सैन फ्रांसिस्को/पेरिस : कोरोना महामारी के कारण विश्व के कई हिस्सों में लॉकडाउन की स्थिति में घरेलू हिंसा की घटनाएं निकल कर सामने आ रही हैं. कानून प्रवर्तन एजेंसियों का कहना है कि इस दौरान घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों की बाढ़ आ गई है. यह स्थिति भी कम भयावह नहीं है.
अमेरिका के टेक्सास के अधिवक्ताओं का कहना है कि वे घरेलू हिंसा से संबंधित कॉल में वृद्धि देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन हालातों में घरेलू हिंसा का सामना करने वालों को लिए जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता है.
ईस्ट टेक्सास के लुफ्किन में फैमिली क्राइसिस सेंटर के प्रोग्राम डायरेक्टर ग्लेना हरकनेस ने कहा, 'लोग अभी जोखिम में हैं, लॉकडाउन से खतरा बढ़ गया है. जब लोग अपने घरों में एक साथ रहते हैं, या वे लॉकडाउन में होते हैं, तो घरेलू हिंसा बढ़ना लाजमी है.'
हैकरनेस के अनुसार, इस सप्ताह 24 घंटे हॉटलाइन कॉल में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शारीरिक शोषण नहीं है अपितु यह भावना और मनोविज्ञान से जुड़ा हुआ है. जब लोग एक जगह सीमित होते हैं तो ऐसे किस्से आपको सुनने को मिल जाते हैं.
कोरोना के कारण उत्पन्न परिस्थिति के बाद शुरू हुए लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा मामले में हुई वृद्धि, ब्राजील से जर्मनी और इटली से चीन तक बताई जा रही है.
फ्रांस 24 की रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू हिंसा से पीड़ित कई फ्रांसीसी महिलाओं और परिवारों के लिए, घर पर ही रहना एक दुःस्वप्न बन गया है.
पेरिस स्थित मनोचिकित्सक मैरी-फ्रांस हीरिगॉयन ने हाल ही में घर पर रह रही एक महिला की दुर्दशा का जिक्र किया. उनका कहना है कि महिला का पति शराबी है. इस बात का महिला को काफी दुख है. लेकिन जब वह घर में कैद है तो पति के शराब पीने का परिणाम और भी ज्यादा भयानक हो गया है. लॉडाउन के कारण घरेलू हिंसा से जुड़े जोखिम का मामला बढ़ गया है.
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कोरोना के कारण 17 मार्च से फ्रांस लॉकडाउन मोड पर है. इससे पहले एक रिपोर्ट कहा गया था कि लॉकडाउन में तनाव, तंग और रहने की कठिन स्थिति, और सामुदायिक सहायता तंत्र और घरेलू हिंसा को बढ़ा दिया है.
इतना ही नहीं लॉकडाउन से बच्चों को भी खतरा है. जर्मनी में, स्कूलों को बंद करने के साथ, बाल संरक्षण संगठनों ने बाल दुर्व्यवहार में संभावित वृद्धि की चेतावनी दी है.
जर्मन चिल्ड्रन एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी रेनर रिटिंगर के अनुसार, कुछ बच्चों के लिए स्थिति जानलेवा बन सकती है.