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1971 में पाकिस्तान ने बांग्लादेश ने किया था 'नरसंहार': रिपोर्ट - genocide in bangladesh

पाकिस्तान ने 1971 में बांग्लादेश में बंगालियों के खिलाफ नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों को अंजाम दिया था. इस अमानवीयता को अंजाम कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान की सेना ने किया था. जैसा कि हम जानते हैं कि 1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहचान मिली थी. इसका सारा श्रेय भारतीय सेना को जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

Genocide
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Published : Feb 5, 2022, 4:28 PM IST

नई दिल्ली :

पूर्वी पाकिस्तान जो बांग्लादेश है के नागरिकों पर पाकिस्तान के अत्याचार की चर्चाएं गाहे-बगाहे होती रहती हैं. और पाकिस्तान उन आरोपों से इनकार भी करता रहता है. उल्टे बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई को पाकिस्तान भारत की साजिश बताता रहा है. एक बार फिर मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों की चर्चा हो रही है. सामूहिक हत्याओं के खिलाफ अभियान चलाने वाले अमेरिका स्थित संगठन जेनोसाइड वॉच ने 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अपराधों को 'नरसंहार' माना है.

जेनोसाइड वॉच ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत (irrefutable evidence) हैं. सबूतों से पाकिस्तानी सेना की मानवता के खिलाफ की गई बर्बरता का पता चलता है. रिपोर्ट में कहा गया कि 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने हत्या, शारीरिक यातना, बलात्कार, यौन शोषण आदि अमानवीय कृत्यों को व्यापक और व्यवस्थित रूप से अंजाम दिया था. रिपोर्ट में कहा गया कि बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में 'नरसंहार' करने वालों में पाकिस्तानी सेना के अलावा रजाकार, अल बद्र, अल शम्स जैसे लड़ाकू संगठन के साथ-साथ अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों में जमात ए इस्लाम, नेजाम ए इस्लाम और मुस्लिम लीग आदि भी शामिल थे.

इसको पाकिस्तानी सेना, अन्य मिलिशिया बलों (रजाकार, अल बद्र, अल शम्स आदि), और अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों (सहित) द्वारा अंजाम दिया गया था. अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों में जमात ए इस्लाम, नेजाम ए इस्लाम और मुस्लिम लीग आदि भी शामिल थे.

जेनोसाइड वॉच (Genocide Watch) ने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा निर्णायक शोधों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तानी ने सैन्य कमान द्वारा बंगाली समुदाय और उसके बड़े हिस्से को नष्ट करने की योजना कार्रवाई की थी. नरसंहार अध्ययन के विशेषज्ञ और जेनोसाइड वॉच के संस्थापक ग्रेगरी स्टैंटन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से बांग्लादेश में 1971 के नरसंहार को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव लाने का आह्वान किया. उन्होंने सदस्य देशों से भी यही आग्रह किया है.

यह भी पढ़ें - पाकिस्तान ने चीन के साथ CPEC से संबंधित नए समझौते पर हस्ताक्षर किए

घोषणा में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से अपील की गई है कि इन अपराधों को उचित मंचों पर माना जाए. साथ ही नरसंहार के लिए जिम्मेदार जीवित नेताओं पर आरोप तय किए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गए शहीद पत्रकार सेराजुद्दीन हुसैन नूर के बेटे रेजा नूर ने दिसंबर में जेनोसाइड वॉच की मान्यता के लिए आवेदन किया था. नूर का मानना ​​​​है कि जेनोसाइड वॉच की घोषणा ने बांग्लादेश को मानवता के खिलाफ 1971 के अपराधों की वैश्विक मान्यता प्राप्त करने के रास्ते में एक कदम आगे बढ़ाया है. इस रिपोर्ट पर अभी तक पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

आइएएनएस

नई दिल्ली :

पूर्वी पाकिस्तान जो बांग्लादेश है के नागरिकों पर पाकिस्तान के अत्याचार की चर्चाएं गाहे-बगाहे होती रहती हैं. और पाकिस्तान उन आरोपों से इनकार भी करता रहता है. उल्टे बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई को पाकिस्तान भारत की साजिश बताता रहा है. एक बार फिर मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों की चर्चा हो रही है. सामूहिक हत्याओं के खिलाफ अभियान चलाने वाले अमेरिका स्थित संगठन जेनोसाइड वॉच ने 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अपराधों को 'नरसंहार' माना है.

जेनोसाइड वॉच ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत (irrefutable evidence) हैं. सबूतों से पाकिस्तानी सेना की मानवता के खिलाफ की गई बर्बरता का पता चलता है. रिपोर्ट में कहा गया कि 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने हत्या, शारीरिक यातना, बलात्कार, यौन शोषण आदि अमानवीय कृत्यों को व्यापक और व्यवस्थित रूप से अंजाम दिया था. रिपोर्ट में कहा गया कि बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में 'नरसंहार' करने वालों में पाकिस्तानी सेना के अलावा रजाकार, अल बद्र, अल शम्स जैसे लड़ाकू संगठन के साथ-साथ अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों में जमात ए इस्लाम, नेजाम ए इस्लाम और मुस्लिम लीग आदि भी शामिल थे.

इसको पाकिस्तानी सेना, अन्य मिलिशिया बलों (रजाकार, अल बद्र, अल शम्स आदि), और अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों (सहित) द्वारा अंजाम दिया गया था. अखिल इस्लामी राजनीतिक ताकतों में जमात ए इस्लाम, नेजाम ए इस्लाम और मुस्लिम लीग आदि भी शामिल थे.

जेनोसाइड वॉच (Genocide Watch) ने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा निर्णायक शोधों से संकेत मिलता है कि पाकिस्तानी ने सैन्य कमान द्वारा बंगाली समुदाय और उसके बड़े हिस्से को नष्ट करने की योजना कार्रवाई की थी. नरसंहार अध्ययन के विशेषज्ञ और जेनोसाइड वॉच के संस्थापक ग्रेगरी स्टैंटन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से बांग्लादेश में 1971 के नरसंहार को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव लाने का आह्वान किया. उन्होंने सदस्य देशों से भी यही आग्रह किया है.

यह भी पढ़ें - पाकिस्तान ने चीन के साथ CPEC से संबंधित नए समझौते पर हस्ताक्षर किए

घोषणा में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से अपील की गई है कि इन अपराधों को उचित मंचों पर माना जाए. साथ ही नरसंहार के लिए जिम्मेदार जीवित नेताओं पर आरोप तय किए जाएं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गए शहीद पत्रकार सेराजुद्दीन हुसैन नूर के बेटे रेजा नूर ने दिसंबर में जेनोसाइड वॉच की मान्यता के लिए आवेदन किया था. नूर का मानना ​​​​है कि जेनोसाइड वॉच की घोषणा ने बांग्लादेश को मानवता के खिलाफ 1971 के अपराधों की वैश्विक मान्यता प्राप्त करने के रास्ते में एक कदम आगे बढ़ाया है. इस रिपोर्ट पर अभी तक पाकिस्तान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

आइएएनएस

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