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जलवायु परिवर्तन : न्यूजीलैंड में इस वर्ष सबसे ज्यादा गर्म रहा सर्दियों का मौसम

न्यूजीलैंड में हाल में समाप्त हुआ सर्दियों का मौसम अब तक सबसे गर्म रहा है और वैज्ञानिकों की मानें तो इसका कारण जलवायु परिवर्तन है. पढे़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 6, 2021, 12:25 PM IST

वेलिंगटन : न्यूजीलैंड में हाल में समाप्त हुआ सर्दियों का मौसम अब तक सबसे गर्म रहा है और वैज्ञानिकों की मानें तो इसका कारण जलवायु परिवर्तन है.

न्यूजीलैंड के राष्ट्रीय जल एवं वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान (New Zealand’s National Institute of Water and Atmospheric Research) के मुताबिक, अगस्त समेत तीन महीनों में औसत तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस रहा है. यह दीर्घकालिक औसत से 1.3 डिग्री सेल्सियस अधिक है और पिछले वर्ष के अधिकतम तापमान से 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है.

वैज्ञानिक 1909 से तापमान पर नजर रख रहे हैं लेकिन सर्दियों के वे मौसम हाल के हैं जब तापमान अधिक दर्ज किया गया है.

संस्थान के मौसम विज्ञानी नावा फेडेफ ने बताया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि की पृष्ठभूमि में, इस वर्ष उत्तर दिशा से अधिक गर्म हवाएं चलीं और समुद्र का तापमान भी अधिक रहा. उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान को कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता के जरिए देखा जा सकता है. न्यूजीलैंड में कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता 50 वर्ष पहले 320 भाग प्रति दस लाख (320 पीपीएम) थी जो आज 412 भाग प्रति दस लाख (412 पीपीएम) हो गई है.

उन्होंने कहा कि मौसम संबंधी अन्य घटनाक्रम भी हुए जैसे कि किसी किसी हिस्से में भयंकर बाढ़ आई तो कहीं पर सूखा रहा.

पढ़ें : जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई से भारत के लिए अरबों डॉलर के अवसर पैदा होंगे : रिपोर्ट

वेलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक प्रोफेसर जेम्स रेनविक ने कहा कि इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव पड़ रहा है तथा समय बीतने के साथ साथ और प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा रहेगा. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाए.

(पीटीआई-भाषा)

वेलिंगटन : न्यूजीलैंड में हाल में समाप्त हुआ सर्दियों का मौसम अब तक सबसे गर्म रहा है और वैज्ञानिकों की मानें तो इसका कारण जलवायु परिवर्तन है.

न्यूजीलैंड के राष्ट्रीय जल एवं वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान (New Zealand’s National Institute of Water and Atmospheric Research) के मुताबिक, अगस्त समेत तीन महीनों में औसत तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस रहा है. यह दीर्घकालिक औसत से 1.3 डिग्री सेल्सियस अधिक है और पिछले वर्ष के अधिकतम तापमान से 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है.

वैज्ञानिक 1909 से तापमान पर नजर रख रहे हैं लेकिन सर्दियों के वे मौसम हाल के हैं जब तापमान अधिक दर्ज किया गया है.

संस्थान के मौसम विज्ञानी नावा फेडेफ ने बताया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि की पृष्ठभूमि में, इस वर्ष उत्तर दिशा से अधिक गर्म हवाएं चलीं और समुद्र का तापमान भी अधिक रहा. उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान को कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता के जरिए देखा जा सकता है. न्यूजीलैंड में कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता 50 वर्ष पहले 320 भाग प्रति दस लाख (320 पीपीएम) थी जो आज 412 भाग प्रति दस लाख (412 पीपीएम) हो गई है.

उन्होंने कहा कि मौसम संबंधी अन्य घटनाक्रम भी हुए जैसे कि किसी किसी हिस्से में भयंकर बाढ़ आई तो कहीं पर सूखा रहा.

पढ़ें : जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई से भारत के लिए अरबों डॉलर के अवसर पैदा होंगे : रिपोर्ट

वेलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक प्रोफेसर जेम्स रेनविक ने कहा कि इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव पड़ रहा है तथा समय बीतने के साथ साथ और प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा रहेगा. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाए.

(पीटीआई-भाषा)

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