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विभाजन के दौरान अलग हुआ ईसाई परिवार गुरुद्वारा दरबार साहिब में फिर से मिला - Christian family reunites at Gurdwara Darbar Sahib in Pakistan

करतारपुर साहिब कॉरिडोर बिछड़े परिवार को फिर से मिलने का मौका दे रहा है. विभाजन के दौरान अलग हुए एक ईसाई परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य मिले तो भावुक हो गए.

Gurdwara Darbar Sahib in Pakistan
ईसाई परिवार गुरुद्वारा दरबार साहिब में फिर से मिला
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Published : Feb 19, 2022, 9:30 PM IST

लाहौर : विभाजन के दौरान अलग हुए एक ईसाई परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य जब पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में करीब 35 साल बाद फिर से मिले तो बेहद भावुक हो गए (Gurdwara Darbar Sahib in Kartarpur).

ऐसी घटनाएं भारत और पाकिस्तान के लोगों को करीब लाने में वीजा मुक्त करतारपुर गलियारे की सफलता को दर्शाते हैं. परिवार के पुनर्मिलन के दौरान सदस्यों की आंखें भर आयीं और इस भावुक पल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

पाकिस्तान में ननकाना जिले के मनावाला के रहने वाले शाहिद रईक मिठू शुक्रवार को अपने परिवार के 40 सदस्यों के साथ पहुंचे, जिन्होंने भारत के अमृतसर जिले की अजनाला तहसील के शाहपुर डोगरा गांव के रहने वाले सोनू मिठू से मुलाकात की. सोनू के साथ उनके परिवार के आठ सदस्य भी थे. शाहिद मिठू ने कहा कि उनके दिवंगत दादा इकबाल मसीह विभाजन के दौरान पाकिस्तान आ गए थे जबकि इकबाल के भाई इनायत भारत में ही रूक गए थे.

उन्होंने कहा, 'करीब 35 साल पहले इनायत ननकाना साहिब के मनावाला स्थित हमारे घर घूमने आए थे. तब मैं सात साल का था. वह और मेरे दादा (इकबाल) ने उस दौरान अपने बचपन के दिनों को याद किया था.'

शाहिद ने कहा, 'मेरे दादा का दो महीने पहले निधन हो गया जबकि इनायत का करीब सात साल पहले निधन हो चुका है. उनके दो बड़े भाइयों का भी निधन हो चुका है.'

उन्होंने कहा, 'इनायत के हमारे घर घूमने आने के बाद से पहली बार सीमा के दोनों तरफ रहने वाले हमारे परिवार के सदस्य करतारपुर साहिब में एक-दूसरे से मिल पाए हैं. हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान हमें वीजा जारी करवाने में मदद करें ताकि हम अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए अमृतसर के गांव जा सकें.'

पढ़ें- 74 साल बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर में मिलकर खूब रोए दो भाई

शाहिद ने बताया कि भारत में रह रहे उनके परिवार के सदस्यों से उनका संपर्क टूट गया था, हालांकि, वे ननकाना साहिब निवासी भूपेंद्र सिंह लवली के जरिये सीमा पार रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों से सपंर्क बना पाए. लवली यूट्यूब पर एक चैनल का संचालन करते हैं, जिसका मकसद दोनों देशों में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को आपस में मिलवाने में मदद करना है.

(पीटीआई-भाषा)

लाहौर : विभाजन के दौरान अलग हुए एक ईसाई परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य जब पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में करीब 35 साल बाद फिर से मिले तो बेहद भावुक हो गए (Gurdwara Darbar Sahib in Kartarpur).

ऐसी घटनाएं भारत और पाकिस्तान के लोगों को करीब लाने में वीजा मुक्त करतारपुर गलियारे की सफलता को दर्शाते हैं. परिवार के पुनर्मिलन के दौरान सदस्यों की आंखें भर आयीं और इस भावुक पल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

पाकिस्तान में ननकाना जिले के मनावाला के रहने वाले शाहिद रईक मिठू शुक्रवार को अपने परिवार के 40 सदस्यों के साथ पहुंचे, जिन्होंने भारत के अमृतसर जिले की अजनाला तहसील के शाहपुर डोगरा गांव के रहने वाले सोनू मिठू से मुलाकात की. सोनू के साथ उनके परिवार के आठ सदस्य भी थे. शाहिद मिठू ने कहा कि उनके दिवंगत दादा इकबाल मसीह विभाजन के दौरान पाकिस्तान आ गए थे जबकि इकबाल के भाई इनायत भारत में ही रूक गए थे.

उन्होंने कहा, 'करीब 35 साल पहले इनायत ननकाना साहिब के मनावाला स्थित हमारे घर घूमने आए थे. तब मैं सात साल का था. वह और मेरे दादा (इकबाल) ने उस दौरान अपने बचपन के दिनों को याद किया था.'

शाहिद ने कहा, 'मेरे दादा का दो महीने पहले निधन हो गया जबकि इनायत का करीब सात साल पहले निधन हो चुका है. उनके दो बड़े भाइयों का भी निधन हो चुका है.'

उन्होंने कहा, 'इनायत के हमारे घर घूमने आने के बाद से पहली बार सीमा के दोनों तरफ रहने वाले हमारे परिवार के सदस्य करतारपुर साहिब में एक-दूसरे से मिल पाए हैं. हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान हमें वीजा जारी करवाने में मदद करें ताकि हम अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए अमृतसर के गांव जा सकें.'

पढ़ें- 74 साल बाद करतारपुर साहिब कॉरिडोर में मिलकर खूब रोए दो भाई

शाहिद ने बताया कि भारत में रह रहे उनके परिवार के सदस्यों से उनका संपर्क टूट गया था, हालांकि, वे ननकाना साहिब निवासी भूपेंद्र सिंह लवली के जरिये सीमा पार रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों से सपंर्क बना पाए. लवली यूट्यूब पर एक चैनल का संचालन करते हैं, जिसका मकसद दोनों देशों में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को आपस में मिलवाने में मदद करना है.

(पीटीआई-भाषा)

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