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चीन के साथ संघर्ष में भारत का साथ देगी अमेरिकी सेना : ह्वाइट हाउस - यूएसएस रोनाल्ड रीगन

अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपना रुख और स्पष्ट करते हुए कहा है कि अमेरिकी सेना भारत के साथ 'मजबूती से खड़ी रहेगी.' ह्वाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में दो बड़े विमान वाहक जहाजों को भेजा है. यूएसएस निमित्ज (सीवीएन 68) और यूएसएस रोनाल्ड रीगन (सीवीएन 76) का उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए द्वंद्व वाहक संचालन और अभ्यास आयोजित करना है.

america is with india against china
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Published : Jul 7, 2020, 7:44 AM IST

वॉशिंगटन : ह्वाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी सेना भारत और चीन के बीच या कहीं और भी संघर्ष के संबंध में उसके साथ 'मजबूती से खड़ी रहेगी.'

नौसेना द्वारा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोत तैनात किए जाने के बाद अधिकारी का यह बयान आया है.

ह्वाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ मार्क मीडोज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 'संदेश स्पष्ट है. हम खड़े होकर चीन को या किसी और को सबसे शक्तिशाली या प्रभावी बल होने के संदर्भ में कमान नहीं थामने दे सकते, फिर चाहे वह उस क्षेत्र में हो या यहां.'

मीडोज ने कहा कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने दो विमान वाहक पोत भेजे है. उन्होंने कहा, 'हमारा मिशन यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया यह जाने कि हमारे पास अब भी दुनिया का उत्कृष्ट बल है.'

चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में लिप्त है. चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है. वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के भी क्षेत्र को लेकर उसके दावे हैं.

उन्हें बताया गया कि भारत ने पिछले महीने चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद कई चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया.

पढ़ें-यूएसएस निमित्ज व रोनाल्ड रीगन चीन से भयभीत नहीं : अमेरिकी नौसेना

भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग सहित पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आठ सप्ताह से गतिरोध जारी है.

हालांकि, स्थिति तब बिगड़ गई जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए.

चीनी सेना ने गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग से सोमवार को अपने सैनिकों की वापसी शुरू कर दी.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के 'तेजी से' पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने पर सहमत हुए.

वॉशिंगटन : ह्वाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी सेना भारत और चीन के बीच या कहीं और भी संघर्ष के संबंध में उसके साथ 'मजबूती से खड़ी रहेगी.'

नौसेना द्वारा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोत तैनात किए जाने के बाद अधिकारी का यह बयान आया है.

ह्वाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ मार्क मीडोज ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 'संदेश स्पष्ट है. हम खड़े होकर चीन को या किसी और को सबसे शक्तिशाली या प्रभावी बल होने के संदर्भ में कमान नहीं थामने दे सकते, फिर चाहे वह उस क्षेत्र में हो या यहां.'

मीडोज ने कहा कि अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने दो विमान वाहक पोत भेजे है. उन्होंने कहा, 'हमारा मिशन यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया यह जाने कि हमारे पास अब भी दुनिया का उत्कृष्ट बल है.'

चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में लिप्त है. चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है. वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के भी क्षेत्र को लेकर उसके दावे हैं.

उन्हें बताया गया कि भारत ने पिछले महीने चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद कई चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया.

पढ़ें-यूएसएस निमित्ज व रोनाल्ड रीगन चीन से भयभीत नहीं : अमेरिकी नौसेना

भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग सहित पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आठ सप्ताह से गतिरोध जारी है.

हालांकि, स्थिति तब बिगड़ गई जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए.

चीनी सेना ने गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग से सोमवार को अपने सैनिकों की वापसी शुरू कर दी.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के 'तेजी से' पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने पर सहमत हुए.

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