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जेल में लेखक की मौत के विरोध में बांग्लादेश में 300 कार्यकर्ताओं ने निकाली रैली - बांग्लादेश में एक लेखक एवं स्तंभकार की मौत

बांग्लादेश में एक लेखक एवं स्तंभकार की पिछले हफ्ते जेल में मौत की घटना के विरोध में सोमवार को करीब 300 छात्र कार्यकर्ताओं ने यहां प्रदर्शन किया. बांग्लादेश के नए डिजिटल सुरक्षा कानून को आलोचकों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया है.

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Published : Mar 1, 2021, 7:35 PM IST

ढाका : बांग्लादेश में एक लेखक एवं स्तंभकार की पिछले हफ्ते जेल में मौत की घटना के विरोध में सोमवार को करीब 300 छात्र कार्यकर्ताओं ने यहां प्रदर्शन किया. मुश्ताक अहमद (53) को सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर पिछले साल मई में गिरफ्तार कर लिया गया था. पिछले बृहस्पतिवार को जेल में उनकी मौत हो गई थी.

बांग्लादेश के नए डिजिटल सुरक्षा कानून को आलोचकों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया है. प्रदर्शनकारियों ने यहां ढाका यूनिवर्सिटी परिसर और देश के गृह मंत्रालय की ओर जाने वाली ढाका की सड़कों पर मार्च किया. वे डिजिटल सुरक्षा कानून रद्द करने और अहमद की मौत की निंदा करने को लेकर हाल ही में हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए सात छात्र कार्यकर्ताओं को रिहा करने की भी मांग कर रहे हैं.

उन्होंने मंत्रालय के रास्ते में लगाए गए कंटीले तार हटाते हुए एक अवरोधक को तोड़ दिया, लेकिन मंत्रालय के बाहर तैनात सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. महफूजा अख्तर नाम की एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम न्याया चाहते हैं. हालांकि, किसी तरह की हिंसा की कोई खबर नहीं है. अहमद की जमानत याचिका कम से कम छह बार नामंजूर कर दी गई थी. अहमद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत किसी असमान्य परिस्थिति या कारणों के चलते नहीं हुई. हालांकि, उनके वकीलों ने दावा किया है कि उनहें जेल में प्रताड़ित किया गया और उनके खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्हें नौ महीने से जेल में रखा गया था.

यह भी पढ़ें-पश्चिम बंगाल में आरजेडी ममता के साथ, भाजपा को रोकना एकमात्र लक्ष्य : तेजस्वी

सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हुए नारे लगाए और उन्होंने अहमद की मौत के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया.

ढाका : बांग्लादेश में एक लेखक एवं स्तंभकार की पिछले हफ्ते जेल में मौत की घटना के विरोध में सोमवार को करीब 300 छात्र कार्यकर्ताओं ने यहां प्रदर्शन किया. मुश्ताक अहमद (53) को सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर पिछले साल मई में गिरफ्तार कर लिया गया था. पिछले बृहस्पतिवार को जेल में उनकी मौत हो गई थी.

बांग्लादेश के नए डिजिटल सुरक्षा कानून को आलोचकों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया है. प्रदर्शनकारियों ने यहां ढाका यूनिवर्सिटी परिसर और देश के गृह मंत्रालय की ओर जाने वाली ढाका की सड़कों पर मार्च किया. वे डिजिटल सुरक्षा कानून रद्द करने और अहमद की मौत की निंदा करने को लेकर हाल ही में हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए सात छात्र कार्यकर्ताओं को रिहा करने की भी मांग कर रहे हैं.

उन्होंने मंत्रालय के रास्ते में लगाए गए कंटीले तार हटाते हुए एक अवरोधक को तोड़ दिया, लेकिन मंत्रालय के बाहर तैनात सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. महफूजा अख्तर नाम की एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम न्याया चाहते हैं. हालांकि, किसी तरह की हिंसा की कोई खबर नहीं है. अहमद की जमानत याचिका कम से कम छह बार नामंजूर कर दी गई थी. अहमद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत किसी असमान्य परिस्थिति या कारणों के चलते नहीं हुई. हालांकि, उनके वकीलों ने दावा किया है कि उनहें जेल में प्रताड़ित किया गया और उनके खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्हें नौ महीने से जेल में रखा गया था.

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सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हुए नारे लगाए और उन्होंने अहमद की मौत के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया.

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