होगा शुरू
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी साफतौर पर बाल अधिकार के लिए संकट के रूप में उभरी है जिससे कई और परिवारों के अत्यंत गरीब होने के कारण बाल श्रम बढ़ने का जोखिम और बढ़ गया है.