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बांग्लादेश : पीएम शेख हसीना की हत्या के प्रयास के जुर्म में 14 आतंकियों को मृत्युदंड

हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के 14 आतंकवादियों ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या के प्रयास किए थे. इस जुर्म के लिए उन्हें न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई है.

शेख हसीना
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Published : Mar 23, 2021, 6:15 PM IST

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के दक्षिण-पश्चिमी निर्वाचन क्षेत्र में साल 2000 में उनकी हत्या की कोशिश करने के जुर्म में 14 इस्लामी आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई.

ढाका के त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण-प्रथम के न्यायाधीश अबु जफर मोहम्मद कमरूज्जमा ने फैसला सुनाते हुए कहा, मिसाल कायम करने के लिए इस फैसले को फायरिंग दस्ता लागू करेगा, जब तक कि कानून द्वारा इस पर रोक न लगाई जाए.

सुनवाई के दौरान आरोपियों में से नौ को जेल से अदालत में लाया गया था.

न्यायाधीश कमरूज्जमा ने कहा कि अन्यथा दोषियों को बांग्लादेश के कानून के तहत मृत्युदंड की अनिवार्य समीक्षा के बाद उच्चतम न्यायालय के उच्च न्यायालय खंड की मंजूरी मिलने पर वर्तमान दस्तूर के अनुसार फांसी पर लटकाया जा सकता है.

ये सारे दोषी प्रतिबंधित हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के सदस्य हैं. बाकी पांच दोषी फरार हैं और उनकी गैर हाजिरी में उनपर सुनवाई चली तथा सरकार द्वारा नियुक्त वकीलों ने कानून के मुताबिक उनका बचाव किया.

पढ़ें :- कोरोना काल के बाद पहली बार विदेश यात्रा पर बांग्लादेश जाएंगे पीएम मोदी

न्यायाधीश ने कहा कि फरार मुजरिमों की गिरफ्तारी या उनके आत्मसमर्पण कर देने के बाद फैसले को लागू किया जाए.

हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के आतंकवादियों ने 21 जुलाई, 2000 को दक्षिण-पश्चिम गोपालगंज के कोटलीपाड़ा में एक मैदान के समीप 76 किलोग्राम बम लगा दिया था. वहां हसीना एक चुनाव रैली को संबोधित करने वाली थीं.

ढाका : बांग्लादेश की एक अदालत ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के दक्षिण-पश्चिमी निर्वाचन क्षेत्र में साल 2000 में उनकी हत्या की कोशिश करने के जुर्म में 14 इस्लामी आतंकवादियों को मौत की सजा सुनाई.

ढाका के त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण-प्रथम के न्यायाधीश अबु जफर मोहम्मद कमरूज्जमा ने फैसला सुनाते हुए कहा, मिसाल कायम करने के लिए इस फैसले को फायरिंग दस्ता लागू करेगा, जब तक कि कानून द्वारा इस पर रोक न लगाई जाए.

सुनवाई के दौरान आरोपियों में से नौ को जेल से अदालत में लाया गया था.

न्यायाधीश कमरूज्जमा ने कहा कि अन्यथा दोषियों को बांग्लादेश के कानून के तहत मृत्युदंड की अनिवार्य समीक्षा के बाद उच्चतम न्यायालय के उच्च न्यायालय खंड की मंजूरी मिलने पर वर्तमान दस्तूर के अनुसार फांसी पर लटकाया जा सकता है.

ये सारे दोषी प्रतिबंधित हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के सदस्य हैं. बाकी पांच दोषी फरार हैं और उनकी गैर हाजिरी में उनपर सुनवाई चली तथा सरकार द्वारा नियुक्त वकीलों ने कानून के मुताबिक उनका बचाव किया.

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न्यायाधीश ने कहा कि फरार मुजरिमों की गिरफ्तारी या उनके आत्मसमर्पण कर देने के बाद फैसले को लागू किया जाए.

हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के आतंकवादियों ने 21 जुलाई, 2000 को दक्षिण-पश्चिम गोपालगंज के कोटलीपाड़ा में एक मैदान के समीप 76 किलोग्राम बम लगा दिया था. वहां हसीना एक चुनाव रैली को संबोधित करने वाली थीं.

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