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तिब्बत को लेकर अमेरिका पर भड़का चीन, बताया राजनीतिक जालसाजी

अमेरिका द्वारा तिब्बत मामलों पर कथित विशेष समन्वयक बनाने को लेकर चीन ने कहा है कि यह चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करना है. चीन का कहना है कि इस कदम से अमेरिका शीजांग को अस्थिर करने की राजनीतिक जालसाजी कर रही है. बता दें, पहले के विपरीत चीनी अधिकारी हाल में तिब्बत का उल्लेख केवल शीजांग के नाम से ही करते हैं.

china on special us appointment for tibet
चीन ने जताई नाराजगी
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Published : Oct 15, 2020, 10:29 PM IST

बीजिंग: चीन ने अमेरिका द्वारा तिब्बत मामले के लिए विशेष समन्वयक नियुक्त करने के कदम की कड़ी निंदा की है. चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वाशिंगटन का यह कदम तिब्बत को अस्थिर करने की राजनीतिक जालसाजी है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम मामलों के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो को तिब्बत मामले का विशेष समन्वयक नामित किया था.

तिब्बत की भाषाई पहचान की रक्षा की जा सके

पोम्पियो ने कहा कि डेस्ट्रो चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और दलाई लामा के साथ संवाद को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि तिब्बत की विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा की जा सके. इसके साथ-साथ तिब्बत के मानवाधिकार के प्रति सम्मान में सुधार के साथ बहुत कुछ किया जा सके. डेस्ट्रो की नियुक्ति पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया को बताया कि अमेरिका का कदम चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसा है.

चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना राजनीतिक जालसाजी

उन्होंने कहा कि तिब्बत मामलों पर कथित विशेष समन्वयक बनाना चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और शीजांग (तिब्बत का चीनी नाम) को अस्थिर करने की पूरी तरह से राजनीतिक जालसाजी है. पहले के विपरीत चीनी अधिकारी हाल में तिब्बत का उल्लेख केवल शीजांग के नाम से ही करते हैं. लिजियान ने कहा कि चीन इसका पूरी तरह से विरोध करता है और उसे कभी मान्यता नहीं देगा. शीजांग के जातीय समूह के लोग चीनी राष्ट्र रूपी वृहद परिवार का हिस्सा हैं.

तिब्बत के सभी लोगों को पूरी धार्मिक आजादी

उन्होंने कहा कि शाांतिपूर्ण स्वतंत्रता के बाद से ही शीजांग में समृद्ध आर्थिक विकास, सौहर्द्रपूर्ण नागरिक समाज और संपन्न संस्कृति है. लोग एकजुटता और आपसी सहयोग के साथ-साथ जीविकोपार्जन में हुए सुधार के साथ आगे बढ़ रहे हैं. तिब्बत के सभी लोगों को पूरी धार्मिक आजादी है और उनके अधिकारों का पूरा सम्मान होता है और उसकी गांरटी प्राप्त है.

पढ़ें: भारत-चीन तनाव पर बोले विदेश मंत्री- अभी कुछ कहना जल्दबाजी

ट्रंप प्रशासन तिब्बत से निपटने के चीनी तरीके की कर रहा आलोचना

लिजियान ने कहा कि हमारा विश्वास है कि तिब्बत का भविष्य बेहतर है. अमेरिका को तिब्बत के नाम पर चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप या अस्थिर करना बंद कर देना चाहिए. चीन अपने हितों के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. पिछले साल से ही अमेरिका का डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन तिब्बत से निपटने के चीनी तरीके की आलोचना कर रहा है खासतौर पर दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के मुद्दे को लेकर.

दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में चीन सहमति जरूरी

चीन ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की योजना पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि वाशिंगटन संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरुपयोग’ आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए कर रहा है. चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि तिब्बत के मौजूदा अध्यात्मिक नेता दलाई लामा (85वर्ष) के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में उसकी सहमति जरूरी है.

बीजिंग: चीन ने अमेरिका द्वारा तिब्बत मामले के लिए विशेष समन्वयक नियुक्त करने के कदम की कड़ी निंदा की है. चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वाशिंगटन का यह कदम तिब्बत को अस्थिर करने की राजनीतिक जालसाजी है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम मामलों के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो को तिब्बत मामले का विशेष समन्वयक नामित किया था.

तिब्बत की भाषाई पहचान की रक्षा की जा सके

पोम्पियो ने कहा कि डेस्ट्रो चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार और दलाई लामा के साथ संवाद को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि तिब्बत की विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा की जा सके. इसके साथ-साथ तिब्बत के मानवाधिकार के प्रति सम्मान में सुधार के साथ बहुत कुछ किया जा सके. डेस्ट्रो की नियुक्ति पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया को बताया कि अमेरिका का कदम चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जैसा है.

चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना राजनीतिक जालसाजी

उन्होंने कहा कि तिब्बत मामलों पर कथित विशेष समन्वयक बनाना चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और शीजांग (तिब्बत का चीनी नाम) को अस्थिर करने की पूरी तरह से राजनीतिक जालसाजी है. पहले के विपरीत चीनी अधिकारी हाल में तिब्बत का उल्लेख केवल शीजांग के नाम से ही करते हैं. लिजियान ने कहा कि चीन इसका पूरी तरह से विरोध करता है और उसे कभी मान्यता नहीं देगा. शीजांग के जातीय समूह के लोग चीनी राष्ट्र रूपी वृहद परिवार का हिस्सा हैं.

तिब्बत के सभी लोगों को पूरी धार्मिक आजादी

उन्होंने कहा कि शाांतिपूर्ण स्वतंत्रता के बाद से ही शीजांग में समृद्ध आर्थिक विकास, सौहर्द्रपूर्ण नागरिक समाज और संपन्न संस्कृति है. लोग एकजुटता और आपसी सहयोग के साथ-साथ जीविकोपार्जन में हुए सुधार के साथ आगे बढ़ रहे हैं. तिब्बत के सभी लोगों को पूरी धार्मिक आजादी है और उनके अधिकारों का पूरा सम्मान होता है और उसकी गांरटी प्राप्त है.

पढ़ें: भारत-चीन तनाव पर बोले विदेश मंत्री- अभी कुछ कहना जल्दबाजी

ट्रंप प्रशासन तिब्बत से निपटने के चीनी तरीके की कर रहा आलोचना

लिजियान ने कहा कि हमारा विश्वास है कि तिब्बत का भविष्य बेहतर है. अमेरिका को तिब्बत के नाम पर चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप या अस्थिर करना बंद कर देना चाहिए. चीन अपने हितों के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. पिछले साल से ही अमेरिका का डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन तिब्बत से निपटने के चीनी तरीके की आलोचना कर रहा है खासतौर पर दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के मुद्दे को लेकर.

दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में चीन सहमति जरूरी

चीन ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका द्वारा दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की योजना पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि वाशिंगटन संयुक्त राष्ट्र के मंच का ‘दुरुपयोग’ आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए कर रहा है. चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि तिब्बत के मौजूदा अध्यात्मिक नेता दलाई लामा (85वर्ष) के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में उसकी सहमति जरूरी है.

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