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जी-20 के सदस्यों पर दुनिया की सेहत का दारोमदार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कई बार आगाह किया है कि वैश्विक वैक्सीन कवरेज में देरी पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट सामने आते हैं जो मौजूदा वैक्सीन का उन पर असर बेहद कम हैं. इजरायल के वैज्ञानिकों ने बताया है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ केवल 64 प्रतिशत प्रभावी है, जबकि मूल वायरस के खिलाफ 95 प्रतिशत प्रभावी है.

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Published : Jul 10, 2021, 2:23 PM IST

जी-20
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बीजिंग : जब जी-20 (G20 members) अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्री नौ से 10 जुलाई को वेनिस में मिलेंगे, तो उन्हें कोविड महामारी (covid pandemic) के खिलाफ दुनिया को प्रतिरक्षित करने के लिए एक योजना अपनानी चाहिए. प्रत्येक वैक्सीन उत्पादक देश उस बैठक में उपस्थित होंगे, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, यूरोपीय संघ, चीन, और रूस शामिल हैं. इसके साथ में ये देश 2022 की शुरूआत तक पूरे विश्व के लिए टीकाकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन करने जा रहे हैं. फिर भी दुनिया में इसे पूरा करने की योजना का अभाव है.

गरीब देशों में वैक्सीन कवरेज लाने का मौजूदा वैश्विक प्रयास, जिसे कोवैक्स के रूप में जाना जाता है, विनाशकारी रूप से कम हो गया है, क्योंकि वैक्सीन-उत्पादक देशों ने अपने उत्पादन का उपयोग अपनी आबादी का टीकाकरण करने के लिए किया है. इतना ही नहीं, वैक्सीन-उत्पादक कंपनियों ने कम कीमत पर कोवैक्स के बजाय द्विपक्षीय रूप से वैक्सीन बेचने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों के साथ गुप्त सौदे किए हैं.

दुनिया वैक्सीन बनाने वाले देशों के स्वार्थ, कंपनियों के लालच और दुनिया के प्रमुख क्षेत्रों के बीच बुनियादी सहकारी शासन के पतन से त्रस्त है. मुझे नहीं लगता अमेरिकी सरकार के विशेषज्ञ कभी वैश्विक वैक्सीन अभियान की योजना बनाने के लिए चीन और रूस में अपने समकक्षों के साथ मुलाकात की हो.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कई बार आगाह किया है कि वैश्विक वैक्सीन कवरेज में देरी पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट सामने आते हैं जो मौजूदा वैक्सीन का उन पर असर बेहद कम हैं. इजरायल के वैज्ञानिकों ने बताया है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ केवल 64 प्रतिशत प्रभावी है, जबकि मूल वायरस के खिलाफ 95 प्रतिशत प्रभावी है.

अच्छी खबर यह है कि व्यापक वैश्विक वैक्सीन कवरेज संभव है. वैश्विक उत्पादन स्तर अब कुछ ही महीनों में हर देश में वयस्क आबादी के लिए व्यापक कवरेज तक पहुंचने के लिए काफी ऊंचा है. अब हमें दुनिया भर के देशों के बीच वैक्सीन की खुराक साझा करने की योजना बनाने की जरूरत है. यदि जी-20 के सदस्य अंतत: गंभीरता से योजना बनाना शुरू कर देते हैं, तो कोई भी देश वैक्सीन पाने से अछूता नहीं रहेगा.

पढ़ें- साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करे रूस: बाइडेन

अनुमान के अनुसार, दुनिया की आबादी 7.8 अरब है, और 5.8 अरब लोग 15 या उससे अधिक उम्र के हैं. यदि हम व्यापक टीकाकरण को प्रत्येक देश में वयस्क (15 और अधिक उम्र) आबादी के 80 प्रतिशत कवरेज के रूप में परिभाषित करते हैं, तो दुनिया का लक्ष्य 4.6 अरब लोगों का टीकाकरण करना होना चाहिए.

इस साल 30 जून तक, लगभग 85 करोड़ लोगों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया जा चुका है और लगभग 95 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है. विश्व स्तर पर 80 प्रतिशत वयस्क टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने के लिए लगभग छह अरब अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता होगी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वैक्सीन उत्पादक कंपनी और देश के अनुसार अपेक्षित मासिक वैक्सीन उत्पादन पर कोई व्यवस्थित, व्यापक और अप-टू-डेट आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.

डेल्टा वेरिएंट अब अफ्रीका के माध्यम से बढ़ रहा है. जब तक कि टीकाकरण कवरेज नाटकीय रूप से तेज नहीं हो जाता है, तब तक पूरी दुनिया में एक बड़ी तबाही का खतरा बना रहेगा. इसके अलावा, मौजूदा वैक्सीन से बचने की अधिक क्षमता वाले नए वेरिएंट जल्द ही सामने आ सकते हैं और वैश्विक वैक्सीन-विरोधी आंदोलन और दुष्प्रचार अभियानों ने वैक्सीन हिचकिचाहट को बढ़ावा दिया है, जिसका अर्थ है कि खुराक उपलब्ध होने पर भी व्यापक वयस्क कवरेज में गिरावट आयी है.

संक्षेप में हम अभी भी पूरी तरह से असुरक्षित हैं. कोविड-19 से अब तक हुई 40 लाख मौतों की पुष्टि कोविड-19 महमारी से लड़ने में दुनिया की विफलता का दुखद परिणाम है. जी-7 ने पिछले महीने 87 करोड़ वैकसीन दान करने का वायदा किया, जो लगभग 43.5 करोड़ लोगों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन यह वैश्विक योजना से बहुत कम है.

यह जरूरी हो जाता है कि जी-20 के सदस्य एक साथ आयें और आवश्यक वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए कार्य करें. सच में, दुनिया की सेहत इस बात पर निर्भर करती है कि इस हफ्ते वेनिस में क्या होता है.

(आईएएनएस)

बीजिंग : जब जी-20 (G20 members) अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्री नौ से 10 जुलाई को वेनिस में मिलेंगे, तो उन्हें कोविड महामारी (covid pandemic) के खिलाफ दुनिया को प्रतिरक्षित करने के लिए एक योजना अपनानी चाहिए. प्रत्येक वैक्सीन उत्पादक देश उस बैठक में उपस्थित होंगे, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, यूरोपीय संघ, चीन, और रूस शामिल हैं. इसके साथ में ये देश 2022 की शुरूआत तक पूरे विश्व के लिए टीकाकरण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन करने जा रहे हैं. फिर भी दुनिया में इसे पूरा करने की योजना का अभाव है.

गरीब देशों में वैक्सीन कवरेज लाने का मौजूदा वैश्विक प्रयास, जिसे कोवैक्स के रूप में जाना जाता है, विनाशकारी रूप से कम हो गया है, क्योंकि वैक्सीन-उत्पादक देशों ने अपने उत्पादन का उपयोग अपनी आबादी का टीकाकरण करने के लिए किया है. इतना ही नहीं, वैक्सीन-उत्पादक कंपनियों ने कम कीमत पर कोवैक्स के बजाय द्विपक्षीय रूप से वैक्सीन बेचने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों के साथ गुप्त सौदे किए हैं.

दुनिया वैक्सीन बनाने वाले देशों के स्वार्थ, कंपनियों के लालच और दुनिया के प्रमुख क्षेत्रों के बीच बुनियादी सहकारी शासन के पतन से त्रस्त है. मुझे नहीं लगता अमेरिकी सरकार के विशेषज्ञ कभी वैश्विक वैक्सीन अभियान की योजना बनाने के लिए चीन और रूस में अपने समकक्षों के साथ मुलाकात की हो.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कई बार आगाह किया है कि वैश्विक वैक्सीन कवरेज में देरी पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है, क्योंकि वायरस के नए वेरिएंट सामने आते हैं जो मौजूदा वैक्सीन का उन पर असर बेहद कम हैं. इजरायल के वैज्ञानिकों ने बताया है कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ केवल 64 प्रतिशत प्रभावी है, जबकि मूल वायरस के खिलाफ 95 प्रतिशत प्रभावी है.

अच्छी खबर यह है कि व्यापक वैश्विक वैक्सीन कवरेज संभव है. वैश्विक उत्पादन स्तर अब कुछ ही महीनों में हर देश में वयस्क आबादी के लिए व्यापक कवरेज तक पहुंचने के लिए काफी ऊंचा है. अब हमें दुनिया भर के देशों के बीच वैक्सीन की खुराक साझा करने की योजना बनाने की जरूरत है. यदि जी-20 के सदस्य अंतत: गंभीरता से योजना बनाना शुरू कर देते हैं, तो कोई भी देश वैक्सीन पाने से अछूता नहीं रहेगा.

पढ़ें- साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करे रूस: बाइडेन

अनुमान के अनुसार, दुनिया की आबादी 7.8 अरब है, और 5.8 अरब लोग 15 या उससे अधिक उम्र के हैं. यदि हम व्यापक टीकाकरण को प्रत्येक देश में वयस्क (15 और अधिक उम्र) आबादी के 80 प्रतिशत कवरेज के रूप में परिभाषित करते हैं, तो दुनिया का लक्ष्य 4.6 अरब लोगों का टीकाकरण करना होना चाहिए.

इस साल 30 जून तक, लगभग 85 करोड़ लोगों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया जा चुका है और लगभग 95 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है. विश्व स्तर पर 80 प्रतिशत वयस्क टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने के लिए लगभग छह अरब अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता होगी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वैक्सीन उत्पादक कंपनी और देश के अनुसार अपेक्षित मासिक वैक्सीन उत्पादन पर कोई व्यवस्थित, व्यापक और अप-टू-डेट आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.

डेल्टा वेरिएंट अब अफ्रीका के माध्यम से बढ़ रहा है. जब तक कि टीकाकरण कवरेज नाटकीय रूप से तेज नहीं हो जाता है, तब तक पूरी दुनिया में एक बड़ी तबाही का खतरा बना रहेगा. इसके अलावा, मौजूदा वैक्सीन से बचने की अधिक क्षमता वाले नए वेरिएंट जल्द ही सामने आ सकते हैं और वैश्विक वैक्सीन-विरोधी आंदोलन और दुष्प्रचार अभियानों ने वैक्सीन हिचकिचाहट को बढ़ावा दिया है, जिसका अर्थ है कि खुराक उपलब्ध होने पर भी व्यापक वयस्क कवरेज में गिरावट आयी है.

संक्षेप में हम अभी भी पूरी तरह से असुरक्षित हैं. कोविड-19 से अब तक हुई 40 लाख मौतों की पुष्टि कोविड-19 महमारी से लड़ने में दुनिया की विफलता का दुखद परिणाम है. जी-7 ने पिछले महीने 87 करोड़ वैकसीन दान करने का वायदा किया, जो लगभग 43.5 करोड़ लोगों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन यह वैश्विक योजना से बहुत कम है.

यह जरूरी हो जाता है कि जी-20 के सदस्य एक साथ आयें और आवश्यक वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए कार्य करें. सच में, दुनिया की सेहत इस बात पर निर्भर करती है कि इस हफ्ते वेनिस में क्या होता है.

(आईएएनएस)

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