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यूएन महासचिव गुटेरेस की अपील- किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से बचें भारत और चीन

भारत-चीन सीमा विवाद पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपील की है कि भारत और चीन को किसी भी तनावपूर्ण स्थिति से बचना चाहिए. इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी भारत-चीन के बीच विवाद सुलझाने को मध्यस्थता की बात कह चुके हैं. पढ़े विस्तार से...

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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस
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Published : May 29, 2020, 12:59 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत और चीन के बीच जोर पकड़ रहे सीमा विवाद को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह विचार करना यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का काम नहीं है कि इस स्थिति में किसे मध्यस्थता करनी चाहिए. लेकिन उन्होंने सभी पक्षों से तनाव पैदा कर सकने वाले कदमों से बचने की अपील की है.

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं.

गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने बुधवार को अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यह निर्णय लेना हमारा नहीं, बल्कि मामले में शामिल पक्षों का काम है कि वे किसे मध्यस्थ बनाना चाहते हैं. हम हालात पर निस्संदेह नजर रख रहे हैं और हम सभी संबंधित पक्षों से अपील करेंगे कि वे हालात को और तनावपूर्ण बनाने वाले कदम उठाने से बचें.'

डुजारिक से भारत एवं चीन के बीच सीमा पर तनाव को लेकर सवाल किया गया था. उनसे पूछा गया कि संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव इसे लेकर कितना चिंतित हैं. उनसे यह भी सवाल किया गया था कि महासचिव के अनुसार ट्रंप इस स्थिति में अच्छे मध्यस्थ बन सकते हैं या नहीं.

उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने भारत और चीन सीमा विवाद में बुधवार को अचानक मध्यस्थता करने की पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं.

ट्रंप ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नई दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भारत और चीन के बीच की सीमा है.

पढ़ें-ट्रंप का दावा, चीन विवाद को लेकर पीएम मोदी का मूड ठीक नहीं

एलएसी पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन, दोनों देशों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण मजबूत किए हैं. इससे गतिरोध की दो अलग-अलग घटनाओं के दो सप्ताह बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने तथा दोनों के रुख में सख्ती का स्पष्ट संकेत मिलता है.

भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है. भारत ने चीन की इस दलील को भी पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है. हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले सप्ताह एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि भारतीय सैनिकों द्वारा पश्चिमी सेक्टर या सिक्किम सेक्टर में एलएसी के पार गतिविधियां संचालित किए जाने संबंधी बात सही नहीं है. भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा से पूरी तरह अवगत हैं और इसका निष्ठापूर्वक पालन करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र : भारत और चीन के बीच जोर पकड़ रहे सीमा विवाद को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह विचार करना यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का काम नहीं है कि इस स्थिति में किसे मध्यस्थता करनी चाहिए. लेकिन उन्होंने सभी पक्षों से तनाव पैदा कर सकने वाले कदमों से बचने की अपील की है.

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं.

गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने बुधवार को अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'यह निर्णय लेना हमारा नहीं, बल्कि मामले में शामिल पक्षों का काम है कि वे किसे मध्यस्थ बनाना चाहते हैं. हम हालात पर निस्संदेह नजर रख रहे हैं और हम सभी संबंधित पक्षों से अपील करेंगे कि वे हालात को और तनावपूर्ण बनाने वाले कदम उठाने से बचें.'

डुजारिक से भारत एवं चीन के बीच सीमा पर तनाव को लेकर सवाल किया गया था. उनसे पूछा गया कि संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव इसे लेकर कितना चिंतित हैं. उनसे यह भी सवाल किया गया था कि महासचिव के अनुसार ट्रंप इस स्थिति में अच्छे मध्यस्थ बन सकते हैं या नहीं.

उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने भारत और चीन सीमा विवाद में बुधवार को अचानक मध्यस्थता करने की पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं.

ट्रंप ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नई दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.

करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भारत और चीन के बीच की सीमा है.

पढ़ें-ट्रंप का दावा, चीन विवाद को लेकर पीएम मोदी का मूड ठीक नहीं

एलएसी पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन, दोनों देशों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण मजबूत किए हैं. इससे गतिरोध की दो अलग-अलग घटनाओं के दो सप्ताह बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने तथा दोनों के रुख में सख्ती का स्पष्ट संकेत मिलता है.

भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है. भारत ने चीन की इस दलील को भी पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है. हालांकि मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले सप्ताह एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि भारतीय सैनिकों द्वारा पश्चिमी सेक्टर या सिक्किम सेक्टर में एलएसी के पार गतिविधियां संचालित किए जाने संबंधी बात सही नहीं है. भारतीय सैनिक भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा से पूरी तरह अवगत हैं और इसका निष्ठापूर्वक पालन करते हैं.

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