मास्को : भारत से अंतरिक्ष में जाने के लिए गगनयान मिशन के तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों ने मास्को के पास रूस के 'जिजोज्दिनी गोरोदोक' शहर में एक साल की ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. गगनयान मिशन का उद्देश्य सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों को 'ऑरबिटल स्पेसक्राफ्ट' के साथ अंतरिक्ष में भेजना है.
रूसी राज्य अंतरिक्ष निगम के प्रमुख, दिमित्री रोगोज़िन ने अपने टेलीग्राम चैनल पर स्पुतनिक के हवाले से कहा, 'भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग के लिए जून 2019 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रूसी कंपनी ग्लेव कॉसमॉस के बीच समझौता किया गया था. इस ट्रेनिंग में भारतीय वायु सेना के एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर ने हिस्सा लिया हैं.
इन सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग 10 फरवरी 2020 से शुरु हुआ था, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से ट्रेनिंग को रोकना पड़ा.
इससे पहले, इसरो के अधिकारियों ने कहा था कि रूस में ट्रेनिंग के बाद, ये अंतरिक्ष यात्री अब भारत में ट्रेनिंग मॉड्यूल से ट्रेनिंग लेंगे. रुस से वापस आने के बाद, उन्हें इसरो द्वारा डिजाइन किए गए क्रू और सर्विस मॉड्यूल में ट्रेनिंग दिया जाएगा जिसमें ट्रेनिंग के तीन हिस्से होंगे. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
गगनयान परियोजना के लिए भारत सरकार ने दस हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. अंतरिक्ष विभाग के मुताबिक, 2022-23 में दूसरे मानव रहित मिशन के बाद भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान 'गगनयान' लॉन्च किए जाने की योजना है.
हाल ही में परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इसरो का गगनयान कार्यक्रम अंतरिक्ष में मानव भेजने का एक प्रयास है.
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राज्य सभा में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने परियोजना के बारे में कहा था कि इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यान से एस्ट्रोनॉट को लो अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी की निचली कक्षा) में भेजना और वहां से उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है. इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत को इस बात पर गर्व है कि कई भारतीय वैज्ञानिक अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं.