संयुक्त राष्ट्र/इस्लामाबादः पाकिस्तान के सहयोगी देश चीन ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से 'बंद कमरे' में विचार विमर्श करने की मांग की है.
संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष राजनयिक ने यह जानकारी दी है.
इससे पहले, पाकिस्तान ने बैठक की मांग करते हुए एक पत्र लिखा था. पाकिस्तान ने इस बारे में अगस्त महीने में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड को पत्र लिखा था.
राजनयिक ने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर मीडिया को बताया कि बैठक बुलाने का अनुरोध हाल ही में किया गया है.
उन्होंने कहा, 'चीन ने सुरक्षा परिषद की कार्यसूची में शामिल भारत-पाकिस्तान सवाल पर बंद कमरे में चर्चा की मांग की है। यह मांग पाकिस्तान की ओर से सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को लिखे पत्र के संदर्भ में की गई है.'
हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की है.
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राजनयिक ने बताया कि चीन ने भी सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने के लिए औपचारिक रूप से अनुरोध किया है. लेकिन पोलैंड को बैठक की तारीख और समय तय करने से पहले अन्य सदस्यों से परामर्श करना होगा.
अधिकारी ने कहा कि अभी तक बैठक के समय को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है लेकिन शुक्रवार की सुबह सबसे नजदीकी विकल्प है.
हालांकि जियो न्यूज ने यूएनएससी अध्यक्ष जोआना व्रोनेका के हवाले से कहा कि 'यूएनएससी जम्मू-कश्मीर के मामले पर संभवत: 16 अगस्त को बंद कमरे में बैठक करेगा.
रिपोर्ट में कहा गया कि बैठक के समय के बारे में पूछे जाने पर व्रोनेका ने कहा, 'संभवत: शुक्रवार को यह होगी क्योंकि यूएनएससी बृहस्पतिवार को काम नहीं करता.'
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा है कि अनुच्छेद 370 संबंधी फैसला उसका आंतरिक मामला है और उसने पाकिस्तान को भी 'वास्तिवकता स्वीकार करने की सलाह दी है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान से 'संयम बरतने' की अपील की है.
गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई द्विपक्षीय मुलाकात में स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला है.
उन्होंने कहा था कि यह बदलाव बेहतर प्रशासन और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए है एवं फैसले का असर भारत की सीमाओं और चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नहीं पड़ेगा.