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ग्रे सूची में ही रहेगा पाकिस्तान, चीन की दोस्ती नहीं आई काम - चीन की साजिश समझ रही दुनिया

पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने में नाकामयाब रहा है. इसलिए एफएटीएफ ने उसे ग्रे सूची में बरकरार रखा है. हालांकि, पाक को उम्मीद थी कि दोस्त चीन उसे बचाने की हर कोशिश करेगा, लेकिन चीन ने उसे भी दगा दे दिया. एक अमेरिकी शोधकर्ता ने भी दावा किया है कि चीन अब पूरी दुनिया के सामने बेनकाब होता जा रहा है. वह किसी का सगा नहीं है.

Pakistan, China, India
पाकिस्तान, चीन, भारत
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Published : Oct 23, 2020, 6:58 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 10:48 PM IST

वाशिंगटन : पाकिस्तान को भरोसा था कि चीन कूटनीति के जरिए इस्लामाबाद को आतंकी गतिविधियों के लिए जवाबदेही से बचाने में मदद करेगा. हालांकि, उसे बड़ी नाकामयाबी हाथ लगी. एफएटीएफ की शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान ग्रे सूची में ही रहेगा. चीन और पाकिस्तान को अब दुनिया पहचानने लगी है. यही कारण है कि एफएटीएफ की बैठक से पहले एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने दुनिया को पाकिस्तान और चीन के कारनामों और सोच से अवगत कराया. द वाशिंगटन एग्जामिनर में सार्वजनिक नीति शोधकर्ता माइकल रुबिन ने अपने ओपिनियन पीस में कहा है कि बीजिंग आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कम प्रतिबद्ध है और भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवाद का इस्तेमाल करने की इच्छा रखता है.

पाकिस्तान को भरोसा, चीन बचा लेगा

माइकल रुबिन ने कहा कि चीन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की उदारवादी नीतियों के छोड़कर कई मोर्चों पर दुश्मन देश को घेरने की योजना पर काम कर रहा है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भी इन्हीं में से एक है. पर्याप्त सुधार करने की बजाय पाकिस्तानी अधिकारी इस बात पर भरोसा करते हुए दिख रहे हैं कि चीन कूटनीतिक तरीके से उनके लिए बल्लेबाजी करने आएगा और पाकिस्तान को जवाबदेही से बचा लेगा. रुबिन का यह बयान एफएटीएफ की पूर्ण बैठक के निष्कर्ष के पहले आया था. वैश्विक धन-शोधन और आतंक-वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ 21 अक्टूबर से अपना पूर्ण सत्र आयोजित कर रही है.

चिंतित नहीं है पाकिस्तान

पाकिस्तान के विशेष वित्त सलाहकार अब्दुल हफीज शेख के साथ चीनी दूत याओ जिंग के बीच बैठक (पिछले महीने) के बारे में बात करते हुए रूबिन ने कहा कि दोनों प्रतिनिधियों ने कथित तौर पर एफएटीएफ प्रतिबद्धताओं के बारे में कम बात की और 60 बिलियन डॉलर निवेश वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) पर ज्यादा बात की. सीपैक की सफलता पाकिस्तान की आर्थिक क्षमता और इसके एफएटीएफ से बचने पर निर्भर करती है. इससे साबित होता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ को लेकर चिंतित नहीं है.

पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतरा

शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई. एफएटीफ ने बयान जारी कर बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है. एफएटीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. एफएटीएफ में पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतर गया. उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए. एफएटीएफ के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से एफएटीएफ में राहत दिलाने के लिए सहायता मांगी थी.

अब अगले साल फरवरी में होगी बैठक

एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने पेरिस से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान निगरानी सूची या ग्रे सूची में बना रहेगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्य योजनाओं में से छह को पूरा करने में अब तक विफल रहा है और इसके परिणामस्वरूप यह देश एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा. पाकिस्तान को आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और मुकदमा चलाना चाहिए. एफएटीएफ के प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है. अब अगले साल फरवरी में होने वाली एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा की जाएगी.

ग्रे सूची में रहने का असर

अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे सूची में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति और खराब होनी तय है. पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा. पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी. दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है.

नियाजी के लिए यह एक और बड़ा झटका

घरेलू राजनीति में बुरी तरह घिर चुके नियाजी के लिए यह एक और बड़ा झटका है. इमरान खान के लिए यह इसलिए भी बेहद निराश करने वाली खबर है क्योंकि उनकी सरकार ने एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे और ग्रे सूची से बाहर होने के लिए लॉबिंग फर्म कैपिटल हिल की सेवा भी ली थी. हालांकि, एफएटीएफ ने पाकिस्तान के स्टेटस को चेंज नहीं किया, क्योंकि आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले मुल्क ने 27 एक्शन पॉइंट में से 6 पर काम नहीं किया.

बैठक से पहले भारत ने माहौल बना दिया

पाकिस्तान की ओर से पोषित आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित रहे भारत ने शुक्रवार की बैठक से पहले माहौल बना दिया था और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से नामित आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर, लश्कर ए तैयबा ऑपरेशन कमांडर जकिउर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम के लिए सुरक्षित पनाहगाह बने रहने को लेकर जमकर फटकार लगाई थी. नई दिल्ली ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान की ओर से किए गए 3,800 सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन्स के जरिए हथियार, मादक पदार्थ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भेजने का भी जिक्र किया.

2018 से एफएटीएफ की ग्रे-सूची में है पाकिस्तान

इस महीने की शुरुआत में मनी लॉन्ड्रिंग पर एफएटीएफ के एशिया पेसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने आतंकी वित्तपोषण से लड़ने के लिए एफएटीएफ की तकनीकी सिफारिशों पर अपनी धीमी प्रगति के लिए पाकिस्तान को 'बढ़ी हुई अनुवर्ती सूची' में रखा है. पाकिस्तान की प्रगति अपरिवर्तित बनी हुई है. चार मामलों में उसने निर्देशों का पालन नहीं किया. पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है.

वाशिंगटन : पाकिस्तान को भरोसा था कि चीन कूटनीति के जरिए इस्लामाबाद को आतंकी गतिविधियों के लिए जवाबदेही से बचाने में मदद करेगा. हालांकि, उसे बड़ी नाकामयाबी हाथ लगी. एफएटीएफ की शुक्रवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान ग्रे सूची में ही रहेगा. चीन और पाकिस्तान को अब दुनिया पहचानने लगी है. यही कारण है कि एफएटीएफ की बैठक से पहले एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने दुनिया को पाकिस्तान और चीन के कारनामों और सोच से अवगत कराया. द वाशिंगटन एग्जामिनर में सार्वजनिक नीति शोधकर्ता माइकल रुबिन ने अपने ओपिनियन पीस में कहा है कि बीजिंग आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कम प्रतिबद्ध है और भारत को परेशान करने के लिए पाकिस्तानी आतंकवाद का इस्तेमाल करने की इच्छा रखता है.

पाकिस्तान को भरोसा, चीन बचा लेगा

माइकल रुबिन ने कहा कि चीन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की उदारवादी नीतियों के छोड़कर कई मोर्चों पर दुश्मन देश को घेरने की योजना पर काम कर रहा है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) भी इन्हीं में से एक है. पर्याप्त सुधार करने की बजाय पाकिस्तानी अधिकारी इस बात पर भरोसा करते हुए दिख रहे हैं कि चीन कूटनीतिक तरीके से उनके लिए बल्लेबाजी करने आएगा और पाकिस्तान को जवाबदेही से बचा लेगा. रुबिन का यह बयान एफएटीएफ की पूर्ण बैठक के निष्कर्ष के पहले आया था. वैश्विक धन-शोधन और आतंक-वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ 21 अक्टूबर से अपना पूर्ण सत्र आयोजित कर रही है.

चिंतित नहीं है पाकिस्तान

पाकिस्तान के विशेष वित्त सलाहकार अब्दुल हफीज शेख के साथ चीनी दूत याओ जिंग के बीच बैठक (पिछले महीने) के बारे में बात करते हुए रूबिन ने कहा कि दोनों प्रतिनिधियों ने कथित तौर पर एफएटीएफ प्रतिबद्धताओं के बारे में कम बात की और 60 बिलियन डॉलर निवेश वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपैक) पर ज्यादा बात की. सीपैक की सफलता पाकिस्तान की आर्थिक क्षमता और इसके एफएटीएफ से बचने पर निर्भर करती है. इससे साबित होता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ को लेकर चिंतित नहीं है.

पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतरा

शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई. एफएटीफ ने बयान जारी कर बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है. एफएटीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. एफएटीएफ में पाकिस्तान के बचाव में तुर्की खुलकर उतर गया. उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए. एफएटीएफ के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से एफएटीएफ में राहत दिलाने के लिए सहायता मांगी थी.

अब अगले साल फरवरी में होगी बैठक

एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने पेरिस से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान निगरानी सूची या ग्रे सूची में बना रहेगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्य योजनाओं में से छह को पूरा करने में अब तक विफल रहा है और इसके परिणामस्वरूप यह देश एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा. पाकिस्तान को आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और मुकदमा चलाना चाहिए. एफएटीएफ के प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है. अब अगले साल फरवरी में होने वाली एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा की जाएगी.

ग्रे सूची में रहने का असर

अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे सूची में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति और खराब होनी तय है. पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा. पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी. दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है.

नियाजी के लिए यह एक और बड़ा झटका

घरेलू राजनीति में बुरी तरह घिर चुके नियाजी के लिए यह एक और बड़ा झटका है. इमरान खान के लिए यह इसलिए भी बेहद निराश करने वाली खबर है क्योंकि उनकी सरकार ने एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने के लिए कई हथकंडे अपनाए थे और ग्रे सूची से बाहर होने के लिए लॉबिंग फर्म कैपिटल हिल की सेवा भी ली थी. हालांकि, एफएटीएफ ने पाकिस्तान के स्टेटस को चेंज नहीं किया, क्योंकि आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले मुल्क ने 27 एक्शन पॉइंट में से 6 पर काम नहीं किया.

बैठक से पहले भारत ने माहौल बना दिया

पाकिस्तान की ओर से पोषित आतंकवाद से सबसे अधिक पीड़ित रहे भारत ने शुक्रवार की बैठक से पहले माहौल बना दिया था और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से नामित आतंकवादियों जैसे जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर, लश्कर ए तैयबा ऑपरेशन कमांडर जकिउर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम के लिए सुरक्षित पनाहगाह बने रहने को लेकर जमकर फटकार लगाई थी. नई दिल्ली ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान की ओर से किए गए 3,800 सीजफायर उल्लंघन और ड्रोन्स के जरिए हथियार, मादक पदार्थ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भेजने का भी जिक्र किया.

2018 से एफएटीएफ की ग्रे-सूची में है पाकिस्तान

इस महीने की शुरुआत में मनी लॉन्ड्रिंग पर एफएटीएफ के एशिया पेसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने आतंकी वित्तपोषण से लड़ने के लिए एफएटीएफ की तकनीकी सिफारिशों पर अपनी धीमी प्रगति के लिए पाकिस्तान को 'बढ़ी हुई अनुवर्ती सूची' में रखा है. पाकिस्तान की प्रगति अपरिवर्तित बनी हुई है. चार मामलों में उसने निर्देशों का पालन नहीं किया. पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है.

Last Updated : Oct 23, 2020, 10:48 PM IST
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