बीजिंग : चीन ने ताइवान के मुद्दे पर (China on Taiwan issue) लिथुआनिया के साथ राजनयिक संबंधों (diplomatic relations with Lithuania) का स्तर कम कर दिया है. इस कदम से यूरोपीय संघ के साथ बीजिंग के संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि 30 लाख से भी कम आबादी वाला बाल्टिक देश इस संघ का प्रभावशाली सदस्य (influential member of the union) है.
चीनी विदेश मंत्रालय (Chinese Foreign Ministry) ने एक बयान में कहा कि दुनिया में केवल एक चीन है और चीन गणराज्य की सरकार पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र वैध सरकार है. इसने कहा कि एक-चीन के सिद्धांत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल है जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मान्यता देने वाला नियम है और यह द्विपक्षीय संबंध बनाने के वास्ते चीन तथा लिथुआनिया के लिए राजनीतिक नींव है.
बयान में कहा गया है कि खेदजनक है कि लिथुआनिया ने चीन के गंभीर रुख को नजरअंदाज करना और द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक हितों तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूल नियमों का निरादर करने का रास्ता चुना. उसने लिथुआनिया में ताइवान के नाम वाला प्रतिनिधित्व कार्यालय स्थापित करने की अनुमति दी है.
चीन सरकार के पास लिथुआनिया के साथ राजनयिक संबंधों के स्तर को कम करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. लिथुआनिया सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे. इसके साथ ही बीजिंग ने ताइवान को आगाह करते हुए कहा कि हम ताइवान प्राधिकारियों को भी सख्त चेतावनी देते हैं कि ताइवान कभी एक देश नहीं रहा.
यह मायने नहीं रखता कि ताइवान के स्वतंत्र बल तथ्यों को किस तरह दिखाते हैं लेकिन ऐतिहासिक तथ्य यह है कि मुख्य भूभाग और ताइवान एक हैं तथा इस तरह चीन को बदला नहीं जा सकता. राजनीतिक जोड़-तोड़ के लिए विदेशी समर्थन हासिल करने की कोशिशें खतरनाक साबित होंगी.
दरअसल, ताइवान पर चीन अपना दावा जताता है. उसने हाल के हफ्तों में ताइवान के वायु क्षेत्र में 200 से अधिक सैन्य विमानों को भेजकर तनाव बढ़ा दिया है. बीजिंग ने अगस्त में विलनुइस से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था और लिथुआनिया से भी चीन से अपने राजदूत को वापस बुलाने को कहा था.
वहीं, लिथुआनिया के अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री ऑस्ट्रिन आर्मोनेत ने कहा कि उनका देश यूएस एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक के साथ 60 करोड़ डॉलर के निर्यात ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करेगा ताकि बीजिंग के आर्थिक प्रभाव का सामना किया जा सके.
लिथुआनिया के साथ चीन का टकराव (China's conflict with Lithuania) ऐसे संवेदनशील वक्त में हुआ है जब शिनजियांग, हांगकांग और तिब्बत में कम्युनिस्ट पार्टी पर मानवाधिकार उल्लंघन के ब्रसेल्स के आरोपों को लेकर बीजिंग के यूरोपीय संघ के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं.
(एपी)