कुआलालंपुर : इंडोनेशिया कोविड-19 मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण देश में उत्पादन हो रहे अधिकतर ऑक्सीजन का इस्तेमाल चिकित्सा के लिए कर रहा है. मलेशिया में भी अस्पतालों में जगह नहीं मिलने के कारण फर्श पर ही मरीजों का उपचार हो रहा है जबकि म्यांमाक के सबसे बड़े शहर में मौत के मामले बढ़ने से कब्रिस्तान में दिन-रात शव दफनाए जा रहे हैं.
अप्रैल-मई में भारत में महामारी की तेज लहर के दौरान खुले में शवों के अंतिम संस्कार की भयावह तस्वीरें आयी थीं. कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के कारण नयी लहर के दौरान पिछले दो हफ्तों में दक्षिण-पूर्व एशिया के तीन देशों में मृत्यु के मामले तेजी से बढ़े हैं.
मलेशिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य सेलंगोर में कई मरीजों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है. मलेशिया में रेड क्रॉस के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र के स्वास्थ्य समन्वयक अभिषेक रिमल ने बताया कि संक्रमण को लेकर बढ़ती लापरवाही, कम टीकाकरण दर और वायरस के डेल्टा स्वरूप के तेजी से प्रसार के कारण मामले बढ़े हैं. मलेशिया में राष्ट्रीय लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण के मामले कम नहीं हो रहे. देश में 13 जुलाई से हर दिन 10,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं. देश में अब तक 15 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हुआ है.
इंडोनेशिया, म्यांमार और मलेशिया में जून के बाद से तेजी से मामले बढ़ रहे हैं. कंबोडिया और थाईलैंड में भी संक्रमण और मौत के मामले बढ़े हैं. दुनिया में आबादी के हिसाब से चौथे नंबर के देश इंडोनेशिया में बुधवार को संक्रमण से 1383 लोगों की मौत हुई. मध्य जून में रोजाना करीब 8,000 मामले आ रहे थे जिसके बाद पिछले सप्ताह 50,000 से ज्यादा मामले आने लगे. अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए निर्धारित ऑक्सीजन की खपत पर रोक लगा दी गयी है और 90 प्रतिशत ऑक्सीजन अस्पतालों को भेजे जा रहे हैं.
म्यांमार में भी स्वास्थ्य ढांचे पर गंभीर असर पड़ा है. देश में मध्य मई से संक्रमण और मौत के मामले बढ़ने लगे. म्यांमार में मंगलवार को संक्रमण के 5860 मामले आए और 286 लोगों की मौत हुई. देश की करीब तीन प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हो पाया है. पिछले सप्ताह से यांगून के सात कब्रिस्तान में दिन रात शव दफनाए जा रहे हैं. रविवार को ही 1200 से ज्यादा लोगों के शव दफनाए गए.
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(पीटीआई-भाषा)