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अफगानिस्तान की सहायता के लिए 'अन्य हितधारकों' के साथ समन्वय के इच्छुक हैं : भारत - Afghanistan india

भारत, अफगानिस्तान के लोगों के लिए अत्यावश्यक सहायता मुहैया कराने के त्वरित प्रावधान को सक्षम बनाने के लिए 'अन्य हितधारकों' के साथ समन्वय स्थापित करने का इच्छुक है.

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Published : Nov 18, 2021, 3:30 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा कि वह अफगानिस्तान के लोगों के लिए अत्यावश्यक सहायता मुहैया कराने के त्वरित प्रावधान को सक्षम बनाने की खातिर 'अन्य हितधारकों' के साथ समन्वय स्थापित करने का इच्छुक है.

भारत ने क्षेत्र के अन्य देशों से साथ मिलकर काम करने और 'अपने हितों से ऊपर उठने' की अपील की.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) पर बुधवार को यूएनएससी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस अपील का समर्थन किया है कि मानवीय सहायता तक अफगानिस्तान की पहुंच प्रत्यक्ष एवं निर्बाध होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'भारत अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न और दवाओं समेत अत्यावश्यक मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए एक बार फिर तैयार है. भारत अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा है.'

तिरुमूर्ति ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय औैर क्षेत्र के देशों से एकजुट होने और अपने-अपने हितों से ऊपर उठने की अपील करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के विकास में सबसे बड़े क्षेत्रीय भागीदार के रूप में भारत अफगान लोगों के लिए अति आवश्यक सहायता के त्वरित प्रावधान को सक्षम करने की दिशा में काम करने के लिए अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करने का इच्छुक है.'

तिरुमूर्ति ने कहा कि मानवीय सहायता तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए और 'बिना किसी भेदभाव के' सहायता वितरित की जानी चाहिए तथा यह हर समुदाय या हर राजनीतिक विचारधारा के लोगों को मुहैया कराई जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पहले ही बहुत रक्तपात हो चुका है और हालिया वर्षों में हुई हिंसा और मौजूदा मानवीय संकट भयावह है.

पढ़ें :- पाकिस्तान, अफगानिस्तान उड़ानों की आवृत्ति बढ़ाने पर सहमत

भारत ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान को लेकर 'दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद' की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान ने भाग लिया था.

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को सहायता भेजने के लिए पारगमन सुविधा की अनुमति नहीं दी है, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह पाकिस्तान के जरिए भारत द्वारा गेहूं भेजे जोने की पेशकश को लेकर अफगानिस्तान की अपील पर विचार करेंगे.

तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत हजारों अफगान युवाओं को शैक्षणिक छात्रवृत्ति मुहैया करा रहा है, ताकि वे भारत में शिक्षा प्राप्त कर सकें. उन्होंने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में 500 से अधिक विकास परियोजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने कहा, 'हमने अफगानिस्तान को पिछले साल कोविड-19 टीके, आवश्यक चिकित्सकीय आपूर्ति और 75,000 टन गेहूं मुहैया कराके मानवीय सहायता दी है.'

तिरुमूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में अपनाया गया 'अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा पत्र' अफगानिस्तान को लेकर अत्यावश्यक क्षेत्रीय सहमति को दर्शाता है.

उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान सहित प्रमुख हितधारकों ने अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा पत्र का स्वागत किया है.'

(पीटीआई-भाषा)

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कहा कि वह अफगानिस्तान के लोगों के लिए अत्यावश्यक सहायता मुहैया कराने के त्वरित प्रावधान को सक्षम बनाने की खातिर 'अन्य हितधारकों' के साथ समन्वय स्थापित करने का इच्छुक है.

भारत ने क्षेत्र के अन्य देशों से साथ मिलकर काम करने और 'अपने हितों से ऊपर उठने' की अपील की.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) पर बुधवार को यूएनएससी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस अपील का समर्थन किया है कि मानवीय सहायता तक अफगानिस्तान की पहुंच प्रत्यक्ष एवं निर्बाध होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'भारत अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न और दवाओं समेत अत्यावश्यक मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए एक बार फिर तैयार है. भारत अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा है.'

तिरुमूर्ति ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय औैर क्षेत्र के देशों से एकजुट होने और अपने-अपने हितों से ऊपर उठने की अपील करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान के विकास में सबसे बड़े क्षेत्रीय भागीदार के रूप में भारत अफगान लोगों के लिए अति आवश्यक सहायता के त्वरित प्रावधान को सक्षम करने की दिशा में काम करने के लिए अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करने का इच्छुक है.'

तिरुमूर्ति ने कहा कि मानवीय सहायता तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए और 'बिना किसी भेदभाव के' सहायता वितरित की जानी चाहिए तथा यह हर समुदाय या हर राजनीतिक विचारधारा के लोगों को मुहैया कराई जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पहले ही बहुत रक्तपात हो चुका है और हालिया वर्षों में हुई हिंसा और मौजूदा मानवीय संकट भयावह है.

पढ़ें :- पाकिस्तान, अफगानिस्तान उड़ानों की आवृत्ति बढ़ाने पर सहमत

भारत ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान को लेकर 'दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद' की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान ने भाग लिया था.

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को सहायता भेजने के लिए पारगमन सुविधा की अनुमति नहीं दी है, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह पाकिस्तान के जरिए भारत द्वारा गेहूं भेजे जोने की पेशकश को लेकर अफगानिस्तान की अपील पर विचार करेंगे.

तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत हजारों अफगान युवाओं को शैक्षणिक छात्रवृत्ति मुहैया करा रहा है, ताकि वे भारत में शिक्षा प्राप्त कर सकें. उन्होंने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में 500 से अधिक विकास परियोजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने कहा, 'हमने अफगानिस्तान को पिछले साल कोविड-19 टीके, आवश्यक चिकित्सकीय आपूर्ति और 75,000 टन गेहूं मुहैया कराके मानवीय सहायता दी है.'

तिरुमूर्ति ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में अपनाया गया 'अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा पत्र' अफगानिस्तान को लेकर अत्यावश्यक क्षेत्रीय सहमति को दर्शाता है.

उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान सहित प्रमुख हितधारकों ने अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा पत्र का स्वागत किया है.'

(पीटीआई-भाषा)

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