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बलूच विद्रोह से पाकिस्तान में बीआरआई परियोजनाओं पर खतरा, चीन चिंतित

चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीनी और समुद्री मार्ग के जरिए जोड़ना है. इसके अतंर्गत चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई का महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन बलूचिस्तान के कई हिस्सों में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठने लगी है, जिसकी वजह से चीन पर राजनीतिक खतरा मंडराने लगा है. इन इलाकों में पाकिस्तानी सेना तैनात है, जो विद्रोह को दबाने के लिए लगातार मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. पढ़ें विस्तार से...

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग
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Published : Jul 20, 2020, 5:45 PM IST

Updated : Jul 20, 2020, 7:47 PM IST

बीजिंग : एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में बलूच अलगाववादियों द्वारा किए गए जानलेवा हमलों ने चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना को खतरे में डाल दिया है और इसकी लागत को बढ़ा दिया है. जबकि अरब सागर पर बने ग्वादर बंदरगाह पर बीजिंग का हित इस्लामाबाद और तेहरान के छद्म युद्ध के बीच फंस गया है.

हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादियों द्वारा घातक हमलों की वजह से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जिस पर 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया गया है और ग्वादर बंदरगाह जिस पर चीन का दबदबा है, उस पर खतरा मंडरा रहा है.

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है. सीपीईसी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बीआरआई परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

मई के बाद हुए तीसरे हमले में आतंकवादियों ने पंजगुर जिले में गश्त कर रहे अर्धसैनिक बल के जवानों पर गोलीबारी की जिसमें तीन सैनिक मारे गए और सेना के एक कर्नल सहित आठ अन्य घायल हो गए.

रिपोर्ट के अनुसार बलूच अलगाववादी गुटों ने हाल ही में सिंध प्रांत और इसकी प्रांतीय राजधानी कराची तक अपने अभियानों का विस्तार किया है. सिंध में बीजिंग के निवेश उतने ही खतरे में है जितने कि बलूचिस्तान में.

चीन के स्वामित्व वाले उद्यम कराची बंदरगाह पर कंटेनर टर्मिनल चलाते हैं और उन्होंने सीपीईसी के तहत और स्थानीय निगमों की साझेदारी में स्थापित परमाणु और कोयला बिजली परियोजनाओं में निवेश किया है.

29 जून को चार आतंकियों को पुलिस कमांडो ने मार डाला था, जब उन्होंने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया था. कराची स्टॉक एक्सचेंज में तीन चीनी कंपनियों की 40 प्रतिशत की भागीदारी है.

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के निदेशक मोहम्मद अमीर राणा ने पोस्ट को बताया कि बलूच समूहों ने न केवल अपने हमलों को तेज किया है, बल्कि बलूचिस्तान से परे अपनी आतंकवादी हिंसा का विस्तार भी किया है, लेकिन यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि यह प्रवृत्ति बनी रहेगी या समाप्त होगी.

यह भी पढ़ें- चीन के BRI से दुनिया के कई देशों को खतरा : USA

राणा ने कहा कि सीपीईसी परियोजनाएं और उसमें काम कर रहे चीनी स्टाफ की हिफाजत 2017 में बने स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन के 13,700 सैनिक कर रहे हैं, जिनका नेतृत्व टू स्टार पाकिस्तानी सेना के जनरल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रांत में पैदा हो रहे उग्रवाद को कुचलने के लिए तैनात पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ बलूचिस्तान के कई हिस्सों में जनता के गुस्से की लहर के कारण बीजिंग पर राजनीतिक खतरा मंडरा रहा है.

जून में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के नेता अख्तर मेंगल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से अलग हो गए थे.

बीबीसी को दिए साक्षात्कार में मेंगल ने कहा कि 2018 में जब से प्रधानमंत्री इमरान खान ने पदभार संभाला है तब से 1500 से अधिक बलूच गायब हो चुके हैं और खुद मेंगल ने 500 लोगों को सुरक्षा बलों की गिरफ्त से आजाद कराया है.

बलूचिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा की स्थिति के कारण चीन का सीपीईसी निवेश, ग्वादर पोर्ट और कराची को तटीय राजमार्ग से जोड़ने वाली सड़क के विकास तक ही सीमित रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर में बिजली और पानी की भारी कमी है. बंदरगाह अभी पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है और सिर्फ अफगान ट्रांसशिपमेंट कार्गो को ही चालू किया गया है.

यह भी पढ़ें- बेल्ट एंड रोड फोरम के दौरान 64 अरब डॉलर से अधिक के करार हुए: जिनपिंग

इसके अलावा ग्वादर पोर्ट पर चीन के मंसूबे पाकिस्तान और ईरान के बीच चल रही तनातनी में फंस कर रह गए हैं. पाकिस्तान और ईरान दोनों ही भारत और सऊदी अरब को सीमापार से हमले के लिए दोषी ठहरा रहे हैं.

2018 में जब सऊदी अरब को ग्वादर पर 10 बिलियन यूएसडी की लागत की तेल रिफाइनरी और भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, तब से पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों को ईरान शक की निगाह से देखता है.

तेहरान विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्राध्यापक और प्रसिद्ध राजनीतिक टिप्पणीकार सैयद मोहम्मद मरांडी ने कहा कि ईरानियों को लगता है कि पाकिस्तान अपनी तरफ की सीमा सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब का बहुत सा पैसा इन चरमपंथी गुटों के पास चला गया है और सउदी ने ही इन आतंकवादियों को पैसे से मदद की है. इसी तरह पाकिस्तान ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत की भागीदारी से चिंतित है जो ग्वादर के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

राजनेताओं ने चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान में संघीय सरकार की नीतियों के खिलाफ बढ़ रहा आक्रोश एक बहुत बड़े विद्रोह के करीब है.

यह भी पढ़ें- बीआरआई के बहिष्कार के बावजूद चीन के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर असर नहीं: भारतीय राजदूत

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पिछले महीने कहा था कि राज्य को बलूचिस्तान को लेकर अधिक सावधान रहने की जरूरत है.

बीजिंग : एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में बलूच अलगाववादियों द्वारा किए गए जानलेवा हमलों ने चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना को खतरे में डाल दिया है और इसकी लागत को बढ़ा दिया है. जबकि अरब सागर पर बने ग्वादर बंदरगाह पर बीजिंग का हित इस्लामाबाद और तेहरान के छद्म युद्ध के बीच फंस गया है.

हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादियों द्वारा घातक हमलों की वजह से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जिस पर 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश किया गया है और ग्वादर बंदरगाह जिस पर चीन का दबदबा है, उस पर खतरा मंडरा रहा है.

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है. सीपीईसी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बीआरआई परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

मई के बाद हुए तीसरे हमले में आतंकवादियों ने पंजगुर जिले में गश्त कर रहे अर्धसैनिक बल के जवानों पर गोलीबारी की जिसमें तीन सैनिक मारे गए और सेना के एक कर्नल सहित आठ अन्य घायल हो गए.

रिपोर्ट के अनुसार बलूच अलगाववादी गुटों ने हाल ही में सिंध प्रांत और इसकी प्रांतीय राजधानी कराची तक अपने अभियानों का विस्तार किया है. सिंध में बीजिंग के निवेश उतने ही खतरे में है जितने कि बलूचिस्तान में.

चीन के स्वामित्व वाले उद्यम कराची बंदरगाह पर कंटेनर टर्मिनल चलाते हैं और उन्होंने सीपीईसी के तहत और स्थानीय निगमों की साझेदारी में स्थापित परमाणु और कोयला बिजली परियोजनाओं में निवेश किया है.

29 जून को चार आतंकियों को पुलिस कमांडो ने मार डाला था, जब उन्होंने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया था. कराची स्टॉक एक्सचेंज में तीन चीनी कंपनियों की 40 प्रतिशत की भागीदारी है.

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के निदेशक मोहम्मद अमीर राणा ने पोस्ट को बताया कि बलूच समूहों ने न केवल अपने हमलों को तेज किया है, बल्कि बलूचिस्तान से परे अपनी आतंकवादी हिंसा का विस्तार भी किया है, लेकिन यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि यह प्रवृत्ति बनी रहेगी या समाप्त होगी.

यह भी पढ़ें- चीन के BRI से दुनिया के कई देशों को खतरा : USA

राणा ने कहा कि सीपीईसी परियोजनाएं और उसमें काम कर रहे चीनी स्टाफ की हिफाजत 2017 में बने स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन के 13,700 सैनिक कर रहे हैं, जिनका नेतृत्व टू स्टार पाकिस्तानी सेना के जनरल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रांत में पैदा हो रहे उग्रवाद को कुचलने के लिए तैनात पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ बलूचिस्तान के कई हिस्सों में जनता के गुस्से की लहर के कारण बीजिंग पर राजनीतिक खतरा मंडरा रहा है.

जून में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के नेता अख्तर मेंगल ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से अलग हो गए थे.

बीबीसी को दिए साक्षात्कार में मेंगल ने कहा कि 2018 में जब से प्रधानमंत्री इमरान खान ने पदभार संभाला है तब से 1500 से अधिक बलूच गायब हो चुके हैं और खुद मेंगल ने 500 लोगों को सुरक्षा बलों की गिरफ्त से आजाद कराया है.

बलूचिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा की स्थिति के कारण चीन का सीपीईसी निवेश, ग्वादर पोर्ट और कराची को तटीय राजमार्ग से जोड़ने वाली सड़क के विकास तक ही सीमित रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर में बिजली और पानी की भारी कमी है. बंदरगाह अभी पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है और सिर्फ अफगान ट्रांसशिपमेंट कार्गो को ही चालू किया गया है.

यह भी पढ़ें- बेल्ट एंड रोड फोरम के दौरान 64 अरब डॉलर से अधिक के करार हुए: जिनपिंग

इसके अलावा ग्वादर पोर्ट पर चीन के मंसूबे पाकिस्तान और ईरान के बीच चल रही तनातनी में फंस कर रह गए हैं. पाकिस्तान और ईरान दोनों ही भारत और सऊदी अरब को सीमापार से हमले के लिए दोषी ठहरा रहे हैं.

2018 में जब सऊदी अरब को ग्वादर पर 10 बिलियन यूएसडी की लागत की तेल रिफाइनरी और भंडारण सुविधा स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, तब से पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों को ईरान शक की निगाह से देखता है.

तेहरान विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्राध्यापक और प्रसिद्ध राजनीतिक टिप्पणीकार सैयद मोहम्मद मरांडी ने कहा कि ईरानियों को लगता है कि पाकिस्तान अपनी तरफ की सीमा सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब का बहुत सा पैसा इन चरमपंथी गुटों के पास चला गया है और सउदी ने ही इन आतंकवादियों को पैसे से मदद की है. इसी तरह पाकिस्तान ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत की भागीदारी से चिंतित है जो ग्वादर के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

राजनेताओं ने चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान में संघीय सरकार की नीतियों के खिलाफ बढ़ रहा आक्रोश एक बहुत बड़े विद्रोह के करीब है.

यह भी पढ़ें- बीआरआई के बहिष्कार के बावजूद चीन के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों पर असर नहीं: भारतीय राजदूत

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पिछले महीने कहा था कि राज्य को बलूचिस्तान को लेकर अधिक सावधान रहने की जरूरत है.

Last Updated : Jul 20, 2020, 7:47 PM IST
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