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अफगानिस्तान में मौजूद कीमती धातुओं पर चीन की नजर

पूर्व अफगान राजनयिक अहमद शाह कतवाजई के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान में मौजूद दुर्लभ धातुओं की कीमत 2020 में एक हजार अरब डॉलर से लेकर तीन हजार अरब डॉलर के बीच लगाई गई थी.

अफगानिस्तान
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Published : Aug 20, 2021, 6:09 AM IST

बीजिंग : तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के साथ चीन की नजर अब वहां धरती में मौजूद खरबों डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुओं पर है. सीएनबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान दूतावास के पूर्व राजनयिक अहमद शाह कतवाजई के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद दुर्लभ धातुओं की कीमत 2020 में एक हजार अरब डॉलर से लेकर तीन हजार अरब डॉलर के बीच लगाई गई थी.

इन कीमतों धातुओं का इस्तेमाल हाई-टेक मिसाइल की प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों में प्रमुख तौर पर किया जाता है. चीन ने बुधवार कहा था कि वह तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद राजनयिक मान्यता देने पर फैसला करेगा.

रिपोर्ट के अनुसार बड़ी मुश्किल से मिलने वाले इन धातुओं का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए दोबारा चार्ज की जाने वाली बैटरी, आधुनिक सिरामिक के बर्तन, कंप्यूटर, डीवीडी प्लेयर, टरबाइन, वाहनों और तेल रिफाइनरियों में उत्प्रेरक, टीवी, लेजर, फाइबर ऑप्टिक्स, सुपरकंडक्टर्स और ग्लास पॉलिशिंग में किया जाता है.

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुनिया की 85 प्रतिशत से अधिक दुर्लभ पृथ्वी की धातुओं की आपूर्ति करता है. चीन सुरमा (एंटीमनी) और बराइट जैसी दुर्लभ धातुओं और खनिजों की भी आपूर्ति करता है, जो वैश्विक आपूर्ति के लिए मौजूद लगभग दो-तिहाई हिस्सा है.

चीन ने 2019 में अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के दौरान धातु निर्यात को नियंत्रण में करने की धमकी दी थी. चीन के इस कदम से अमेरिकी उच्च तकनीक उद्योग के लिए कच्चे माल की गंभीर कमी हो सकती है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा आतंकियों को प्रोत्साहित करेगा : ब्रिटिश मंत्री

उभरते बाजार ऋण एलायंसबर्नस्टीन की निदेशक शमिला खान का मानना है कि तालिबान ऐसे संसाधनों के साथ सामने आये हैं जो दुनिया के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकते है। अफगानिस्तान में मौजूद खनिजों का दुरुपयोग किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग : तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के साथ चीन की नजर अब वहां धरती में मौजूद खरबों डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुओं पर है. सीएनबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में अफगान दूतावास के पूर्व राजनयिक अहमद शाह कतवाजई के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद दुर्लभ धातुओं की कीमत 2020 में एक हजार अरब डॉलर से लेकर तीन हजार अरब डॉलर के बीच लगाई गई थी.

इन कीमतों धातुओं का इस्तेमाल हाई-टेक मिसाइल की प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों में प्रमुख तौर पर किया जाता है. चीन ने बुधवार कहा था कि वह तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाने के बाद राजनयिक मान्यता देने पर फैसला करेगा.

रिपोर्ट के अनुसार बड़ी मुश्किल से मिलने वाले इन धातुओं का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए दोबारा चार्ज की जाने वाली बैटरी, आधुनिक सिरामिक के बर्तन, कंप्यूटर, डीवीडी प्लेयर, टरबाइन, वाहनों और तेल रिफाइनरियों में उत्प्रेरक, टीवी, लेजर, फाइबर ऑप्टिक्स, सुपरकंडक्टर्स और ग्लास पॉलिशिंग में किया जाता है.

सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुनिया की 85 प्रतिशत से अधिक दुर्लभ पृथ्वी की धातुओं की आपूर्ति करता है. चीन सुरमा (एंटीमनी) और बराइट जैसी दुर्लभ धातुओं और खनिजों की भी आपूर्ति करता है, जो वैश्विक आपूर्ति के लिए मौजूद लगभग दो-तिहाई हिस्सा है.

चीन ने 2019 में अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के दौरान धातु निर्यात को नियंत्रण में करने की धमकी दी थी. चीन के इस कदम से अमेरिकी उच्च तकनीक उद्योग के लिए कच्चे माल की गंभीर कमी हो सकती है.

यह भी पढ़ें- अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा आतंकियों को प्रोत्साहित करेगा : ब्रिटिश मंत्री

उभरते बाजार ऋण एलायंसबर्नस्टीन की निदेशक शमिला खान का मानना है कि तालिबान ऐसे संसाधनों के साथ सामने आये हैं जो दुनिया के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकते है। अफगानिस्तान में मौजूद खनिजों का दुरुपयोग किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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