बीजिंग : चीन ने सोमवार को कहा कि ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण वह बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत शीर्ष अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा. ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री को लेकर चीन और अमेरिका के बीच गहरा रहे तनाव के बीच यह कदम उठाया गया है.
अमेरिकी विदेश विभाग ने एक अरब डॉलर लागत वाली 135 एसएलएएम-ईआर मिसाइल और संबंधित उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी है. ताइवान बड़े पैमाने पर अमेरिका से हथियार खरीदता है. अमेरिका ने 43.61 करोड़ डॉलर की लागत से 11 रॉकेट सिस्टम एम 142 लांचर और संबंधित उपकरण तथा 36.72 करोड़ डॉलर की लागत से एमएस-110 रेकी पॉड और संबंधित उपकरण की बिक्री को भी मंजूरी दी है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा चीन कई मौकों पर कह चुका है कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री करना 'एक चीन नीति' की अवहेलना करने के साथ ही संप्रभुता और सुरक्षा हितों को धता बताना है. हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं.
उन्होंने कहा अपने हितों की रक्षा के लिए हमने जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है. हम हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगाएंगे.
उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, उनमें बोइंग, लॉकहिड मार्टिन और रेथियॉन भी शामिल है.
फिलहाल, यह पता नहीं चल पाया है कि प्रतिबंध से इन कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच ज्यादा रक्षा सहयोग नहीं है.
झाओ ने कहा कि चीन अमेरिका से 'एक चीन' सिद्धांतों का पालन करने और ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के हथियार सौदे पर रोक का आग्रह करता है. उन्होंने कहा, अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हम आवश्यक कदम उठाना जारी रखेंगे.
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चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे और उनमें कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है. चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है. चीन उस पर आक्रमण की धमकी देता है.